ट्रंप-जेलेंस्की के टकराव बाद अमेरिका में PM मोदी की डिप्लोमेसी सुर्खियों में, मीडिया में हो रही जमकर तारीफ
punjabkesari.in Saturday, Mar 01, 2025 - 05:36 PM (IST)
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Washington: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल लगातार विवादों से घिरा हुआ है। उनकी आक्रामक विदेश नीति ने अमेरिका के सहयोगी देशों को असमंजस में डाल दिया है। हाल ही में व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की और डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई तीखी बहस ने दुनिया का ध्यान खींचा। इस घटना के बाद, अमेरिकी विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने ट्रंप प्रशासन को कुशलता से हैंडल किया और किसी भी टकराव से बचते हुए भारत के हितों को साधा।
शुक्रवार को व्हाइट हाउस में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच खुली बहस देखने को मिली, जहां ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति को बार-बार फटकार लगाई। ट्रंप ने यहां तक कह दिया कि "अगर अमेरिका यूक्रेन से हाथ खींच ले, तो यूक्रेन दो हफ्ते भी युद्ध में नहीं टिक पाएगा।" इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी। आमतौर पर इस तरह की तीखी बयानबाजी बंद दरवाजों के पीछे होती है, लेकिन ट्रंप ने इसे सार्वजनिक मंच पर कर दिया, जिससे यूक्रेन की कूटनीतिक स्थिति कमजोर पड़ती दिखी। ट्रंप की यह आक्रामक शैली सिर्फ जेलेंस्की के साथ ही नहीं थी, बल्कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ उनकी बैठकों में भी तनाव देखा गया। हालांकि, मैक्रों और स्टारमर ने संयम बरतते हुए टकराव से बचने की रणनीति अपनाई, जिससे वे सार्वजनिक अपमान से बच सके।
मोदी की वाशिंगटन यात्रा सुर्खियों में
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने अमेरिका का दौरा किया था, तब ट्रंप प्रशासन अवैध भारतीय प्रवासियों को वापस भेजने के मुद्दे पर सख्त था। विपक्षी दलों का मानना था कि मोदी को इस मुद्दे पर ट्रंप से भिड़ना चाहिए था, लेकिन उन्होंने कूटनीतिक तरीके से इस विवाद को टाल दिया। भारतीय मूल के अमेरिकी विश्लेषक सदानंद धुमे ने मोदी की डिप्लोमेसी की प्रशंसा करते हुए कहा कि "विपक्ष चाहता था कि मोदी अप्रवासियों के मुद्दे पर ट्रंप से सीधा टकराव करें, लेकिन उन्होंने अपनी सूझबूझ से इसे टाल दिया।" उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "व्हाइट हाउस में जेलेंस्की की बेइज्जती देखने के बाद, यह स्पष्ट हो जाता है कि मोदी ने वाशिंगटन यात्रा को बहुत अच्छी तरह से संभाला। कल्पना कीजिए कि अगर मोदी ने अवैध प्रवासियों को वापस लेने के मुद्दे पर मीडिया के सामने ट्रंप से भिड़ने की कोशिश की होती?"
अवैध प्रवासियों पर मोदी का संतुलित रुख
वाल स्ट्रीट जर्नल में लिखे एक लेख में, धुमे ने उल्लेख किया कि "प्रधानमंत्री मोदी ने अवैध प्रवासियों को वापस लेने के ट्रंप प्रशासन के प्रयासों में सहयोग करना बेहतर समझा। अमेरिका में करीब 7.25 लाख अवैध भारतीय प्रवासी रह रहे हैं, जिन्हें ट्रंप प्रशासन वापस भेजना चाहता है।" मोदी ने व्हाइट हाउस में मीडिया से कहा था कि "जो लोग अवैध रूप से किसी भी देश में रहते हैं, उन्हें वहां रहने का कोई अधिकार नहीं है। भारत उन्हें वापस लेने के लिए तैयार है।" हालांकि, अमेरिका से भारतीय प्रवासियों को जिस तरह बेड़ियों में भेजा गया, उस पर भारत में विवाद हुआ और विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर सवाल उठाए।
अमेरिकी मीडिया में भी मोदी की तारीफ
मोदी की ट्रंप के साथ कूटनीति को अमेरिकी मीडिया ने भी सराहा। वॉशिंगटन पोस्ट ने मोदी को पहला ऐसा विदेशी नेता बताया, जिन्होंने ट्रंप के साथ व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत किया। अखबार ने लिखा, "मोदी ने ट्रंप की 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' (MAGA) नीति से प्रेरणा लेकर 'मेक इंडिया ग्रेट अगेन' (MIGA) का नारा दिया।" न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा, "मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान विवादित मुद्दों को हावी नहीं होने दिया, जिससे भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा।" ट्रंप ने मोदी को F-35 स्टील्थ फाइटर जेट देने की पेशकश की, जिसे विशेषज्ञ भारत-अमेरिका के मजबूत होते रिश्तों का संकेत मानते हैं।