सदन में हंगामे के बीच PM मोदी का कांग्रेस पर बड़ा हमला, हमें लोकतंत्र न सिखाएं

Wednesday, Feb 07, 2018 - 04:46 PM (IST)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए उस पर देश का विभाजन करने का आरोप लगाया और देश में लोकतंत्र स्थापित करने का उसका दावा पूरी तरह गलत है क्योंकि भारत में हजारों वर्षाें से लोकतांत्रिक परंपराएं हैं। मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने देशहित नहीं बल्कि राजनीतिक स्वार्थ को ध्यान में रखकर फैसले किए जिसका खामियाजा देश आज तक भुगत रहा है। मोदी ने आज लोकसबा और राज्यसभा दोनों सदनों में धन्यवाद प्रस्ताव पर मंगलवार को हुई चर्चा पर जवाब दिया। लोकसभा में मोदी ने भारी शोरशराबे और हंगामे के बाद भी अपना भाषण जारी रखा और करीब डेढ़ घंटे तक संबोधित किया। राज्यसभा में उन्होंने किसानों पर चर्चा की।

मोदी के संबोधन के Highlights
-कांग्रेस को यह अहंकार है कि देश को लोकतंत्र प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और उसने दिया है जबकि वास्तविकता यह है कि भारत में लोकतंत्र हजारों साल से है।

-सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन के कल के भाषण के संदर्भ में उन्होंने कहा ,‘कांग्रस हमें लोकतंत्र का पाठ न पढ़ाए।‘ यह दुर्भाग्य है कि कांग्रेस नेताओं को लगता है कि भारत का जन्म 15 अगस्त 1947 को हुआ और लोकतंत्र आया।

-लिच्छवी साम्राज्य और बौद्धकाल में भी लोकतंत्र की गूंज थी। खड़गे को याद होगा कि उनके गृह राज्य कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले जगतगुरू विश्वेश्वर ने 12वीं शताब्दी में ऐसी व्यवस्था की थी जिनमें सबकुछ लोकतांत्रिक ढंग से होता था और महिलाओं की सदस्यता भी अनिवार्य थी। ढाई हजार वर्ष पहले गणराज्य की व्यवस्था थी जिसमें सहमति और असहमति का सम्मान होता था। इस तरह लोकतंत्र हमारी रगों और परंपराओं में है।

-कांग्रेस वंशवाद को बढ़ावा देती है। उसने अपनी पूरी ताकत एक परिवार का गुणगान करने में लगा दी।

-लोकतंत्र की बात करने वाली इस पार्टी के नेता राजीव गांधी एक बार जब हैदराबाद गए तो उन्होंने हवाईअड्डे पर उनकी अगवानी के लिए आए आंध्रप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री टी. अंजैया का सरेआम अपमान किया जो दलित समुदाय से थे। इसी अपमान की आग से तेलुगू देशम पार्टी अस्तित्व में आई और एन.टी. रामाराव फिल्म क्षेत्र छोड़कर राजनीति में आए। 

-ऐसी पार्टी लोकतंत्र की बात करती है जिसमें 90 से अधिक बार संविधान के अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग कर विभिन्न राज्यों की सरकारों और उभरते हुए राजनीतिक दलों को उखाड़ा। आत्मा की आवाज में कांग्रेस का लोकतंत्र दब जाता है।

-इसी पार्टी ने राष्ट्रपति पद के अपने अधिकृत उम्मीदवार नीलम संजीवा रेड्डी के खिलाफ मतदान कर उनकी पीठ में छुरा भोंका था।

-कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने अपनी ही पार्टी के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल के एक निर्णय के संवाददाता सम्मेलन में टुकड़े-टुकडे कर दिए थे। ‘आपके मुंह से लोकतंत्र की बात शोभा नहीं देती।‘ 

-आजादी के बाद सरदार पटेल को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया गया जबकि 15 कांग्रेस कमेटियों में से 12 ने उन्हें चुना था। इसके बावजूद पंडित नेहरू को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया गया। सरदार पटेल यदि प्रधानमंत्री बन गए होते तो आज कश्मीर की समस्या नहीं होती।

-कांग्रेस पर राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश का विभाजन करने का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि इससे उसने जो जहर बोया उसकी सजा देश की सवा सौ करोड़ आबादी आज भी भुगत रही है।

-मध्य वर्ग के बीच निराशा का भाव पैदा करने के लिए भ्रम और झूठ फैलाया जा रहा है, सरकार ने उनको 12,000 करोड़ रुपये के नए फायदे दिए है

-लोकतंत्र में विरोध ठीक है लेकिन सिर्फ विरोध के लिए विरोध करना उचित नहीं है।

-आंध्रप्रदेश के विभाजन से उपजी स्थितियों के लिए भी कांग्रेस जिम्मेदार है। कांग्रेस ने राजनीतिक स्वार्थ को ध्यान में रखकर चुनाव की हड़बड़ी में यह फैसला किया।

-नए राज्य के पक्ष में भाजपा भी थी लेकिन जिस तरह से संसद के दरवाजे बंद करके यह फैसला किया गया उससे गड़बड़ी हुई है।

-पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड के रूप में तीन नए राज्यों का गठन किया था लेकिन उन्होंने राजनीतिक स्वार्थ के लिए यह फैसला नहीं किया था इसलिए अधिकारियों के तबादले समेत सभी काम सुगमता से हो गए थे।

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