मिशन 2019: चुनावी सीजन में बढ़ी डिटेक्टिव्ज की मांग, विरोधी खेमे की जासूसी पर मिल रहे 1 लाख से 60 लाख रुपए

Sunday, Apr 07, 2019 - 03:41 PM (IST)

 

नई दिल्ली: चुनाव के इस मौसम में निजी जासूसी एजेंसियों की बहुत मांग है क्योंकि उम्मीदवार और विभिन्न राजनीतिक दल अपने प्रतिद्वंद्वियों के राज और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने वाली जानकारियों का पता लगाने के लिए जासूसों की सेवाएं ले रहे हैं। इस उद्योग से जुड़े लोगों ने बताया कि एजेंसियों को विरोधी खेमे की हर दिन की गतिविधियों और चुनावों के लिए वे क्या रणनीतियां बना रहे हैं, उनका पता लगाने का काम दिया है। जिन लोगों को टिकट नहीं दिए गए वे भी इन जासूसी एजेंसियों की सेवाएं ले रहे हैं ताकि उन लोगों के प्रचार अभियान को बर्बाद कर सकें जो चुनाव लड़ रहे हैं।

‘एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डिटेक्टिव्ज एंड इन्वेस्टिगेटर्स’ के अध्यक्ष कुंवर विक्रम सिंह ने बताया कि राजनीतिक दल अपने विरोधियों पर नजर रखने के लिए जासूसी एजेंसियों की सेवाएं ले रहे है ताकि विरोधियों की रणनीतियों और उनके छिपे आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारियां, अवैध संबंधों या वीडियो की जानकारियां निकाल सकें जिससे उनके चुनाव प्रचार अभियान की धज्जियां उड़ाई जा सके। उन्होंने कहा कि वे लोग भी एजेंसियों से संपर्क कर रहे हैं जिन्हें टिकट नहीं दी गई ताकि पार्टी के उम्मीदवार की छवि बिगाड़ी जा सके ओर चुनाव जीतने की उनकी संभावनाओं को खत्म किया जा सके।

जीडीएक्स डिटेक्टिव्ज के प्रबंध निदेशक महेश चंद्र शर्मा के मुताबिक, चुनावी मौसम के दौरान निजी जासूसी एजेंसियों की सेवाएं लेना अब एक चलन बन गया है। एक एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि सेवाओं के लिए एक लाख रुपए से लेकर 60 लाख रुपए तक का शुल्क लिया जा रहा है। ग्राहक अपने मनपसंद के नतीजे पाने के लिए पैसा खर्च करने से परहेज नहीं कर रहे हैं।

Seema Sharma

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