द हिंदू की रिपोर्टः बैंक गारंटी न मिलने पर महंगा मिला राफेल, सरकार ने दी सफाई
Wednesday, Mar 06, 2019 - 02:55 PM (IST)
नेशनल डेस्कः राफेल सौदे को लेकर एक नया खुलासा सामने आया है जिसमें कहा गया है कि यह डील मोदी सरकार को यूपीए सरकार के मुकाबले काफी महंगी पड़ी है। द हिंदू अखबार ने बुधवार को खबर दी कि फ्रांस से बैंक गारंटी न मिलने के कारण मोदी सरकार को यूपीए सरकार के मुकाबले राफेल सौदा 246.11 मिलियन डॉलर महंगा पड़ा है। वहीं अटॉर्नी जनरल ने कहा कि राफेल पर ‘द हिंदू’ की आज की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को प्रभावित करने के समान है जो अपने आप में अदालत की अवमानना है।
राफेल पर ये है पूरी रिपोर्ट
खबर में कहा गया कि सात सदस्यीय भारतीय वार्ता टीम (INT) ने 21, जुलाई 2016 को रक्षा मंत्रालय को सौंपी अपनी अंतिम रिपोर्ट मे लिखा कि बैंक गारंटी न मिलने के कारण लागत बढ़ी है। यानि कि 36 राफेल जेटों के लिए 7.87 बिलियन डॉलर ( लगभग 62, 712 कोरड़ ) रुपए का सौदा हुआ है। INT ने रक्षा मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में कहा था कि फ्रांस सरकार से समर्थन न मिलने के चलते 574 मिलियन डॉलर (अनुमानित 4,574 करोड़ ) रुपए से यह राशि बढ़कर 7.87 बिलियन डॉलर ( लगभग 62, 712 कोरड़ ) रुपए तक पहुंच गई। इस सौदे पर 23 सितंबर 2016 को हस्ताक्षर किए गए थे जो विमान और हथियार पैकेज यूपीए सरकार द्वारा की गई वार्ता से अधिक कीमत के हैं।
कैसे बढ़ी राफेल की कीमत
हिंदू ने INT की रिपोर्ट का उल्लेख किया कि आखिर कैसे राफेल की कीमत 574 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई। रिपोर्ट में कहा गया कि यह आंकड़ा बैंक के 2 फीसदी के सालाना बैंक कमीशन दर, भारतीय बैंक के कन्फर्मशन चार्ज के आधार पर तय किया गया यानि कि इसमें भारतीय बैंक के चार्जिंस भी शामिल किए गए। इसके बारे में 2 मार्च, 2016 को एसबीआई ने जानकारी दी। हिंदू ने लिखा इस तरह बैंक गारंटी का कुल वाणिज्यिक प्रभाव अनुबंध मूल्य 7.28 प्रतिशत तक पहुंच गया।
हिंदू ने लिखा कि INT रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि भारतीय निगोशिएशन टीम ने बार-बार फ्रांस से बैंक गारंटी उपलब्ध कराने पर जोर दिया। कानून और न्याय मंत्राल ने भी दिसंबर, 2015 सलाह दी थी कि भारत को फ्रांस से सरकारी या प्रभुसत्ता संपन्न गारंटी प्राप्त करनी चाहिए थी क्योंकि विमानों की सप्लाई और सेवा की वास्तविक डिलीवरी पर भारी धनराशि देने का अनुबंध था। जोकि एडवांस पेमेंट समझी जाती है। बैंक गारंटी का प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत को सौदे पर हस्ताक्षर करने के 18 महीनों के भीतर 60 प्रतिशत एडवांस भुगतान करना होगा जोकि मार्च, 2018 तक का था। जबकि पहला राफेल लड़ाकू जेट विमान सितंबर, 2019 से पहले भारत नहीं पहुंचेगा।
समानांतर बातचीत
हिंदू ने आगे रिपोर्ट में लिखा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार द्वारा राफेल सौदे पर कथित समानांतर वार्ता के बारे में INT को कोई जानकारी नहीं थी। रिपोर्ट में 24 नवंबर, 2015 के मिले असंतोष नोट का उल्लेख किया जिसमें पीएमओ द्वारा ऐसी समानांतर वार्ता पर विरोध व्यक्त किया गया जिसमें MoD (रक्षा मंत्राल) और भारतीय वार्ताकार टीम की वार्ता स्थिति को कमजोर किया। महत्वपूर्ण बात यह है कि हिंदू के ताजा रिपोर्ट में कहा गया कि फ्रांस सरकार पीएमओ के अधिकारियो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकाकर या प्रारूप IGA (अंतर-सरकारी समझौते या सहमति पत्र) के साथ समानांतर वार्ता पर हुई सहमति पर ही निर्भर करना पड़ा। यह समझौता 25 जनवरी 2016 को किया गया और इससे सौदा प्रभावी हो गया।
कांग्रेस ने फिर कहा-चौकीदार चोर है
हिंदू में खबर छपते ही कांग्रेस ने फिर दोहराया कि देश का चौकीदार मोदी चोर है। कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया कि इस सौदे में बैंक गारंटी की इसलिए जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि AA (अनिल अंबानी) दोस्ती निभानी पड़ेगी। इसलिए हमें राफेल जेट विमान प्राप्त करने के लिए दसॉल्ट को अधिक भुगतान करना पड़ेगा। प्रियंका ने अनिल अंबानी के रिलायंस डिफेंस को गारंटी देने के लिए ऑफसेट अनुबंध का उल्लेख किया। एक विशेष रिपोर्ट में हिंदू ने लिखा कि फ्रांस से बैंक गारंटी की कमी के कारण भाजपा नीत एनडीए सरकार द्वारा की गई बातचीत में राफेल सौदे की लागत 246.11 मिलियन डॉलर( लगभग 1,962 करोड़) रुपए अधिक देने पड़े।
No bank guarantees needed, because AA se dosti nibhani padegi, so what if we Indians have to pay more to Dassault to acquire Rafale jets. #ChowkidarHiChorHai https://t.co/UM39a5ENwr
— Priyanka Chaturvedi (@priyankac19) March 6, 2019