सिंह राशि में मंगल का प्रवेश देगा लाभ के अवसर, जानें आप पर होगा कैसा असर

Tuesday, Aug 13, 2019 - 10:52 AM (IST)

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शनिवार रात्रि 4.04 बजे से अर्थात रविवार भोर में मघा नक्षत्र एवं सिंह राशि में मंगल ग्रह प्रवेश कर चुका है तथा 29 सितम्बर, 2019 को दिन में 10.34 बजे तक रहेगा। इसके बाद मंगल उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र एवं कन्या राशि में प्रवेश करेगा। सिंह राशि का स्वामी सूर्य है, जो मंगल का मित्र भी है। ज्योतिषशास्त्र अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण एवं गुण विषय है। सृष्टि के प्रारंभ से ही ज्योतिष का प्रचलन हो गया था और तब से आज तक मानव जाति के उत्थान में ज्योतिष का सक्रिय सहयोग रहा है। आज के मानव ने ज्योतिष के माध्यम से उन रहस्यों को भी खोज निकाला है जो अभी तक उसके लिए अज्ञात थे। आज ज्योतिष अपने आप में संपूर्ण विज्ञान को समेटे हुए है जिसके अंतर्गत मनोविज्ञान, जीव विज्ञान, पदार्थ विज्ञान, रसायन विज्ञान एवं चिकित्सा विज्ञान आते हैं।

सौरमंडल के सभी ग्रहों में मंगल सेनापति ग्रह कहलाता है। मंगल ग्रह आवेग, साहस, वीरता, क्रोध, युद्ध, नेतृत्व, सेनापति, गोला-बारूद, भूमि, विशेषज्ञ, सर्जरी, पशुपालन, बिजली, हिंसा एवं आग इत्यादि का प्रतीक है। मंगल का सर्वाधिक विश्वास शक्ति में है। हठ इसका स्वभाव है। मकर राशि का मंगल उच्च का होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल अपनी उच्च राशि का हो एवं उत्तम स्थान को प्रभावित करता हो उस व्यक्ति में शूरता वीरता कूट-कूट कर भरी होती है। दाम्पत्य जीवन में मंगल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस संसार में प्राय: सभी प्राणी दुखी एवं पीड़ित हैं। मनुष्य को दाम्पत्य सुख मिलना अथवा न मिलना मंगल ग्रह पर आधारित होता है। पति अथवा पत्नी की मृत्यु अल्पकाल में तो नहीं होगी, यह भी मंगल ग्रह ही तय करता है। जिस जातक की जन्म कुंडली में प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव एवं द्वादश भाव में मंगल हो, वह जातक मंगल होता है। 

मंगल एवं सूर्य का मिलन सिंह राशि में ही शनिवार 17 अगस्त अर्धरात्रि को होगा, जो श्रेष्ठता का सूचक कहा जाएगा। यह योग एक माह तक रहेगा। सूर्य की अपनी राशि सिंह है। सूर्य पूर्व दिशा का स्वामी, अग्रि तत्व प्रधान प्रकृति का, पुरुष प्रधान एवं क्षत्रिय गुणों से युक्त होता है। इसका स्वरूप कालिमा के साथ रक्तिम बाबुल वर्ण लिए हुए, भव्य गंभीरता लिए हुए, प्राकृतिक गुणों से सम्पन्न, ओजस्वी मुखमंडल, चेहरा लम्बाई की अपेक्षा चौड़ाई लिए हुए, बात में मधुर किंतु शीघ्र उग्र स्वभाव का होना, पराक्रम से कार्य करने वाले, प्रतिशोध लेने की भावना अत्यंत तीव्र होती है। सूर्य की दृष्टि जिस भी ग्रह पर पड़ती है वह ग्रह क्षीण हो जाता है। इसकी उच्च राशि मेष एवं नीच राशि तुला है। 

अपनी उच्च राशि में सूर्य के साथ यदि उसका मित्र ग्रह मंगल, बुध इत्यादि बैठे हों तो श्रेष्ठ लाभ प्रदान करते हैं। इन दोनों ग्रहों के उत्तम प्रभाव से मेष, सिंह एवं वृश्चिक राशि के जातक की चांदी रहेगी। इनके सारे कार्य सिद्ध होंगे। भूमि, भवन एवं प्रतिष्ठा में चार चांद लगना सुनिश्चित है। शत्रु का मान मर्दन होना सुनिश्चित है।

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में स्पष्ट रूप से परिलक्षित है कि मंगल के उत्तम प्रभाव से राजनीति में भी सफलता का योग बनता है। जो भी मंगल से प्रभावी होंगे वे लोग उच्च पद पर आसीन भी अवश्य होंगे। मिथुन, कन्या एवं कुंभ राशि के लिए मंगल एवं सूर्य की युक्ति उत्तम नहीं कही जाएगी। दुर्घटना एवं चोट इत्यादि का योग बनेगा। इसलिए मंगल मंत्र का जप करना श्रेयस्कर रहेगा। वृष, कर्क, तुला, धनु एवं मकर राशि वाले जातक पर सूर्य एवं मंगल के प्रभाव से सामान्यत: मिलाजुला असर रहेगा। मंगल मंत्र का जप ‘ ओम अं अंगारकाय नम: करें तो लाभ के अवसर प्राप्त होंगे।

अंतिम राशि मीन है। मीन राशि से देखा जाए तो छठे भाव में मंगल का प्रवेश हो रहा है। छठे स्थान का स्वामी भी सूर्य है। भारतीय ज्योतिषशास्त्र के मतानुसार पाप ग्रहों की उपस्थिति छठे भाव में श्रेष्ठता का सूचक कहा गया है। अत: मंगल एवं सूर्य शत्रुता योग बना रहे हैं। इस कारण से शत्रुओं का नष्ट भ्रष्ट होना स्वाभाविक होगा। मीन राशि वालों को चाहिए कि मंगलवार अथवा रविवार के दिन सवा मीटर सूती लाल वस्त्र किसी हनुमान जी के मंदिर में दान दे दें, इससे सभी कार्य सिद्ध होंगे। सूर्य एवं मंगल के निराकरण के लिए लाल वस्तु का दान करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। गुड़ और गेहूं का दान करना श्रेष्ठ कहा गया है। अत: रविवार या मंगलवार को गुड़ और गेहूं का दान अवश्य करें।

Niyati Bhandari

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