'मोदी सरकार मुसलमानों की जमीन पर कब्जा करना चाहती है', WAQF बिल पर बोले मुस्लिम धर्मगुरू

punjabkesari.in Thursday, Aug 08, 2024 - 08:52 PM (IST)

नई दिल्ली : आज लोकसभा में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया। हालांकि, इस विधेयक को आज पारित नहीं किया जा सका, और सदन में भारी हंगामा देखने को मिला। इस विधेयक के खिलाफ विपक्षी दलों ने विरोध जताया और इसे संविधान और संघवाद पर हमला करार दिया। इस विधेयक को लेकर अब मुस्लिम धर्मगुरुओं की प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं।

जमीयत उलेमा के अध्यक्ष का आरोप
जमीयत उलेमा मुंबई के अध्यक्ष मौलाना एजाज कश्मीरी ने इस विधेयक पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह विधेयक मोदी सरकार के मुस्लिमों की वक्फ की जमीन पर कब्जा करने के प्रयास का हिस्सा है। मौलाना कश्मीरी ने कहा कि सरकार की मंशा स्पष्ट है और यह बिल मुस्लिम समाज के हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए लाया गया है।

विधेयक के उद्देश्यों पर सवाल
मौलाना कश्मीरी ने आरोप लगाया कि यह विधेयक बीजेपी को वोट देने वालों को लाभ पहुंचाने के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने कहा, "यह विधेयक इसलिए पेश किया गया है ताकि मोदी सरकार मुसलमानों की वक्फ की संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित कर सके। पहले तीन तलाक को समाप्त किया गया और अब मुसलमानों की वक्फ की जमीन पर सरकार की नजर है।"

सरकार की नीयत पर सवाल
उन्होंने आगे कहा कि सरकार की नीयत मुस्लिम समुदाय के मामलों में हस्तक्षेप करने की है। "सरकार का इरादा साफ है, वे ताकत और दबाव के बल पर अपने इरादे पूरा करना चाहते हैं। सदन में विधेयक पास करना एक नंबर का खेल बन चुका है, और मोदी सरकार इसे भी अपनी मर्जी से पास करा लेगी।"

विपक्ष और मुस्लिम समाज से परामर्श की कमी
मौलाना कश्मीरी ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने इस विधेयक को लाने से पहले किसी भी मुस्लिम सांसद या बुद्धिजीवी से चर्चा नहीं की। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर केंद्र सरकार मुसलमानों के हितों के प्रति सचमुच चिंतित है, तो उन्हें मुस्लिम बच्चियों को शिक्षा के अधिकार के तहत आरक्षण प्रदान करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक पेश करते समय सरकार को विपक्ष के सभी नेताओं से भी विचार-विमर्श करना चाहिए था।

विधेयक के उद्देश्यों और प्रभावों पर बहस जारी
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर जारी राजनीतिक विवाद और विरोध ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय मंच पर एक नया मोड़ दे दिया है। मुस्लिम धर्मगुरुओं की आलोचनाओं और आरोपों के बीच, इस विधेयक के उद्देश्यों और इसके संभावित प्रभावों पर बहस जारी है। अब यह देखना होगा कि इस विधेयक पर आगे क्या निर्णय लिया जाएगा और इसका प्रभाव मुस्लिम समुदाय और देश की राजनीति पर कैसा पड़ेगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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Content Editor

Utsav Singh

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