महिलाओं से ज्यादा संवेदनशील पुरुष, घरेलू हिंसा के चलते दे रहे जान
Sunday, Sep 09, 2018 - 01:39 PM (IST)
नेशनल डेस्क: देश में विवाहित महिलाओं से ज्यादा शादीशुदा पुरुषों द्वारा खुदकुशी करने की घटनाओं के मद्देनजर सवाल उठ रहा है कि महिला आयोग की तर्ज पर देश में क्या एक पुरुष आयोग की भी जरूरत है? राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्डस ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि हर एक विवाहित महिला की खुदकुशी की तुलना में घरेलू हिंसा और पत्नी द्वारा प्रताडि़त करने की वजह से दो शादीशुदा मर्द आत्महत्या करते हैं।
पुरुषों के लिए भी आयोग की जरूरत
पीड़ित पुरुषों के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन का कहना है कि देश को पुरुष आयोग पहले ही मिल जाना चाहिए था। वर्ल्ड्स राइट्स इनिशिएटिव फॉर शेयर पेरेंटिंग (सीआरआईएसपी) के संस्थापक कुमार जाहगीरदार ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्डस के आंकड़ें पुरुषों के लिए राष्ट्रीय निकाय गठित करने की मांग को न्योचित ठहराते हैं। उन्होंने कहा कि बहुत से पिता आत्महत्या कर रहे हैं क्योंकि वे अपने बच्चों से मिल नहीं पाते हैं। पुरुषों को महिलाओं से ज्यादा संवेदनशील बताते हुए जाहगीरदार ने कहा कि सरकार को ‘राष्ट्रीय पुरुष आयोग’ के गठन पर विचार करना चाहिए।
देश में पुरुषों के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रवैया
देश में सोमवार को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाना है। उन्होंने कहा कि यह देश पुरुषों के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रवैया रखता है। पुरुष महिलाओं से ज्यादा खुदकुशी करते हैं। पितृसत्ता महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करती है। कोई भी विवाहित मर्दों की खुदकुशी पर बात नहीं करता है। हर साल सैकड़ों पुरुष दहेज के झूठे विवादों के कारण जान दे देते हैं।
पुरूषों के लिए हेल्पलाइन की जरूरत
दिलचस्प है कि उत्तर प्रदेश से सत्तारूढ़ भाजपा के दो सांसदों-- हरिनारायण राजभर और अंशुल वर्मा ने हाल में मांग की है कि कानून के ‘दुरुपयोग’ की वजह से अपनी पत्नियों की ज्यादतियां सहन करने वाले पुरुषों की शिकायत पर गौर करने के लिए एक आयोग का गठन किया जाना चाहिए। जाहगीरदार ने यह भी कहा कि पुरुषों के लिए 24/7 हेल्पलाइन की जरूरत है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2015 में भारत में 1,33,623 लोगों ने आत्महत्या की थी जिसमें से 91,528 (68 फीसदी) पुरुष थे जबकि 42,088 महिलाएं थीं। एनसीआरबी के मुताबिक, 2015 में 86,808 शादीशुदा लोगों ने खुदकुशी की थी जिनमें से 64,534 (74 प्रतिशत) पुरुष थे।