नजरिया: क्या फिर शुरू हो गई बांटने की सियासत?

Friday, Jul 13, 2018 - 03:09 PM (IST)

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा ): क्या एक सोची समझी रणनीति के तहत देश को तोडऩे की कोई बड़ी कोशिश हो रही है? यह सवाल इसलिए  पूछा जा रहा है क्योंकि हाल ही में कुछ बड़े नेताओं के ऐसे ब्यान आए हैं जो ऐसा आभास देते हैं कि देश में तय रणनीति के तहत  साजिशों की सियासत हो रही है।  कभी शशि थरूर हिन्दू पाकिस्तान की बात करते हैं, कभी धार्मिक मुफ्ती अलग मुस्लिम राष्ट्र की बात करते हैं। कभी आर्क बिशप  धार्मिक तनाव बढ़ाने वाले खत लिखते हैं। और अब इसी कड़ी में महबूबा मुफ्ती का सलाहुदीन पैदा  होने वाला ब्यान भी जुड़ गया है। बीते कल शशि थरूर ने ये कहा था कि अगर 2019 में बीजेपी जीती तो भारत हिन्दू पाकिस्तान बन जाएगा। 


कांग्रेस की तमाम फटकार के बावजूद थरूर अभी भी अपने बयान पर कायम हैं। इसी बीच जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आज एक बड़ा ब्यान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर पीडीपी को तोडऩे की कोशिश हुई तो कई सलाहुदीन पैदा होंगे। यह अपने आप में चौंकाने वाला ब्यान है। महबूबा मुफ्ती आज कथित शहीदी दिवस पर कश्मीर के कथित शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने गयी थीं। उसी अवसर पर उन्होंने यह ब्यान दिया।


दिलचस्प ढंग से शहीदी दिवस को लेकर नजरबंद अलगाववादी नेता यासीन मालिक की बेगम मुशैल मलिक ने भी पाकिस्तान से एक भड़काने वाला वीडियो पोस्ट किया है। मुशैल मलिक अक्सर पाकिस्तान से अपने ट्विटर हैंडल पर भारत विरोधी ब्यान पोस्ट करके कश्मीरियों को भड़काती रहती हैं। ऐसे में में एक ही दिन  दो अलग अलग जगहों से आए महबूबा और मुशैल के बयानों में समानता साफ करती है कि  कोशिश क्या है। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। कुछ और भी हैं जो भड़काऊ ब्यान दे रहे हैं। महबूबा, मुशैल और शशि थरूर के बयानों से ठीक पहले जम्मू कश्मीर के एक डिप्टी मुफ्ती ने देशद्रोही बयान दिया था। कश्मीर के डिप्टी मुफ्ती आजम नसीर-उल- इस्लाम ने अलग मुस्लिम राष्ट की मांग की थी। मुफ्ती के मुताबिक 17 करोड़ की आबादी पर पाकिस्तान बन गया, तो हम तो 20 करोड़ हैं । 



बता दें कि मुफ्ती नासिर कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम बशीरुद्दीन के पुत्र हैं, जिन्होंने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए वादी में सेटलाइट सिटी बसाने का विरोध किया था।डिप्टी मुफ्ती नासिर-उल-इस्लाम इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर भी विरोध जता चुके हैं जिसमें शरिया अदालतों को अवैध करार दिया गया था। 2014 में जब यह फैसला आया था तब मुफ्ती ने कहा था कि मजहबी मामलों में वह दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करेंगे। अब अगर सबको जोड़कर देखा जाए तो बात साफ है कि बीजेपी विरोध के नाम पर देश में धर्म आधारित तनाव को भड़काने की कोशिश हो रही है। ये कोशिश हमें कहां ले जाएगी यह हम सबको सोचना होगा और  यह भी सोचना होगा कि  ऐसे नेताओं, दलों और मुफ्तियों का भी क्या इलाज किया जाए। 
 

Anil dev

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