न्यूनतम मजदूरी संशोधन विधेयक लोकसभा से पास, जानिए क्या होंगे फायदे?
Tuesday, Jul 30, 2019 - 07:42 PM (IST)
नई दिल्लीः लोकसभा ने मंगलवार को मजदूरी संहिता 2019 संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करना, कारोबार अनुकूल माहौल को बढ़ावा देना सहित श्रमिक कल्याण को मजबूत बनाया गया है। निचले सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि यह मजदूरों को न्यूनतम वेतन तथा देश के 50 करोड़ कामगारों को समय पर वेतन भुगतान सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
मेक इन इंडिया को मिलेगा बढ़ावा
गंगवार ने कहा कि यह कदम मजदूरों के जीवन को सरल बनाने, मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने और व्यापार सुगमता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। गंगवार ने कहा कि इस विधेयक में प्रावधान है कि मजदूर तीन वर्ष के भीतर दावा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें निरीक्षण की व्यवस्था को पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाया गया है। इससे संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के 50 करोड़ मजदूरों को लाभ मिलेगा।
मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकार करते विधेयक को मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्री गंगवार ने कहा कि 2002 में इस पर श्रम संबंधी समिति ने विचार किया था और कहा था कि श्रम संबंधी 44 कानूनों को कम किया जाए। 2014 में हमारी सरकार आने के बाद इस दिशा में पहल हुई और अब हम इसे लेकर आये हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में श्रम संगठनों, राज्यों, उद्योगपतियों से चर्चा की गई है। यह वास्तव में मजदूरों के हित में है।
44 श्रम कानूनों को खत्म किया गया
विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि न्यूनतम मजदूरी में हर पांच साल में संशोधन किया जाएगा। वेतन संहिता विधेयक सरकार की ओर से परिकल्पित चार संहिताओं में से एक है। ये चार संहिताएं पुराने 44 श्रम कानूनों की जगह लेंगी। विधेयक के उद्देश्यों में बताया गया है कि ये निवेशकों की सहूलियत और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए निवेश को आकर्षित करने में मदद करेंगी। ये चार संहिताएं वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा एवं कल्याण और औद्योगिक संबंध से जुड़ी हैं।
वेतन पर कोड सभी कर्मचारियों के लिए क्षेत्र और वेतन सीमा पर ध्यान दिए बिना सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन और वेतन के समय पर भुगतान को सार्वभौमिक बनाता है। वर्तमान में न्यूनतम वेतन अधिनियम और वेतन का भुगतान अधिनियम दोनों को एक विशेष वेतन सीमा से कम और अनुसूचित रोजगारों में नियोजित कामगारों पर ही लागू करने के प्रावधान हैं।
- न्यूनतम मजदूरी में हर पांच साल में संशोधन किया जाएगा
- हर कामगार के लिए भरण-पोषण का अधिकार सुनिश्चित होगा
- मौजूदा लगभग 40 से 100 प्रतिशत कार्यबल को न्यूनतम मजदूरी के विधायी संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
- हर कामगार को न्यूनतम वेतन मिले, जिससे कामगार की क्रय शक्ति बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।
- न्यूनतम जीवन यापन की स्थितियों के आधार पर गणना किये जाने वाले वैधानिक स्तर वेतन की शुरूआत से देश में गुणवत्तापूर्ण जीवन स्तर को बढ़ावा मिलेगा
- करीब 50 करोड़ कामगार इससे लाभान्वित होंगे। इस विधेयक में राज्यों द्वारा कामगारों को डिजिटल मोड से वेतन के भुगतान को अधिसूचित करने की परिकल्पना की गई है
- इससे प्रतिष्ठान भी लाभान्वित होंगे, क्योंकि रजिस्टरों की संख्या, रिटर्न और फॉर्म आदि न केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरे जा सकेंगे और उनका रख-रखाव किया जा सकेगा
- न्यूनतम वेतन निर्धारण मुख्य रूप से स्थान और कौशल पर आधारित होगा।
- वेब आधारित बिना बारी के कम्प्यूटरीकृत निरीक्षण योजना, अधिकार क्षेत्र मुक्त निरीक्षण, निरीक्षण के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से जानकारी मांगना और जुर्मानों का संयोजन आदि शामिल हैं।