मिशन 2019: एक बार फिर कमल खिलाएंगे प्रशांत?

Saturday, Jul 14, 2018 - 12:08 AM (IST)

नेशनल डेस्कः चुनाव रणनीतिकार के तौर पर अपनी पहचान बना चुके प्रशांत किशोर एक बार फिर बीजेपी के चुनाव प्रचार की कमान बागडोर थाम सकते हैं। बीते छह साल में प्रशांत किशोर के सफर ने कई मोड लिए, बीजेपी का 2012 गुजरात कैम्पेन हो या 2014 लोकसभा चुनाव, किशोर को नरेंद्र मोदी के रणनीतिकार के तौर पर देश ने जाना। एक वक्त ऐसा भी आया कि किशोर ने बीजेपी के धुर विरोधियों से हाथ मिलाकर पहले उनके लिए बिहार और फिर उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बिसात बिछाई। किशोर ने एक दशक से भी कम वक्त में भारतीय राजनीति के एक बड़े स्पेक्ट्रम को कवर कर लिया है।



किशोर ने 2019 के महामुकाबले से पहले घरवापसी का मन बना लिया है। बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक किशोर ठीक वहीं पहुंचने लगे हैं जहां से छह साल पहले उन्होंने शुरूआत की थी। सूत्रों के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के पूर्व हेल्थ स्पेशलिस्ट किशोर 2014 की तरह 2019 कैम्पेन के लिए भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाह देते नजर आ सकते हैं।



पार्टी में गहरी पकड़ रखने वाले सूत्रों का कहना है कि बीते कुछ महीनों में किशोर प्रधानमंत्री के साथ हुई मुलाकात हो चुकी हैं, अगले साल के आम चुनाव के लिए फॉरवर्ड प्लानिंग के लिए किशोर की प्रधानमंत्री के साथ कुछ मुलाकात निर्धारित वक्त से भी कहीं ज्यादा देर कर हुईं। सूत्रों का कहना है कि किशोर बीजेपी को युवा वर्ग का समर्थन जुटाने पर खास जोर देने की सलाह दी है। किशोर का मानना हा कि 2014 से पहले युवाओं को साथ जोड़ने के लिए जितनी मेहनत की गई थी, वैसा ही मजबूत कनेक्ट अब किए जाने की आवश्यकता है।



चुनावी रणनीतिकार किशोर ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ अतीत के कथित मदभेदों को भी लगता है भुला दिया। सूत्रों के अनुसार किशोर की शाह के साभ भी उनके घर पर कई बैठकें हुई हैं। एक इनसाइडर का कहना है कि इन दोनों ने कभी एक साथ काम करने का फैसला नहीं किया होता तो यह दोनों ऐसे एक साथ लंच, डिनर नहीं कर रहे होते। अगर प्रधानमंत्री कहते हैं कि सभी को मिलकर काम करना होगा तो कोई भी प्रधानमंत्री की सलाह से अलग नहीं जा सकता।



2014 के आम चुनाव के बाद किशोर ने पार्टी में किसी ऊंचे ओहदे की मांग की थी, जिसके लिए अमित शाह ने इंकार कर दिया था। इसके बाद दोनों के रिश्तों में तल्खी आ गई और किशोर ने बीजेपी के धुर विरोधियों से रणनीतिकार के तौर पर हाथ मिला लिया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस बार, किशोर को साफ कर दिया गया है कि उनका रिश्ता बीजेपी के साथ सिर्फ 2019 तक रहेगा।

Yaspal

Advertising