कराची में मोदी लहर के डर से तो नहीं कटा अनुपम का नाम?

Wednesday, Feb 03, 2016 - 01:54 AM (IST)

नई दिल्ली: हाल ही में पद्म भूषण से नवाजे गये फिल्म अभिनेता अनुपम खेर को कराची साहित्य उत्सव में भाग लेने से रोकने के लिए उनका नाम पाकिस्तान सरकार के इशारे पर वहीं काट दिया गया था। कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार कराची साहित्य उत्सव के आयोजकों ने खेर को आमंत्रित किया था तब पाकिस्तान के कई मीडिया संगठनों ने खेर से अलग-अलग इंटरव्यू के लिये समय मांगा था और उनकी सहमति से कई इंटरव्यू तय भी हो गए थे। साहित्य उत्सव में भी मीडिया से संवाद भी होना था। 

 
खेर पांच तारीख को कराची साहित्य उत्सव में आमंत्रित किये गये 18 सदस्यीय दल का हिस्सा थे। विदेशी मेहमानों को आमंत्रित करने की एक प्रक्रिया होती है जिसमें आमंत्रण के साथ उन देशों में उच्चायोगों/ राजदूतावासों में वीसा की सुलभता के लिये एक सूची भेजी जाती है। मेजबान देश के विदेश मंत्रालय की हरी झंडी मिलने पर ही औपचारिक निमंत्रण पत्र जारी किया जाता है। सूत्रों के अनुसार खेर के मीडिया के संवाद के कार्यक्रम से पाकिस्तान सरकार के माथे पर शिकन पडऩे लगी। मेहमानों को आमंत्रित करने की प्रक्रिया में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजकों को इशारा कर दिया गया कि खेर को वीसा नहीं दिया जाएगा। इस पर आयोजकों ने खेर को तदनुसार सूचित कर दिया।   
 
इस बारे में मीडिया में खबरें आने के बाद पाकिस्तानी उच्चायोग ने सफाई दी कि उन्हें खेर का वीसा आवेदन ही नहीं मिला लिहाजा वीजा देने से इनकार करने का प्रश्न ही नहीं उठता। सूत्रों ने बताया कि उच्चायोग का बयान तकनीकी रूप से गलत भी नहीं था क्योंकि वीसा आवेदन नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग तक पहुँचने की नौबत ही नहीं आयी। उल्लेखनीय है कि खेर कश्मीरी पंडित समुदाय से आते हैं और वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनकी नीतियों के खुले समर्थक माने जाते हैं। खेर हाल ही में देश में ‘असहिष्णुता विरोधी’ बहस की मुखालफत करने वालों में भी अग्रणी रहे हैं।  
 
सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तानी सत्ता के गलियारों में महसूस किया गया कि कराची में खेर के हाई प्रोफाइल मीडिया संवाद के दौरान उनकी बेबाकी से कश्मीर एवं कुछ अन्य मसलों पर असहजता उत्पन्न हो सकती है। वह मोदी की नीतियों की पैरोकारी करके पाकिस्तानी अवाम में भारत को कूटनीतिक बढ़त दिलाने का प्रयास कर सकते हैं। इसी के बाद पाकिस्तान हुक्मरानों ने श्री खेर का नाम 18 सदस्यीय भारतीय दल से हटाने का इशारा कर दिया। हालांकि खेर ने भी मीडिया से बातचीत में पाकिस्तानी उच्चायोग पर असत्य बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि साहित्य, कला एवं संस्कृति की कोई सीमा नहीं होती है। यही वजह है कि भारत में भी पाकिस्तानी कलाकारों को काम और सम्मान मिलता है। इसीलिये उन्होंने कराची साहित्य उत्सव में जाने पर सहमति जतायी थी लेकिन उन्हें वीसा नहीं दिया गया।   
 
वीसा नहीं दिए जाने के कारण के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह जिस तरह से कश्मीरी पंडितों के हक में या प्रधानमंत्री के पक्ष में बोलते हैं, शायद वह सब उन्हें (पाकिस्तान के हुक्मरानों को) पसंद नहीं आया होगा। इससे पहले पाकिस्तान उच्चायोग ने आज एक समाचार पत्र में प्रकाशित उस रिपोर्ट का खंडन किया जिसमें खेर को कराची साहित्य सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तानी वीजा देने से इनकार करने का खुलासा किया गया है। नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के प्रवक्ता मंजूर अली मेमन ने कहा कि खेर ने पाकिस्तानी उच्चायोग में वीजा का कोई आवेदन नहीं दिया। पिछले वर्ष मई में भी खेर को एक गैरसरकारी संगठन ने लाहौर में एक कार्यक्रम में आमंत्रित किया था लेकिन तब भी उन्हें वीजा देने से मना कर दिया गया था। उस वक्त पाकिस्तानी उच्चायोग ने सुरक्षा कारणों से वीजा देने से इन्कार किया था।  
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