ऑफ द रिकॉर्डः ‘आजाद के लिए मोदी के आंसुओं में सचमुच ही भावुकता थी या राजनीति’

Saturday, Feb 13, 2021 - 05:26 AM (IST)

नई दिल्लीः वह सचमुच ही भावुकता से ओतप्रोत प्रदर्शन था या बहुत गहरी राजनीति थी, यह कोई पूरे विश्वास से नहीं कह सकता परंतु पिछले मंगलवार को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद से यह कहा कि ‘मैं आपको रिटायर नहीं होने दूंगा। मैं आपसे सलाह लेता रहूंगा। मेरे दरवाजे आपके लिए सदा खुले हैं’ तो वे राज्यसभा में दुर्लभतम क्षण थे। 41 साल लंबे राजनीतिक जीवन को आजाद अलविदा कह रहे हैं। यह तो सबने देखा कि गांधी परिवार कुछ समय से उनसे नाराज है और इसीलिए उन्हें राज्यसभा के लिए दोबारा नामांकित नहीं किया गया। 

इस पृष्ठभूमि में आजाद को मोदी ने जो खुला आमंत्रण दिया, वैसा पहले कभी किसी नेता विपक्ष को नहीं दिया गया। स्वयं आजाद ने भी मोदी से अपनी कैमिस्ट्री किसी से नहीं छुपाई। आजाद ने बताया कि त्यौहारों और मेरे जन्मदिन पर दो लोग मुझे शुभकामनाएं देना कभी नहीं भूलते, उनमें एक हैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और दूसरे हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।

राज्यसभा में आजाद की प्रशंसा मोदी ने सप्ताह में दूसरी बार की थी। इससे पहले उन्होंने कहा था-‘आजाद जी सदैव शालीनता से बात करते हैं, उन्होंने कभी अनुचित भाषा का प्रयोग नहीं किया। आजाद ने जम्मू-कश्मीर में स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की भी सराहना की थी। मुझे विश्वास है कि आपकी पार्टी इसे सही भावना में लेगी और इसे जी-23 का नजरिया मानकर इसके विपरीत काम नहीं करेगी।’ मामला गड़बड़ है!!!

खुद आजाद ने राज्यसभा में एक दिन प्रधानमंत्री मोदी को इसलिए बधाई दी थी कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में डी.सी.सी. व स्थानीय निकायों का निष्पक्ष ढंग से चुनाव सम्पन्न कराया था। आजाद की मोदी को यह बधाई भी गांधी परिवार को पसंद नहीं आई थी। आजाद ने मोदी के खुले आमंत्रण के बारे में तो कुछ नहीं कहा परंतु संसद के बाहर उन्होंने कहा कि अब वह सांसद नहीं रहेंगे। वह कांग्रेस संगठन में पद नहीं लेंगे बल्कि वह जी-23 नेताओं के साथ मिलकर पार्टी के भीतर गांधी परिवार के खिलाफ लड़ेंगे और पार्टी को मजबूत करेंगे।   

Pardeep

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