ब्रह्मपुत्र पर चीन के बांध बनाने की योजना पर संकट के बादल

Thursday, Apr 29, 2021 - 05:56 PM (IST)

बीजिंग: चीन की तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक बांध बनाने की योजना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं । भारत पहले ही अरुणाचल प्रदेश की सीमा के नजदीक  ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाले इस बांध परियोजना के खिलाफ रहा है। लेकिन अब ग्लेशियरों के लगातार पिघलने से और उन इलाकों में पानी का रास्ता अवरुद्ध होने से बनी प्राकृतिक झीलों के कारण चीन को इस योजना में अब भारी खतरा नजर आ रहा है।

 
 ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर दुनिया का सबसे बड़ा जल विद्युत बांध बनाने की चीन की योजना को पिघलते ग्लेशियर से खतरा हो सकता है।  चीन के एक अधिकारी ने कहा कि मेडोग काउंटी में प्रस्तावित बांध बनेगा और ‘‘इतिहास में इस तरह का कोई दूसरा बांध नहीं होगा'', जहां ब्रह्मपुत्र ग्रैंड केनयन स्थित है। मेडोग तिब्बत का अंतिम काउंटी है जो अरूणाचल प्रदेश की सीमा के पास स्थित है। इस बड़े बांध को बनाने की योजना इस वर्ष से है जो चीन के 14वें पंचवर्षीय योजना का हिस्सा है। इसे पिछले वर्ष मार्च में चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने मंजूरी दी थी।

 

हांगकांग के ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' के अनुसार  इंजीनियर बांध को भूस्खलन और बैरियर लेक (कृत्रिम जलाशय) से खतरे को लेकर चिंतित हैं। इसने कहा, ‘‘योजना में ग्लेशियर बाधा डाल सकते हैं। 2018 में पिघलते ग्लेशियर के कारण हुए एक भूस्खलन से मिलिन काउंटी में सेडोंगपू बेसिन के पास यारलुंग सेंगपो (ब्रह्मपुत्र नदी की ऊपरी धारा) बाधित हो गई थी।'' इसने कहा कि इससे 600 मिलियन घनमीटर का एक जलाशय बन गया। वर्तमान में इसके ऊपर से बह रही नदी के कारण बांध किसी भी समय ढह सकता है। खबर में कहा गया है कि बड़ा बांध बनाने के लिए उन्हें भूस्खलन से बने छोटे बांध से निजात पाना होगा। 

 

 

Tanuja

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