मोदी सरकार का बड़ा फैसला, तीन तलाक पर अध्यादेश को दी मंजूरी

Wednesday, Sep 19, 2018 - 05:50 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से आजादी दिलाने की ठान ली है। सरकार ने तीन तलाक को गैर-कानूनी बनाने वाले अध्यादेश को आज मंजूरी प्रदान कर दी है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून का रूप ले लेगा जिसके तहत तीन तलाक देने वाले पति को तीन साल तक की कैद हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी।


राज्यसभा में अटक गया था विधेयक
तीन तलाक से संबंधित विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है लेकिन राज्यसभा में यह अटक गया था। अध्यादेश के अनुसार, पत्नी को मौखिक लिखित या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से तलाक देना गैर-कानूनी होगा। इसके लिए तीन साल की सजा तथा जुर्माने का प्रावधान है। नाबालिग बच्चे के पालन-पोषण की जिम्मेदारी पीड़िता को मिलेगी तथा पीड़िता तथा नाबालिग बच्चे के भरण-पोषण के लिए उसका पति मजिस्ट्रेट द्वारा तय पैसे देगा। पुलिस सिर्फ स्वयं पीड़िता, उससे खून का रिश्ता रखने वालों और शादी के बाद बने उसके रिश्तेदारों की शिकायतों पर ही संज्ञान लेगी। 


विधेयक में समझौते का प्रावधान भी शामिल
विधेयक में समझौते का प्रावधान भी शामिल किया गया है, लेकिन समझौता कराने का अधिकार सिर्फ मजिस्ट्रेट को होगा। वह उचित शर्तों पर पति-पत्नी के बीच समझौता करा सकता है। मजिस्ट्रेट को यह अधिकार भी दिया गया है कि वह पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद आरोपी पति को जमानत दे सकता है। हालांकि इस कानून के तहत हुई गिरफ्तारी की जमानत थाने से मिलना संभव नहीं होगा। 

महिला सशक्तीकरण की दिशा में बडा कदम: रविशंकर प्रसाद 
विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तीन तलाक पर पिछले साल के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भी निरंतर इसके मामले सामने आ रहे थे। मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने और उनकी लैंगिक समानता अक्षुण्ण रखने के लिए इस तरह का कानून अत्यावश्यक हो गया था। इसलिए सरकार राज्यसभा में विधेयक के पारित होने का इंतजार किये बिना इस पर अध्यादेश लेकर आयी है। यह जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में प्रभावी होगा। हालांकि पुराने मामलों में यह अध्यादेश प्रभावी नहीं होगा। उन्होंने विपक्षी दल कांग्रेस पर विधेयक पर वोट बैंक की राजनीति करने और इसे जानबूझकर राज्यसभा में अटकाने का आरोप लगाया।  

विधेयक में किए गए तीन संशोधन 
मोदी कैबिनेट ने इस बिल में 9 अगस्त को तीन संशोधन किए थे, जिसमें ज़मानत देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा और कोर्ट की इजाज़त से समझौते का प्रावधन भी होगा। अब इस बिल को मंजूरी के लिए राष्‍ट्रपति के पास भेज दिया है। मोदी कैबिनेट ने तीन तलाक विधेयक पर अध्यादेश लाया है। अब इसे 6 महीने के भीतर दोनों सदनों से पारित करनावा होगा।

पहला संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था। इतना ही नहीं पुलिस खुद की संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि अब पीड़िता, सगा रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेगा।

दूसरा संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध था। पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी लेकिन अब नया संशोधन यह कहता है कि मजिस्ट्रेट को ज़मानत देने का अधिकार होगा। 

तीसरा संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले समझौते का कोई प्रावधान नहीं था। लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा

vasudha

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