Analysis: सबकी बोलती बंद कर देगा मोदी का ये दांव

Tuesday, Jul 25, 2017 - 09:44 PM (IST)

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपराष्ट्रपति पद के लिए चेहरे का चुनाव करते वक्त ऐसा सियासी दांव चला है, जिससे विपक्ष तो चारो खाने चित्त हो ही जाएगा साथ ही प्रधानमंत्री ने इस चेहरे के जरिए पार्टी के भीतर की सियासत को भी एक दांव से पलट दिया है। ये चेहरा है पूर्व शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू का जो आने वाले दिनों में मोदी के लिए तारनाहर की भूमिका में होंगे। 

पहला फायदा, नायडू निपटे

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए अपने चयन के बाद वेंकैया नायडू ने भले ही पार्टी का धन्यवाद किया हो, लेकिन नायडू की मनोस्थिती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकात है कि उन्हें संवैधानिक तौर पर उस व्यक्ति का हुकम मानना होगा जिसे कभी वेंकैया ने अध्यक्ष रहते हुए खुद एससी मोर्चे की जिम्मेदारी दी थी। रामनाथ कोविंद कभी वेंकैया नायडू को बतौर रिपोर्ट करते रहे हैं। नायडू पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं और अच्छे वक्ता हैं, लिहाजा भविष्य में बड़े पद के लिए उनके नाम की चर्चा संभव थी। लेकिन उपराष्ट्रपति बनने के बाद ये संभावना खत्म हो गई है। नायडू के हाथ से शहरी विकास मंत्रालय जैसा भारी भरकम मंत्रालय भी गया और भविष्य की राजनीति पर भी विराम लग गया।

 

राज्यसभा में काज संवारेंगे नायडू

भारतीय जनता पार्टी के पास लोगकसभा में भले ही बहुमत हो, लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण पार्टी को अतीत में कई मुद्दों को लेकर राज्यसभा में कदम पीछे खिंचने पड़े थे। क्योंकि, राज्यसभा में उपसभापति पार्टी का व्यक्ति नहीं था। लेकिन नायडू के आने से ये कमी पूरी हो गई है। नायडू के पास संसदीय कार्यमंत्री के तौर पर काम करने का लंबा अनुभव है और उनके विपक्षी पार्टीयों के साथ अच्छए रिश्ते हैं। पार्टी और प्रधानमंत्री के लिए ये स्थिती आने वाले दिनों में फायदे मंद हो सकती है। 


जेतली पर निर्भरता खत्म

राज्यसभा में सांसदों के प्रबंधन का काम अब तक भाजपा की तरफ से अरुण जेतली देखते रहे हैं वह राज्यसभा में पार्टी की तरफ से विपक्ष के नेता भी रहे, लेकिन नायडू के राज्यसभा में उपसभापति बन जाने के बाद पार्टी की अरुण जेतली पर निर्भरता लगभग खत्म हो जाएगी, क्योंकि जेतली का ये काम अब नायडू बड़े आराम से कर सकते हैं। 

 

राज्यसभा टीवी पर नियंत्रण

राज्यसभा के उपसभापति का राज्यसभा टीवी पर सीधा नियंत्रण होता है। अब तक ये नियंत्रण उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के पास था। लोकसभा टीवी और दूरदर्शन में सरकार की आवाज को प्रमुख्ता मिलने के बावजूद राज्यसभा में बहस और कार्यक्रम का एजैंडा सरकार की नीतियों के मुताबिक नहीं था और इस टीवी चैनल पर सरकार विरोधी चेहरों को भी पूरी जगह मिलती रही। नायडू के आने के बाद राज्यसभा टीवी पर भी भाजपा का पूरा नियंत्रण हो जाएगा और यहां पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों और बहस में शामिल होने वाले चेहरों का निर्धारण पार्टी व सरकार अपनी नीतियों के अनुसार कर सकेगी।
 

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