मोदी बोले-अब पद्म पुरस्कार के लिए पहचान नहीं, काम जरूरी

Sunday, Jan 28, 2018 - 02:29 PM (IST)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि पिछले तीन वर्षों में पद्म पुरस्कार की पूरी प्रक्रिया बदल गई है, अब कोई भी नागरिक किसी को भी मनोनित कर सकता है और पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाने से पारर्दिशता आ गई है। आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि इन दिनों पद्म-पुरस्कारों के संबंध में काफी चर्चा आप भी सुनते होंगे। लेकिन थोड़ा अगर बारीकी से देखेंगे तो आपको गर्व होगा। गर्व इस बात का कि कैसे-कैसे महान लोग हमारे बीच में हैं और कैसे आज हमारे देश में सामान्य व्यक्ति बिना किसी सिफारिश के उन ऊंचाइयों तक पहुंच रहे हैं।

मोदी ने कहा कि हर वर्ष पद्म-पुरस्कार देने की परम्परा रही है लेकिन पिछले तीन वर्षों में इसकी पूरी प्रक्रिया बदल गई है। अब कोई भी नागरिक किसी को भी मनोनित कर सकता है। एक तरह से इन पुरस्कारों की चयन-प्रक्रिया पूरी तरह बदल गई है। उन्होंने कहा कि आपका भी इस बात पर ध्यान गया होगा कि बहुत सामान्य लोगों को पद्म-पुरस्कार मिल रहे हैं। ऐसे लोगों को पद्म-पुरस्कार दिए गए हैं जो आमतौर पर बड़े-बड़े शहरों में, अखबारों में, टी.वी. में, समारोह में नजर नहीं आते हैं।   मोदी ने कहा, ‘‘अब पुरस्कार देने के लिए व्यक्ति की पहचान नहीं, उसके काम का महत्व बढ़ रहा है।’’

मोदी ने किया इन खास शख्सियतों का जिक्र
-कचरे से खिलौना बनाने में योगदान देने वाले आईआईटी कानपुर के छात्र रहे अरविंद गुप्ता का जिक्र किया।

-कर्नाटक की सितावा जोद्दती का जिक्र किया। मोदी ने कहा कि सितावा जोद्दती ने अनगिनत महिलाओं का जीवन बदलने में महान योगदान दिया है। इन्होंने सात वर्ष की आयु में ही स्वयं को देवदासी के रूप में समर्पित कर दिया था।

-मध्य प्रदेश के भज्जू श्याम का भी जिक्र किया जिन्होंने विदेशों में भारत का नाम रोशन किया।  

-हर्बल दवा बनाने वाली केरल की आदिवासी महिला लक्ष्मी कुट्टी, अस्पताल बनाने के लिए दूसरों के घरों में बर्तन मांजे।

-सब्जी बेचने वाली पश्चिम बंगाल की 75 वर्षीय सुभासिनी मिस्त्री का भी जिक्र किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मुझे पूरा विश्वास है कि हमारी बहुरत्ना-वसुंधरा में ऐसे कई नर-रत्न हैं, कई नारी-रत्न हैं जिनको न कोई जानता है, न कोई पहचानता है। ऐसे व्यक्तियों की पहचान न बनना, उससे समाज का भी घाटा हो जाता है।’’  उन्होंने कहा कि पद्म-पुरस्कार एक माध्यम है लेकिन वे देशवासियों से भी कह रहे हैं कि हमारे आस-पास समाज के लिए जीने वाले, समाज के लिए खपने वाले, किसी न किसी विशेषता को ले करके जीवन भर कार्य करने वाले लक्षावधि लोग हैं। कभी न कभी उनको समाज के बीच में लाना चाहिए। वो मान-सम्मान के लिए काम नहीं करते हैं लेकिन उनके कार्य के कारण हमें प्रेरणा मिलती है। मोदी ने कहा कि ऐसे लोगों को स्कूलों में, कालेजों में बुला करके उनके अनुभवों को सुनना चाहिए। पुरस्कार से भी आगे, समाज में भी कुछ प्रयास होना चाहिए।

Advertising