दुश्मनों का मुकाबला करने में कितने सक्षम हैं हम

Saturday, Apr 09, 2016 - 03:24 PM (IST)

आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान में 1948, 1965, 1971 और 1999 में चार युद्ध हो चुके हैं। हर बार पाकिस्तान ने मुंह की खाई है। फिर भी वह बाज नहीं आ रहा है और भारत को उकसाना जारी रखा है। पाकिस्तान ने 1971 की लड़ाई में मिली हार के बाद से अपनी सैनिक ताकत बढ़ाने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। उसने 2013 में अपने वित्तीय वर्ष के लिए रक्षा बजट में 15% फीसदी की जबरदस्त बढ़ोत्तरी की थी। उसने यह बजट 627.2 अरब रुपए (करीब 6.32 अरब डॉलर) का रखा था। भारत ने भी अपने रक्षा बजट में करीब पांच फीसदी की बढ़ोत्तरी करते हुए इसे 203,672 करोड़ रुपए (करीब 37 अरब डॉलर) कर दिया। 

भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015 के रक्षा बजट में 7.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी करके इसे बढ़ाकर 2 लाख 46 हज़ार 727 करोड़ रुपए कर दिया। तब भी माना गया था कि सेना की ज़रूरतों को देखते हुए यह बढ़ोतरी नाकाफी है। इसके बाद 2016-17 में सरकार ने रक्षा बजट में महज 4.58 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है। इस साल सरकार ने रक्षा बजट के मद में 3.40 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया। इसमें वन रैंक वन पेंशन को लागू किए जाने के लिए दी गई 82,332 करोड़ रुपए की रकम भी शामिल की गई। तीनों सेनाओं को आधुनिकीकरण के लिए अगले बजट में 78586 करोड़ रुपए तय किए गए हैं। यह राशि पहले से बड़ी है, लेकिन सेना में तोपों और अन्य उपकरणों की भारी कमी है। नौसेना एवं वायुसेना को आधुनिक किया जा रहा हैं। रक्षा विशेषज्ञों ने इस बढ़ोतरी को संतोषजनक नहीं माना था।
राफेल विमानों समेत रक्षा मंत्रालय के 86 महत्वपूर्ण सौदे अगले वित्तीय वर्ष के दौरान होने की संभावना है। इनके लिए 1.5 लाख करोड़ रुपए की जरुरत होगी। इस आवंटन में यह संभव नहीं है। इसलिए इन सौदों के लिए अलग से मंजूरी देनी पड़ेगी। संसद की समिति ने पिछले साल अपनी रिपोर्ट में टैंकों, मिसाइलों, गोला बारूद, बुलेट प्रूफ जैकेट्स और नाइट विज़न उपकरणों की कमी को लेकर सरकार के होश उड़ा दिए थे। मोदी सरकार ने भारतीय सेना को मजूबत करने और नए हथियार खरीदने का इरादा जताया था,लेकिन वह पेंशन और सैलरी के दबाव की वजह सैनिकों की संख्या में कटौती करने की सोचने लगी। क्या ऐसी स्थिति में भारत चीन की सीमा पर अपनी सेना को और ज्यादा मजबूत कर पाएगा?

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटीजिक स्टडीज की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के पास सबसे ज़्यादा 22,85,000 लड़ाकू सैनिक हैं। भारत के पास 13,25,000 सैनिक हैं, जबकि पाकिस्तान के पास 6,17,000 थल सैनिक हैं। पाकिस्तान के पास सिर्फ 65 हजार वायुसैनिक हैं। भारतीय वायुसेना विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना मानी जाती  है। इसमें 1 लाख 27 हजार जवान हैं। चीन के पास 1,669 लड़ाकू विमान हैं। इनमें जे-11, जे-10, सुखोई-30 और जेएच-7 जैसे फाइटर प्लेन शामिल हैं। भारत के पास करीब 1,380 लड़ाकू विमान हैं। इनमें सुखोई, मिराज, मिग-29, मिग-27, मिग-21 और जगुआर शामिल हैं। पाकिस्तान के पास करीब 500 लड़ाकू विमान हैं। इनमें चीनी एफ-7, अमेरिकी एफ-16 और मिराज शामिल हैं। भारत के पास एक एयरकाफ्ट करियर भी है, जो पाकिस्तान के पास नहीं है।

