मीना और रोमा बचा चुकी हैं कई जवानों की जान

Monday, Dec 30, 2019 - 03:09 PM (IST)

नेशनल डेस्कः सेना के अधिकारी ट्रैकर श्वान ‘रोमा’ के काम को याद करते हैं। ‘रोमा’ ने इस साल के शुरू में हिमस्खलन होने से पहले सैनिकों को सतर्क किया था और अस्थायी शिविर को हटवाया था। इसके कुछ घंटे बाद ही हिमस्खलन ने क्षेत्र में काफी नुक्सान किया था। इस साल के शुरू में, लैब्राडोर नस्ल की ‘मीना’ नाम की श्वान ने सैनिकों को राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगे आई.ई.डी. के बारे में सतर्क किया था। इस चेतावनी के बाद 25 किलोग्राम के आई.ई.डी. को निष्क्रिय किया गया था, जो सेना के गश्ती दल पर हमला करने के लिए लगाया गया था। इससे पुलवामा जैसी स्थिति को रोका जा सका था।

 

लैफ्टिनैंट जनरल ढिल्लों करते हैं सेना के कुत्तों से विशेष मुलाकात
हाल ही में लैफ्टिनैंट जनरल कंवलजीत सिंह ढिल्लों दक्षिण कश्मीर में अमरनाथ गुफा मंदिर के बाहर फौज के कुत्ते को सलाम करते हुए दिखे थे। कश्मीर स्थित 15वीं कोर की अगुवाई करने वाले लै. जनरल ढिल्लों अग्रिम चौकियों की यात्राओं के दौरान वहां तैनात सेना के कुत्तों से विशेष मुलाकात सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने कहा कि ये कुत्ते परिवार का हिस्सा हैं और सभी जश्नों में हिस्सेदार हैं। उन्होंने कहा कि इंसान का सबसे वफादार दोस्त बारिश, बर्फबारी और हर मौसम में सैनिकों के साथ वहां हमेशा होता है। ये कुत्ते, परिवार के बहुत अहम सदस्य हैं और ये गश्ती तथा हमला जैसे सभी अभियानों में साथ जाते हैं। खासकर ये हिमस्खलन के बाद बचाव कार्य जैसी आपातस्थिति में वहां होते हैं। उन्होंने कहा कि जब बड़ा खाना जैसा कोई कार्यक्रम हो तो उन्हें नहीं छोड़ा जाना चाहिए।

 

कुत्ते सैनिकों के तनाव को करते हैं कम 
सेना के प्रशिक्षित कुत्तों की अक्लमंदी और बहादुरी की ऐसी कई कहानियां हैं। कुत्तों को संभालने वालों ने कहा कि आतंकवाद रोधी अभियानों में अपनी ड्यूटी देने के अलावा ये कुत्ते सैनिकों के तनाव को कम करने में भी मदद करते हैं।

Seema Sharma

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