मील के पत्थर भी कुछ कहते हैं, जानिए क्या इन पर लगे रंगों का राज

Sunday, Dec 17, 2017 - 12:45 PM (IST)

नेशनल डैस्कः जब भी कभी हम सड़क पर लम्बी यात्रा पर जाते हैं तो अक्सर हमारा ध्यान सड़क किनारे लगे मील के पत्थरों पर जाता है। जैसे-जैसे सफर पर हम आगे बढ़ते हैं हमें इनसे पता चलता रहता है कि हमारी मंजिल अब कितनी दूर रह गई है। इन पर आने वाली जगह के नाम के साथ-साथ उनके बीच की दूरी और कई तरह के निशान लगे होते हैं। इसके साथ ही इन मील के पत्थरों का रंग भी अलग-अलग होता है।

ये पत्थर यात्रियों के लिए एक मार्कर का काम करते हैं। ये बताते हैं कि क्या आप सही दिशा में चल रहे हैं या आपकी मंजिल और कितनी दूर है? ज्यादातर ये पत्थर हर किलोमीटर पर लगाए जाते हैं लेकिन इनके अलग-अलग रंग का भी खास मतलब होता है। कहीं आपको पीले रंग के पत्थर दिखेंगे तो कहीं हरे, काले और नारंगी लेकिन इन हर रंग के पत्थरों का अलग-अलग मतलब होता है जोकि यात्रियों को कुछ सूचना देने के लिए होता है।

पीला रंग : अगर आपको रास्ते में पीले रंग के पत्थर दिखें तो समझ जाइए कि अभी आप नैशनल हाइवे पर हैं। पिछले साल के आंकड़ों की मानें तो देश में नैशनल हाईवे का नैटवर्क 1,65,000 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। ये हाईवे राज्यों और शहरों को आपस में जोड़ते हैं। सैंट्रल गवर्नमैंट इन हाईवे को मैन्टेन करती है।


हरा रंग : आपने कई जगह इन मील के पत्थरों का रंग हरा भी देखा होगा। यदि आपको हरे रंग के पट्टे दिखें तो इसका मतलब है कि आप नैशनल हाईवे से निकल कर स्टेट हाईवे पर पहुंच चुके हैं। आपको बता दें कि स्टेट हाईवे राज्यों और जिलों को आपस में जोड़ते हैं। इनकी देखरेख की जिम्मेदारी राज्य सरकार के हाथों में होती है।
 

काला रंग : क्या आपने कभी इन माइलस्टोन को काले रंग से पेंट देखा है। यदि हां तो इसका मतलब है कि अब आप सफर करते हुए किसी बड़े शहर या जिले में प्रवेश कर चुके हैं। यहां की सड़कों की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती है।
 

नारंगी रंग : अगर सफर के दौरान आपकी नजर नारंगी रंग के माइलस्टोन पर पड़े तो इसका अर्थ है कि आप किसी गांव में पहुंच चुके हैं। ये सड़कें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बनाई गई होती हैं।

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