CBI के मामले में मनमोहन का अनुसरण किया मोदी ने

punjabkesari.in Thursday, Oct 26, 2017 - 09:15 AM (IST)

नेशनल डेस्कः केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) के मामले में मोदी सरकार ने वही कुछ किया जो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2014 के शुरू में किया जब अर्चना रामसुंदरम को सी.बी.आई. में शामिल किया गया था। यू.पी.ए. सरकार ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सी.वी.सी.) की आपत्तियों की अनदेखी की और अर्चना को सी.बी.आई. में अतिरिक्त निदेशक के रूप में नियुक्त कर दिया। सी.वी.सी. एक्ट के अनुसार सी.बी.आई. में अधीक्षक पद के रैंक के ऊपर की सभी नियुक्तियां सी.वी.सी. समिति द्वारा मंजूरी मिलने के बाद की जाती हैं। इस समिति में गृह सचिव, डी.ओ.पी.टी. सचिव और सी.बी.आई. निदेशक पर्यवेक्षक के रूप में होते हैं।

घमंडी यू.पी.ए. सरकार ने आपत्तियों को अनदेखा किया और अर्चना को नियुक्त कर दिया। राहुल गांधी ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से यू.पी.ए. के घमंडी होने की बात स्वीकार की। आर.टी.आई. कार्यकत्र्ता विनीत नारायण ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसने सरकार के आदेश को खारिज कर दिया और अर्चना को सी.बी.आई. से बाहर का रास्ता दिखाया। सी.बी.आई. में राकेश अस्थाना की नियुक्ति के मामले में अब यह बात खुलकर सामने आई है कि सी.वी.सी. ने विशेष निदेशक के रूप में पदोन्नति के रूप में उनके नाम को मंजूरी नहीं दी।

यद्यपि प्रधानमंत्री मोदी खुद अस्थाना को 3 वर्ष पूर्व गुजरात से सी.बी.आई. में अतिरिक्त निदेशक के रूप में लाए थे। उस समय अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार की कोई शिकायत नहीं थी मगर इस वर्ष अगस्त के शुरू में एनफोर्समैंट डायरैक्टोरेट ने गुजरात की एक स्टॄलग बायोटैक कम्पनी के परिसरों में छापे मारे और एक डायरी समेत कुछ दस्तावेज बरामद किए। इस डायरी में अस्थाना का नाम कुछ आयकर अधिकारियों के साथ लिया गया है जिन्होंने धन प्राप्त किया था। अस्थाना तब सूरत के पुलिस आयुक्त थे।


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