बालाकोट का गाजी कश्मीर के युवकों को दे रहा आईईडी हमलों की ट्रेनिंग

Friday, Jun 21, 2019 - 04:50 PM (IST)

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के वाहनों पर आईईडी हमले का खतरा बढ़ गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस में मौजूद आतंकी विरोधी विशेषज्ञ और खुफिया अधिकारियों की मानें तो जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी अब्दुल राशिद गाजी, जो आईईडी विशेषज्ञ और जैश का ट्रेनर रह चुका है, वह कश्मीर में आईईडी हमलों के लिए जिम्मेदार है। गाजी उसी बालाकोट में आतंकियों को ट्रेनिंग देता था जहां पर 26 फरवरी को इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के मिराज जेट ने हमले किए थे। 


सोमवार को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा के अरिहाल में सेना की पेट्रोलिंग टीम को आईईडी हमले से निशाना बनाया गया। इसमें करीब नौ सैनिक घायल हुए जिनमें से दो शहीद हो गए। हमला सेना की 44 राष्ट्रीय राइफल्स टीम को निशाना बनाते हुए अंजाम दिया गया था। सेना ने इसे एक असफल प्रयास करार दिया। सेना का कहना था कि एक गाड़ी पर आईईडी मौजूद थी। 


इसके बाद बुधवार को सुरक्षाबलों ने शोपियां में एक आईईडी को डिफ्यूज किया। पुलवामा में ही 14 फरवरी को आतंकी हमला हुआ था जिसमें सीआरपीएफ  के 40 जवान शहीद हो गए थे। इसी हमले के जवाब में बालाकोट एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था। काउंटर-टेररिज्म विशेषज्ञों का कहना है कि गाजी, अफगान वॉर में हिस्सा ले चुका है। वह पाकिस्तान के खैबर पक्तूनक्वा के तहत आने वाले मनशेरा का रहने वाला है, जहां पर बालाकोट है। फिलहाल वह कश्मीर में ही है और यहां के स्थानीय आतंकियों को आईईडी का प्रशिक्षण दे रहा है। 


बताया जा रहा है कि जैश सरगना मसूद अजहर के दो रिश्तेदारों उस्मान हैदर और तल्हा राशिद की मौत का बदला लेने के लिए आईईडी हमलों की साजिश रची जा रहा है। उस्मान को सुरक्षाबलों ने साल 2017 में और तल्हा को साल 2018 में एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। गाजी ने खुद अजहर के भांजे उस्मान हैदर उर्फ हुजैफा को घाटी में लॉन्च किया था। इसके अलावा कुछ और ऑपरेटिव्स को अक्टूबर 2018 को शंकरगढ़ सेक्टर से कश्मीर भेजा गया था। हैदर को सुरक्षाबलों ने पुलवामा के त्राल में 30 अक्टूबर को हुए एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। दिसंबर 2018 में आया कश्मीर गाजी नौ दिसंबर 2018 को तीन और आतंकियों के साथ कश्मीर घाटी में दाखिल हुआ था। उसने पुलवामा में अपना ऑपरेशनल बेस बनाया। 


गाजी फिलहाल कश्मीर में ही छिपा है और स्थानीय कश्मीरी नागरिकों को आईईडी तैयार करने की ट्रेनिंग दे दहा है। इसके लिए गाजी आसानी से उपलब्ध सामान जैसे अमोनियम नाइट्रेट का सहारा ले रहा है। वहीं, कश्मीरी पुलिस विशेषज्ञों के मुताबिक आतंकियों ने आईईडी से लैस गाडिय़ों का प्रयोग तेज कर दिया है जिसे वीआईईडी के तौर पर जानते हैं। 

जैश कर रहा है आईईडी हमले
यह बात भी सच है कि घाटी में जैश काफी कमजोर होता जा रहा है। जहां उसके कैडर्स की संख्या 50 रह गई है तो वहीं, लश्कर-ए-तोयबा के पास 30 से 40 तक आतंकी है। साल 2004-2005 में बढ़ा ट्रेंड जम्मू-कश्मीर पुलिस से जुड़े सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान के आतंकी संगठन हमेशा इस बात से इनकार कर देते हैं लेकिन सच यही है कि इस तरह के हमलों के पीछे जैश का ही हाथ है। आतंकी संगठन नहीं चाहते हैं कि ट्रेन्ड आतंकियों को सुरक्षाबलों के हाथों एनकाउंटर में गंवाया जाए और इसलिए वह आईईडी का प्रयोग करने लगे हैं। यह आसान है क्योंकि किसी भी कार में इसे फिट करके किसी सडक़ पर टाइम सेट करके छोडऩा उन्हें बेहतर लगता है। 

2004 में बढ़ा था आईईडी हमलों का टें्रड
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वीआईईडी का चलन घाटी में साल 2004-2005 के समय में काफी तेजी से बढ़ा था। उस समय हिजबुल मुजाहिद्दीन और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों की ताकत कम पडऩे लगी थी।
 

Monika Jamwal

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