PM ने संत रविदास मंदिर की रखी नींव, 100 करोड़ में बनकर होगा तैयार, मोदी बोले- अतीत से सबक लेकर विरासत को आगे बढ़ाएं

punjabkesari.in Saturday, Aug 12, 2023 - 05:32 PM (IST)

नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश के सागर जिले के बड़तुमा में 11 एकड़ भूमि पर लगभग 100 करोड़ की लागत बनने वाले संत शिरोमणी श्री रविदास के स्मारक और मंदिर का वैदिक मंत्रोचार के साथ भूमिपूजन कर शिलान्यास किया। उन्होंने शिला-पट्टिका का अनावरण भी किया और मंदिर की प्रतिकृति को भी देखा। भूमिपूजन से पहले मोदी ने विभिन्न सम्प्रदायों के साधु-संतों का अभिवादन किया। इसी के साथ प्रदेश के पांच स्थानों से प्रारंभ की गई समरसता यात्रा का भी आज समापन हो गया।

फरवरी माह में ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समरसता के प्रणेता संत श्री रविदास जी के भव्य और दिव्य रूप में स्मारक और मंदिर निर्माण कराने की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री द्वारा आज किए गए शिलान्यास के बाद अब यहां भव्य और अलौकिक मंदिर बनेगा। यह मंदिर नागर शैली में 10 हजार वर्ग फुट में बनेगा।
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लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सागर की धरती, संतों का सानिध्य, संत रविदास का आशिर्वाद और हर कोने से इतनी बड़ी संख्या में आशिर्वाद देने आए। देश की इसी साझी संस्कृति को और समृद्ध करने के लिए आज यहां संत रविदास स्मारक एवं कला संग्रहालय की नींव पड़ी है। संतों की कृपा से कुछ देर पहले मुझे इस पवित्र स्मारक के भूमिपूजन का अवसर मिला है।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं काशी का सांसद हूं इसलिए ये मेरे लिए दोहरी खुशी का अवसर है। पूज्य संत रविदास जी के आशिर्वाद से मैं विश्वास से कहता हूं कि आज मैंने शिलान्यास किया और एक-डेढ साल बाद जब मंदिर बन जाएगा तो लोकार्पण के लिए भी मैं जरूर आऊंगा। संत रविदास जी मुझे यहां आने का मौका देने ही वाले हैं। मुझे बनारस में संत रविदास जी की जन्मस्थली पर जाने का कई बार सौभाग्य मिला है और आज मैं यहां आप सबके सानिध्य में हूं।

मोदी ने कहा कि संत रविदास स्मारक एवं संग्रहालय में भव्यता भी होगी और दिव्यता भी होगी। ये दिव्यता रविदास जी की उन शिक्षाओं से आएगी, जिन्हें आज इस स्मारक की नींव में जोड़ा गया है, गढ़ा गया है। 20 हजार से ज्यादा गांवों और 300 से ज्यादा नदियों की मिट्टी आज इस स्मारक का हिस्सा बनी है। एक मुट्ठी मिट्टी के साथ-साथ एमपी के लाखों परिवारों ने समरसता भोज के लिए एक-एक मुट्ठी अनाज भी भेजा है। इसके लिए जो 5 समरसता यात्राएं चल रही हैं, आज उनका भी सागर की धरती पर समागम हुआ है। ये यात्राएं यहां खत्म नहीं हुई हैं, बल्कि यहां से सामाजिक समरसता के एक नए युग की शुरुआत हुई है। 
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पीएम मोदी ने कहा कि प्रेरणा और प्रगति जब एक साथ जुड़ते हैं तो एक नए युग की शुरुआत होती है। आज हमारा देश, हमारा एमपी इसी ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है। इसी क्रम में आज यहां कोटा-बीना सेक्शन पर रेल मार्ग के दोहरीकरण का भी लोकार्पण हुआ है। नेशनल हाईवे पर दो महत्वपूर्ण मार्गों का शिलान्यास भी किया गया है। विकास के ये काम सागर और आसपास के लोगों को बेहतर सुविधा देंगे।

हम अपनी विरासत को आगे बढ़ाए
पीएम ने कहा कि संत रविदास स्मारक और संग्रहालय की नींव एक ऐसे समय में पड़ी है जब देश ने अपने आजादी के 75 साल पूरे किए हैं। अब अगले 25 वर्षों का अमृतकाल हमारे सामने है। अमृतकाल में हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी विरासत को आगे बढ़ाएं और अपने अतीत से सबक भी लें। एक राष्ट्र के रूप में हमने हजारों वर्षों की यात्रा की है। इतने लंबे कालखंड में समाज में कुछ बुराइयां आना भी स्वाभिवक है। ये भारतीय समाज की ही शक्ति है, इन बुराइयों को दूर करने वाला समय समय पर कोई महापुरुष, कोई संत इसी समाज से निकलता रहा है। रविदाज जी ऐसे ही महान संत थे। उन्होंने उस कालखंड में जन्म लिया, जब देश पर मुगलों का शासन था। समाज अस्थिरता, उत्पीड़न और अत्यचार से जूझ रहा था। उस समय भी रविदास जी समाज को जागा रहे थे। उसे उसकी बुराइयों से लड़ना सिखा रहे थे।
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इंटरप्रिटेशन म्यूजियम भी बनेगा
संस्कृति और रचनात्मक के साथ संत रविदास के कृतित्व-व्यक्तित्व को प्रदर्शित करने वाला म्यूजियम भी इस परिसर में बनेगा। म्यूजियम में चार गैलरी बनेगी, जिनमें भक्ति मार्ग, निर्गुण पंथ में योगदान, संत जी का दर्शन और उनके साहित्य, समरसता का विवरण भी रहेगा लाइब्रेरी के अलावा संगत हाल, जल कुंड, भक्त निवास भी बनेगा, जो आध्यात्मिक और आधुनिक सुविधाओं से युक्त होगा। भक्त निवास में देश-विदेश से संत रविदास के अनुयायी और अध्येता आएंगे, जिन्हें संत जी के जीवन से प्रेरणा मिलेगी। पन्द्रह हजार वर्गफुट में भोजनालय का निर्माण होगा।

मंदिर में दो भव्य प्रवेश द्वार होंगे, सीसीटीवी कैमरे और लाइटिंग की व्यवस्था भी रहेगी। वास्तु और विन्यास अनुसार संत रविदास का मंदिर अध्यात्म कला म्यूजियम भी होगा, जो श्रद्धा, आस्था और भक्ति का अभूतपूर्व स्थल होगा। दार्शनिक और अध्येता और जिज्ञासु भी देश-विदेश से आएंगे। संत रविदास का कृतित्व-व्यक्तित्व और दर्शन पूरी दुनिया के लिए प्रेरणादायी होगा।


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Content Writer

Yaspal

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