चिकित्सा व्यवसाय को

Wednesday, Apr 25, 2018 - 01:45 AM (IST)

नेशनल डेस्कः समाज में डाक्टरों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है परंतु चिकित्सा जगत से जुड़े चंद लोगों द्वारा करुणा और दया की भावना का परित्याग कर देने के कारण डाक्टरी व्यवसाय दागदार हो रहा है। यहां तक कि कुछ डाक्टरों द्वारा रोगियों और उनके परिजनों के साथ मारपीट तक के समाचार भी आने लगे हैं जिसके चंद ताजा उदाहरण निम्र में दर्ज हैं।

अप्रैल को वाराणसी में बी.एच.यू. के ‘सर सुंदर लाल अस्पताल’ के सर्जरी विभाग की ओ.पी.डी. में इलाज करवाने आए एक छात्र और उसके दोस्त की कुछ डाक्टरों ने जम कर पिटाई कर दी। इससे एक छात्र का सिर फट गया और उसकी आंख के पास भी चोट आई।

अप्रैल को कानपुर के हैलेट के मैडीसन वार्ड में इलाज में लापरवाही को लेकर मरीज के रिश्तेदारों और जूनियर डाक्टरों में विवाद के बाद गुस्साए जूनियर डाक्टरों ने मरीज के एक रिश्तेदार को जम कर पीटा जिससे उसका सिर फट गया और उन्होंने अस्पताल में आए रोगी को भी भगा दिया।

अप्रैल को डाक्टर से ज्यादा दवा लिखने का आग्रह करने वाली एक महिला को फिरोजपुर सिविल अस्पताल के ई.एन.टी. विशेषज्ञ ने बालों से पकड़ कर सरे आम लात-घूंसों से पीटा और गालियां निकालीं। वहां पुलिस के 2 जवान भी मौजूद थे पर उन्होंने महिला को नहीं छुड़ाया।

अप्रैल को चोट लगने के कारण आगरा के एस.एन. मैडीकल कालेज की एमरजैंसी में लाई गई महिला के परिजनों ने इलाज में देरी होने पर डाक्टरों से उसे जल्दी देखने का अनुरोध किया तो डाक्टर भड़क गए और गाली-गलौच करने लगे। जब मरीज के रिश्तेदार किसी को फोन करने लगे तो डाक्टरों ने यह कह कर उनकी पिटाई शुरू कर दी कि तुम लोग वीडियो रिकॉर्डिंग कर रहे हो। पिटाई से एक महिला के कपड़े फट गए। दूसरी ओर कालेज के प्रिंसीपल का कहना है कि ये लोग एमरजैंसी मैडीकल आफिसर पर फर्जी मैडीकल सर्टीफिकेट बनाने का दबाव बना रहे थे और मना करने पर वीडियो बनाने लगे तथा डाक्टरों द्वारा रोकने पर एकजुट होकर उन पर हमला बोल दिया।

अप्रैल को उत्तर प्रदेश के बांदा में सरकारी मैडीकल कालेज अस्पताल के डाक्टर ने बुखार से पीड़ित 11 वर्षीय एक बच्चे का इलाज शुरू करने से पहले परिजनों से 5000 रुपए रिश्वत मांगी और न मिलने पर बच्चे का इलाज करने से इंकार कर दिया जिससे बच्चे की मृत्यु हो गई।

अप्रैल को ही दिल्ली के एक अस्पताल में झड़प के दौरान एक मरीज के 2 रिश्तेदारों और एक डाक्टर को चोटें आईं। मरीज के इलाज में देरी को लेकर मरीज के तीमारदारों और ड्यूटी पर मौजूद जूनियर रैजीडैंट महिला डाक्टर में बहस हो गई जिसके बाद वहां मौजूद पुलिस कर्मी मरीज के रिश्तेदारों को अस्पताल के पुलिस बूथ में ले गया।वहां कुछ देर बाद एक अन्य डाक्टर, 3-4 बाऊंसर लेकर आ गया व उसने कांस्टेबल के हस्तक्षेप के बावजूद मरीज के रिश्तेदारों को पीट डाला।

अप्रैल को पी.जी.आई. चंडीगढ़ के न्यू ओ.पी.डी. के ए.आर.टी. सैंटर में एक महिला डाक्टर ने इलाज के लिए आए मरीज से उसकी पत्नी और बच्चे के सामने बदतमीजी की तथा थप्पड़ मारे। आरोप है कि उक्त डाक्टर रोगी को कुछ समझा रही थी जो उसे समझ नहीं आया। मामूली सी बात पर शुरू हुई बहस के दौरान डाक्टर इतना अधिक भड़क गई कि उसने मरीज से मारपीट कर डाली।

अप्रैल को ही उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के थाना हरि पर्वत के बड़े अस्पताल के आई.सी.यू. में उपचाराधीन युवती को इंजैक्शन लगाने के बहाने ड्यूटी डाक्टर ने बेहोश समझ कर उसके साथ अश्लील हरकतें कर डालीं। अचानक युवती की आंख खुलने पर जब उसने विरोध किया तो डाक्टर ने उसे थप्पड़ मारा और मुंह बंद रखने की धमकी दी जिसके बाद युवती शोर मचाती हुई बाहर निकल भागी और अपनी इज्जत बचाई।

इनके अलावा भी न जाने कितनी घटनाएं हुई होंगी जो प्रकाश में नहीं आ पाईं। इसी प्रकार की घटनाओं के कारण समाज में डाक्टरों के प्रति सम्मान कम हो रहा है जो निश्चय ही चिकित्सा व्यवसाय में आ रही गिरावट का संकेत है जिसे रोकने के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद को उचित पग उठाने चाहिएं।     —विजय कुमार

Punjab Kesari

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