शहीद होने से पहले BSF जवान रमीज ने आतंकियों से किया था कड़ा मुकाबला

Friday, Sep 29, 2017 - 12:44 PM (IST)

हज्जन (जम्मू-कश्मीर): सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कांस्टेबल रमीज अहमद पार्रे की बुधवार रात जब आतंकवादियों ने हत्या की, उस वक्त वह अपने एक रिश्तेदार के यहां अपने परिवार के साथ छुट्टियां मना रहे थे। उनकी छुट्टियां कुछ ही दिनों में खत्म होने वाली थीं। पुलिस ने बताया कि उत्तर-कश्मीर के बांदीपुरा इलाके में रात करीब 9:25 बजे दो आतंकवादी उनके घर में घुसे, फिर रमीज ने उनसे बहादुरी से मुकाबला किया और आखिरकार आतंकवादियों ने काफी करीब से गोली मारकर रमीज की हत्या कर दी। रमीज की हत्या से एक रात पहले पुलिस ने पार्रे मोहल्ला में धरपकड़ अभियान शुरू किया था और आतंकवादियों का संभवत: यह मानना था कि 28 साल के रमीज इस अभियान में शामिल थे। बीएसएफ की 73वीं बटालियन में बारामुला में तैनात रमीज 26 अगस्त को छुट्टी पर आए थे ताकि पार्रे मोहल्ले में स्थित अपने घर की मरम्मत करा सकें और अपने दो भाइयों के लिए बेहतर नौकरी की संभावनाएं तलाश सकें।

परिवार में कमाने वाले एकमात्र थे रमीज
छुट्टी पर आने के एक महीना एक दिन बाद रमीज की हत्या कर दी गई। वह अपने परिवार में कमाने वाले एकमात्र व्यक्ति थे। चश्मदीद गवाहों की मदद से पुलिस रमीज की हत्या की गुत्थी सुलझाने की कोशिश में जुटी है। बुधवार रात रमीज, उनके दो भाई और पिता उनकी रिश्तेदार हब्बा बेगम के घर पर थे और आपस में बातचीत कर रहे थे। तभी दो आतंकवादी घर में घुस आए और रमीज से पहचान-पत्र मांगने लगे। लड़ाकू प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके रमीज ने आतंकवादियों से मुकाबला किया और उनमें से एक को जख्मी कर दिया। हालांकि, इस लड़ाई में हब्बा बेगम भी जख्मी हो गईं। पुलिस ने बताया कि रमीज पास के घर में गए ताकि कपड़े बदल सकें और हब्बा बेगम को अस्पताल ले जा सकें। लेकिन कुछ और आतंकवादी उनपर पर हमले का इंतजार कर रहे थे।

रमीज पर ताक बनाए हुए थे आतंकी
चश्मदीदों ने पुलिस को बताया कि इस बार चार आतंकवादी रमीज के एक मंजिले घर में घुस आए और उन्हें पकड़ लिया। रमीज के पिता और दोनों भाइयों ने आतंकवादियों से गुहार लगाई कि वे उन्हें छोड़ दें, लेकिन दहशतगर्दों ने उनकी एक न सुनी। बीएसएफ जवान को काफी करीब से दो गोलियां मारी गईं। एक गोली उनके सिर जबकि दूसरी उनके पेट में मारी गई। उस वक्त रात के करीब 10 बज रहे थे। रमीज के भाई जावेद अहमद और मोहम्मद अफजल ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि वह उनके लिए एक दुकान खोलने की योजना बना रहे थे। वह अगले हफ्ते अपनी बटालियन में सेवाएं देने के लिए लौटने वाले थे। रमीज के चाचा मोहम्मद मकबूल पार्रे ने कहा, ‘‘परिवार ने कमाने वाला एकमात्र सदस्य खो दिया। अन्य दो भाई दिहाड़ी पर काम करते हैं और सिर्फ रमीज की स्थायी आय थी।’’

बीएसएफ, सीआरपीएफ, पुलिस और थलसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने रमीज को श्रद्धांजलि अर्पित की और फिर उनके पार्थिव शरीर को परिजनों को सौंपा गया। रमीज के परिजन उनका पार्थिव शरीर लेकर दफनाने गए और उन्होंने कहा कि वह पुलिस की मौजूदगी नहीं चाहते, क्योंकि ऐसा करने से आतंकवादी उन्हें निशाना बना सकते हैं। पुलिस महानिदेशक एस.पी. वैद्य के मुताबिक, रमीज की हत्या आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की करतूत है।  रमीज की मौत के तार धरपकड़ अभियान से जुड़े होने की खबरें खारिज करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह बेबुनियाद है, क्योंकि इस जघन्य हत्या को सही ठहराने के लिए उनके पास कोई दलील नहीं है।’’

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