तिहाड़ ही नहीं, पूरे देश की जेलों में बुरा हाल! जानिए किस राज्य की जेलों में है सबसे ज्यादा ओवरक्राउडिंग?

punjabkesari.in Tuesday, Sep 30, 2025 - 09:04 AM (IST)

नेशनल डेस्क। देश की जेलों में सालों से चली आ रही भीड़भाड़ की समस्या में थोड़ी कमी आई है जिससे जेल प्रशासन ने हल्की राहत की सांस ली है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी जेल सांख्यिकी रिपोर्ट 2023 के अनुसार पिछले साल की तुलना में कैदियों की कुल संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।

 

कैदियों की संख्या और भीड़ में गिरावट

2023 के आंकड़ों के अनुसार जेलों की अधिभोग दर (Occupancy Rate) में कमी आई है जिसका मतलब है कि जेल की क्षमता से ज्यादा कैदियों का अनुपात घटा है:

वर्ष कैदियों की कुल संख्या अधिभोग दर (क्षमता से अधिक भीड़)
2023 5,30,333 120.8%
2022 5,73,220 131.4%
2021 -- 130.2%

अधिभोग दर 100% से ऊपर होने का मतलब है कि जेल में क्षमता से ज्यादा कैदी हैं। इस दर में गिरावट आने से देशभर की जेलों में भीड़भाड़ कुछ कम हुई है।

 

दिल्ली की जेलों का सबसे बुरा हाल

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली की जेलों में भीड़भाड़ का स्तर सबसे ज़्यादा है।

  • दिल्ली: जेलों की अधिभोग दर 200% है जिसका मतलब है कि क्षमता से दोगुने कैदी यहाँ बंद हैं।

  • तेलंगाना: प्रमुख राज्यों में तेलंगाना की जेलों में सबसे कम अधिभोग दर 72.8% दर्ज की गई यानी वहाँ जेलों में पर्याप्त जगह है।

 

विचाराधीन कैदी और विदेशी नागरिक

रिपोर्ट में कैदियों की श्रेणियों पर भी अहम जानकारी दी गई है:

  • विचाराधीन कैदी (Undertrials): कुल कैदियों में विचाराधीन कैदियों (जिन पर अभी मुकदमा चल रहा है) की हिस्सेदारी में भी कमी आई है। 2023 में यह संख्या कुल कैदियों का 73.5% थी जो 2022 में 75.8% थी।

  • विदेशी कैदी: जेलों में बंद विदेशी कैदियों की हिस्सेदारी 2021 के 1% से बढ़कर 2023 में 1.3% हो गई है। इनमें बांग्लादेशी नागरिक देश में दोषी और विचाराधीन दोनों श्रेणियों में सबसे आगे हैं।

  • शिक्षा का स्तर: कुल 5,30,333 कैदियों में से लगभग दो-तिहाई कैदी या तो निरक्षर (23.8%) थे या उन्होंने माध्यमिक शिक्षा पूरी नहीं की थी।

 

सजा और जेल में बिताया गया समय

  • दोषी कैदी: कुल 1,35,536 दोषी कैदियों में से 55.4% कैदी आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे थे।

  • विचाराधीन कैदी: 3,89,910 विचाराधीन कैदियों में से लगभग एक-तिहाई कैदी एक साल या उससे ज्यादा समय से जेल में बंद हैं।

यह रिपोर्ट बताती है कि भले ही कुल कैदियों की संख्या में कमी आई हो लेकिन जेलों में भीड़भाड़ और न्याय में देरी (खासकर विचाराधीन कैदियों के मामलों में) जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Rohini Oberoi

Related News