चीन के पास 13 हज़ार किलोमीटर रेंज वाली डांग फेंग-5 और इसी सीरीज की अन्य मिसाइलें हैं। भारतीय सेना में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस, अग्नि, पृथ्वी, आकाश और नाग जैसी मिसाइल हैं। पाकिस्तान के पास गौरी, शाहीन, गजनवी, हत्फ और बाबर जैसी मिसाइल हैं। ब्रह्मोस की तकनीक सबसे आधुनिक है। इसे 5 मिनट में दागने के लिए तैयार किया जा सकता है। युद्धपोत के मामले में चीन के पास 75,भारत के पास 27 और पाकिस्तानी के पास 11 युद्धपोत हैं। चीन के पास 150 से 200 परमाणु हथियार हैं। भारत के पास 50 से 90 परमाणु हथियार हैं। पाक सेना के पास 50 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल पर आधारित एक पुस्तक में दावा किया गया था कि अगर भारत और पाकिस्तान में परमाणु युद्ध होता है तो इसमें भारत के कम से कम 50 करोड़ लोग मारे जाएंगे। पाकिस्तान को इसका बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा, भारत पूरे पाकिस्तान को बर्बाद कर देगा।

भारत के पास पाकिस्तान से सटे 12 एयर बेस हैं जहां मिग, जगुआर, सुखोई और मिराज जैसे लड़ाकू विमान तैनात हैं। इसके मुकाबले पाकिस्तानी वायुसेना के पास 7 एयरबेस हैं जहां मिराज, जेएफ और एफ 16 जैसे लड़ाकू विमानों की तैनाती है। आधुनिक अवॉक्स एयरक्राफ्ट के मामले में पाकिस्तान ने भारत को पीछे छोड़ दिया है।  ये रडार युक्त विमान होते हैं जो दुश्मन देश के प्लेन, पानी के जहाज और मिसाइल की जानकारी दे सकते हैं। भारत के पास फिलहाल सिर्फ 3 अवॉक्स एयरक्राफ्ट हैं जबकि पाकिस्तान में 9 हैं। भारतीय नेवी पाकिस्तान के मुकाबले जरूर मजबूत है। भारत के पास करीब 58,350 नौ सैनिक हैं। पाकिस्तान के पास मात्र 25 हजार है। भारत के पास 27 पनडुब्बियां, जबकि पाकिस्तान के पास 10 पनडुब्बियां हैं। भारत के पास 27 युद्धपोत हैं, जबकि पाकिस्तान के पास 11 युद्धपोत हैं। 

भारतीय सेना की तोपखाना शाखा में पिछले कई वर्षों से भारतीय सेना के लिए कोई भी नई तोप नहीं खरीदी गई है। सेना की तोपें काफी पुरानी हैं और अब उनके कल पुर्जे नहीं मिलते। 1999 में कारगिल युद्ध के बाद भी भारतीय सेना की यही कमजोरियां उजागर हुई थीं। गोला-बारूद के बारे में नियम यह है कि युद्ध में खप जाने वाले वेस्टेज रिजर्व कम से कम 40 दिनों के युद्ध लिए पर्याप्त होने चाहिए। कम समय टिकने वाले गोला-बारूद कम से कम 21 दिन के लिए होने चाहिए। एक बार तत्कालीन थलसेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने कहा था कि सही ढंग से बजट मुहैया होना बहुत जरूरी है। इससे साफ हो गया कि सेना के पास 50 प्रतिशत डब्ल्यूडब्ल्यूाआर नहीं था। यदि डब्ल्यूडब्ल्यूाआर को 100 प्रतिशत तक पहुंचना है तो इसके लिए वर्ष 2019 तक का समय लग सकता है। जब हथियारों की भारी कमी हो तो सेना की युद्ध के लिए तैयारी प्रभावित होती है। सैनिकों के प्रशिक्षण में भी बाधा आती है। सैन्य सूत्रों का मानना था कि देश के 39 आयुध कारखानों में सेना की जरूरत के हिसाब से उत्पादन भी नहीं हो रहा है।

सवाल है कि क्या भारतीय सेना की जरूरतों के बारे में नौकरशाहों को भी जिम्मेदार ठहराया जाए। संकट के समय में तो हम हथियारों और फौज की बाकी जरूरतों के बारे में बात करते हैं लेकिन संकट बीत जाने के बाद हम उसे भूल जाते हैं। हम हर समय सतर्क क्यों नहीं रहते। युद्ध में सिर्फ बहादुर सैनिक ही नहीं रणनीति बनाने वाले अधिकारियों का होना जरूरी है। इसलिए सेना में जो पद खाली हैं उन पर भर्ती करने के काम में ढील नहीं बरतनी चाहिए।

 
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