''बचपन से ही बनना चाहता था फौजी, आर्मी की गाड़ियां देख मारता था सैल्यूट''

Monday, Oct 24, 2016 - 01:59 PM (IST)

जम्मू: पाकिस्तानी साजिश को नाकाम करने वाले बीएसएफ शहीद जवान गुरनाम सिंह को आज अंतिम विदाई दी जाएगी। रविवार को सेना ने गुरनाम सिंह को सलामी दी। इस दौरान बीएसएफ की पश्चिमी कमांड के अतिरिक्त महनिदेशक अरुण कुमार ने कहा शहीद गुरनाम के नाम को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार के लिए सिफारिश करेंगे। शहीद गुरनाम न सिर्फ बहादुर थे बल्कि पूरे गांव के चहेते भी थे और यही वजह है कि जब जम्मू में उनके पैतृक गांव रिठाना में उनका पार्थिव शरीर पहुंचा तो परिवार ही नहीं पूरा गांव रोया। परिवार को शहीद गुरनाम पर गर्व भी है लेकिन पूरे गांव और परिवार को एक सिर्फ एक बात का दुख है कि अगर वक्त रहते शहीद गुरनाम को इलाज मिल जाता तो आज वो सबके साथ होते।

सिर में लगी थी गोली
जम्मू के पास हीरानगर में गुरनाम को 20 अक्तूबर की सुबह 9.35 पर सरहद पर पाकिस्तानी स्नाइपर की गोली लगी थी, जिसके बाद उन्हें जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया था, गोली गुरनाम के सिर में लगी थी।
गुरनाम की हालत काफी खराब थी। डॉक्टर्स ने सलाह दी थी कि जैसे ही स्थिति मे सुधार होगा तो एयर-एंबुलेंस से दिल्ली ले जा सकते हैं लेकिन शनिवार की रात ही गुरनाम सिंह ने दम तोड़ दिया। गोली उनके सिर पर में जाकर फंस गआ थी जो ऑपरेशन के बाद ही निकल सकती थी।’’ शहीद गुरनाम सिंह की शहादत पर पूरे देश को गर्व है।

बचपन से ही बनना चाहता था फौजी
गुरदीप की छोटी बहन गुरजीत कौर ने बताया कि उनका भाई बचपन से ही फौजी बनना चाहता था। वो जहां भी बीएसएफ की गाड़ियां निकलते देखता तो उन्हें सैल्यूट मारता था। 2010 में गुरदीप का सपना पूरा हुआ और वह फौज में भर्ती हुआ।
गुरदीप के साथियों ने बताया कि वह काफी अच्छा निशानेबाज था इसलिए उसकी ड्यूटी बोबिया पोस्ट पर लगती थी क्योंकि यहीं से ज्यादा घुसपैठ की कोशिशे हुई हैं।

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