आजादी के 73 साल बाद भी क्या मोदी सरकार कर पाएगी इनका विकास ?

Thursday, Aug 15, 2019 - 07:40 AM (IST)

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आज भारत की आजादी को 73 साल हो गए हैं। 15 अगस्त, 1947 को देश गुलामी की जंजीरों से आजाद हुआ था। परतंत्रता से स्वतंत्रता तक के सफर में बहुत सारे वीर योद्धा और वीरंगनाओं के बलिदान हैं। उनको नमन करने के उद्देश्य से बहुत सारे सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं। सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारत ने इंडिपेंडेंट होने के बाद बहुत सारे उतार-चढ़ाव देखे। मोदी सरकार आने के बाद एक नए भारत का निर्माण तो हुआ है लेकिन क्या सवाल ये है की क्या वो महिलाओं का विकास करने में सफल हो पाएंगे। हिंदू धर्म यानी वैदिक धर्म में पांच माताओं 1. जन्म देने वाली 2. गऊ माता 3. भारत माता 4. वेद माता और 5. गंगा माता का विशेष महत्व है। आज इन पांचों माताओं की दुर्दशा, अवहेलना और अनदेखी हो रही है। जिससे देश पतन की ओर बढ़ रहा है। इसकी दशा सुधारने से ही देश उन्नत व समृद्ध बन सकेगा।

भारत माता- भारत माता की हालत इस समय बहुत ही खराब है। आतंकवादी आते हैं और हर दिन निर्दोष लोगों की हत्या कर रहे हैं। भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, तरफदारी, लूट-खसूट बहुत हो रही है। अज्ञान, अंधविश्वास व पाखंड बढ़ा हुआ है, जिससे लोगों का जीवन दु:खमय बना हुआ है इसलिए देश में वैदिक ज्ञान की आवश्यकता है। 

वेद माता- सृष्टि के आदि से लेकर महाभारत तक पूरे विश्व में वैदिक धर्म ही था। महाभारत के युद्ध में विश्व के अधिकतर वीर, योद्धा, वैदिक विद्वान, आचार्य आदि के समाप्त हो जाने से केवल भारत से ही नहीं, बल्कि विश्व से वैदिक धर्म प्राय: लुप्त हो गया और अज्ञान, अंधविश्वास व पाखंड का बोलबाला हो गया। फिर ईश्वर की अपार कृपा से सन् 1825 में देव दयानंद का जन्म टंकारा (गुजरात) में हुआ। उन्होंने प्रकांड वैदिक विद्वान स्वामी विरजानंद से वेदों का अध्ययन करके देश में पुन: वेदों का प्रचार किया।  जितना वेद प्रचार होना चाहिए तथा उतना न होने से अभी तक वेद-माता की दुर्दशा ही है। वेद-प्रचार अधिक होने से यह समस्या हल हो सकती है।

जन्म देने वाली माता- आज के नौजवान बच्चे शादी होने के बाद, माता-पिता की सेवा उनकी आज्ञा का पालन, उनकी सुख-सुविधा का ध्यान रखने की बजाय अपने माता-पिता को वृद्ध आश्रम में भर्ती कर देते हैं और उनकी सेवा, सद् उपदेशों व अनुभवों से वंचित हो जाते हैं। यदि कोई परिवार माता-पिता को घर में रखते भी हैं तो वे उनकी सेवा करना तो दूर रहा उनकी तरफ कोई ध्यान भी नहीं देते। यह बात सभी परिवारों में तो नहीं है। परंतु अधिकतर घरों में वृद्ध माता-पिता की अनदेखी की जा रही है इसलिए आज जन्म देने वाली माताओं की स्थिति दयनीय है।

गऊ माता- हिंदू धर्म (वैदिक धर्म) में गऊ माता का बहुत बड़ा महत्व है। इसके रोम-रोम में परोपकार की भावना भरी हुई है। इसका दूध, घी, दही, छाछ सभी चीजें मनुष्य के लिए अति लाभकारी हैं। इसकी यह विशेषता है कि इसका मूत्र और गोबर कभी भी दुर्गंध नहीं मारता और इसके मूत्र व गोबर से उत्तम खाद बनता है। जिसको खेत में डालने से उत्तम और पौष्टिक अन्न पैदा होता है, साथ ही जमीन की उत्पादन शक्ति भी बढ़ती है जबकि रसायन खाद से उत्पादित अन्न इतना अच्छा नहीं होता और इससे जमीन की उत्पादन शक्ति भी धीरे-धीरे कम होती जाती है इसलिए गऊ के मूत्र तथा गोबर से बनी हुई खाद उत्तम कहलाती है। गाय के मरने के बाद उसकी खाल और हड्डी भी मनुष्य के काम आती है। इसके बछड़े भी हल जोतने के काम आते हैं। ऐसी गौ माता भी दूध बंद होने के बाद कसाइयों को काटने के लिए बेच दी जाती है या गली-कूचों में घूमती रहती है।

आजकल देसी नस्ल की गऊएं दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही हैं और विदेशी नस्ल की गऊएं बढ़ती जा रही हैं। विदेशी गऊओं के दूध अधिक होता है इसलिए देसी गऊएं अधिकतर कटने में जाती हैं। देसी नस्ल की गाय का दूध कम जरूर होता है परंतु पौष्टिक व अधिक लाभदायक होता है परंतु किसान पैसे के लोभ में उसको कसाइयों के हाथ बेच देता है और वह काटी जाती है। इस प्रकार भारत में गऊओं की बड़ी दुर्दशा है। गौ-हत्या बंद होने से ही यह समस्या हल होगी।

गंगा माता- हिंदू धर्म में गंगा नदी को बड़ा पवित्र माना गया है परंतु इस समय इसकी जो दुर्दशा हो रही है, उसका कारण यह है कि जहां-जहां से यह गुजरती है उसके किनारे के शहरों का गंदा पानी इसमें गिरता रहता है और गंगा के पवित्र जल को गंदा बना देता है। कहीं-कहीं तो गंगा का जल इतना गंदा है, उसमें स्नान करने का मन भी नहीं करता। इस प्रकार उस समय गंगा माता की भी दुर्दशा हो रही है।

Niyati Bhandari

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