चीन के खिलाफ मोदी सरकार की 'डिजिटल स्ट्राइक', 59 चाइनीज ऐप्स को किया बैन

Monday, Jun 29, 2020 - 09:20 PM (IST)

नई दिल्लीः लद्दाख में भारत-चीन के बीच जारी गतिरोध के बीच मोदी सरकार ने चाइनीज ऐप्स पर बड़ा एक्शन लिया है। सरकार ने टिक-टॉक समेत 59 चाइनीज ऐप पर बैन लगा दिया है। बता दें कि लद्दाख में भारत चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद खुफिया एजेंसी अलर्ट पर हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार से कहा था कि या तो चीन से जुड़े 52 मोबाइल एप्लिकेशन को ब्लॉक कर दिया जाए या लोगों को इनका इस्तेमाल ना करने की सलाह दी जाए, क्योंकि इनका इस्तेमाल करना सुरक्षित नहीं है। ये ऐप बड़े पैमाने पर डेटा को भारत से बाहर भेज रहे हैं। इनमें कुछ फेमस ऐप्स जैसे TikTok, Vigo Video, Bigo Live, We Chat, Shareit, UCNews, UC Browser जैसे ऐप शामिल हैं। केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि इंटेलिजेंस एजेंसियों की ओर से दिया गए प्रस्ताव का समर्थन नेशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल सेक्रेटिएट ने भी किया, जिसका मानना है कि ये एप भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते थे।



59 बैन चीनी अप्प के नाम (List Of Baned Chinese App)



इस साल गृह मंत्रालय ने जारी की थी एडवाइजरी
इस साल अप्रैल में गृह मंत्रालय ने जूम के इस्तेमाल को लेकर एक अडवाइजरी जारी की थी। मंत्रालय ने यह एडवाइजरी नेशनल साइबर सिक्यॉरिटी एजेंसी कंप्यूटर इमर्जेंसी रेस्पॉन्स टीम इंडिया (CERT-in) के प्रस्ताव पर जारी की थी। भारत पहला देश नहीं है जिसने सरकार में जूम एप के इस्तेमाल पर रोक लगाई। इससे पहले ताइवान ने भी सरकारी एजेंसियों को जूम एप के इस्तेमाल से रोक दिया। जर्मनी और अमेरिका भी ऐसा ही कर चुके हैं। कंपनी ने गृह मंत्रालय की अडवाइजरी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह यूजर्स की सिक्यॉरिटी को लेकर गंभीर है।



सिक्यॉरिटी से समझौता करने वाले मोबाइल एप्स पर कार्रवाई की मांग उठती रही है। वीडियो शेयरिंग एप के स्वामित्व वाली चाइनीज इंटरनेट कंपनी बाइट डांस जैसी कंपनियां इससे इनकार करती रही हैं। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि चाइनीज डिवेलपर्स की ओर से तैयार या चाइनीज लिंक्स वाले एप भले ही वह एंड्रॉयड के लिए हों या आईओस के लिए, इनका इस्तेमाल स्पाइवेयर या अन्य नुकसान पहुंचाने वाले वेयर के रूप में हो सकता है।

ऐसी खबरें थीं कि सिक्यॉरिटी एजेंसियों ने सुरक्षाकर्मियों को इन चीनी एप्स का इस्तेमाल ना करने की सलाह दी थी क्योंकि इससे उनकी डेटा सिक्यॉरिटी को खतरा था। चीन से जुड़े हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को लेकर पश्चिमी देशों की सुरक्षा एजेंसियां भी इसी तरह की चिंता जता चुकी हैं। एक तर्क यह भी दिया जाता है कि युद्ध की स्थिति में इनके जरिए कम्युनिकेशन सर्विसेज को नुकसान पहुंचा सकता है। 

Yaspal

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