Exclusive: पीएम बनने के बाद अपना ये बड़ा वादा भूले मोदी!

Wednesday, Jul 19, 2017 - 07:47 PM (IST)

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता के साथ आर्थिक विकास, रोजगार बढ़ाने, महंगाई रोकने जैसे तमाम मुद्दों के अलावा देश की राजनीति से अपराधियों का एक साल के भीतर सफाया करने का वादा किया था।

प्रधानमंत्री ने इलाहाबाद में अपनी चुनावी सभा के दौरान जनता से कहा था कि वह कुर्सी संभालने के एक साल के भीतर राजनीतिक गंदगी को साफ कर देंगे। मोदी ने कहा था कि वह इन चुनावों के बाद लोकसभा में पहुंचने वाले अपराधिक छवि के सांसदों का सारा ब्यौरा सुप्रीम कोर्ट को दे देंगे और एक साल के भीतर इन मामलों में स्पेशल कोर्ट से निपटारा करवाया जाएगा ताकि राजनीति को स्वच्छ बनाया जा सके। लेकिन प्रधानमंत्री पद संभालने के तीन साल बाद भी नरेंद्र मोदी ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जिससे राजनीति की सफाई हो सके।

लोकसभा में 186 दागी, 98 भाजपा के 
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान कुल 186 ऐसे लोग चुनकर सदन में पहुंचे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले हैं। इनमें से 98 सांसद भाजपा के हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी ही पार्टी के सांसदो के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों को लेकर कोई कदम नहीं उठाया है। इनमें से नितिन गडकरी तो बकायदा केंद्र में ट्रांसपोर्ट मंत्री का काम देख रहें है।

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, गडकरी ने चुनाव लड़ते समय चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामें में खुद पर चार मुकदमें दर्ज होने की बात कही है। इसके अलावा केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती के खिलाफ 13 अपराधिक मामले हैं।

विधानसभा में भी दागियों की भरमार
प्रधानमंत्री ने लोकसभा के दागियों पर तो क्या कार्रवाई करनी थी बल्कि उनकी पार्टी ने 2014 के बाद हुए कई राज्योँ के विधानसभा चुनाव में भी ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दी जिनके खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 114 विधायक उत्तर प्रदेश से हैं।

403 सीटों वाली यूपी विधानसभा में 143 विधायकों पर अपराधिक मामले दर्ज हैं। जिनमें से सबसे ज्यादा विधायक भाजपा के हैं। इसके बाद महाराष्ट्र का नंबर आता है जहां 2014 में लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद चुनाव हुआ जहां 288 में से 162 विधायकों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें से 73 भाजपा के हैं। तीसरे बड़े राज्य  बिहार की विधानसभा में भी अपराधियों की भरमार है। यहां कुल 243 विधानसभा सीटों में से 142 के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज हैं। इन में से भाजपा के 34 विधायक हैं। इसके अलावा हरियाणा में भाजपा के 5, असम में 7 और उत्तराखंड में 17 विधायकों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज हैं।

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