निज़ामुद्दीन स्थित मरकज़ को फिर से नहीं खोला जा सकता: केंद्र ने अदालत से कहा

Friday, Mar 04, 2022 - 05:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी के निज़ामुद्दीन इलाके में स्थित तब्लीगी जमात के मकरज़ को पूरी तरह से खोले जाने का शुक्रवार को दिल्ल उच्च न्यायालय में विरोध किया, लेकिन कहा कि आगामी धार्मिक अवसरों के मद्देनजर चंद लोगों को वहां जाने की इजाज़त दी जा सकती है। मार्च 2020 में कोविड-19 के बीच मकरज़ में जमात ने इज्तिमा (धार्मिक समागम) का आयोजन किया था और इसके बाद से यह बंद है। दरअसल, मरकज़ एक मस्जिद में स्थित है जिसे बंगले वाली मस्जिद कहा जाता है और इसके साथ ही एक मदसरा भी है।

मार्च में शब-ए-बारात और अप्रैल में रमज़ान के मौके पर मस्जिद खोलने की दिल्ली वक्फ की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी से सरकारी अधिवक्ता रजत नायर ने कहा कि मस्जिद इस मामले की संपत्ति है और याची बोर्ड के पास इसे फिर से खोलने की मांग करने का कोई अधिकार नहीं है। नायर ने कहा कि पहले भी मस्जिद में कुछ लोगों को इबादत करने की सशर्त रियायत दी गई है और इस बार भी ऐसी व्यवस्था करने में कोई ऐतराज़ नहीं है। याची की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि दिल्ली पुलिस की ओर से बंद की गई मस्जिद को खोला जाए क्योंकि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने महामारी के मद्देनजर लगाए गए सभी प्रतिबंधों को अब हटा लिया है।

न्यायाधीश ने मामले को सुनवाई के लिए अगले हफ्ते सूचीबद्ध किया और याचिकाकर्ता को डीडीएमए का आदेश रिकॉर्ड पर लाने का निर्देश दिया। वर्ष 2020 में लॉकडाउन के दौरान मकरज़ में इज्तिमा के आयोजन और फिर वहां पर अन्य देशों के लोगों के रूकने के सिलसिले में महामारी अधिनियम, आपदा प्रबंधन कानून, विदेशी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में कई प्राथमिकियां दर्ज की गई थी। अधिवक्ता वाहिद शफीक के जरिए दायर आवेदन में याचिकाकर्ता ने कहा है कि पिछले साल शब-ए-बारात और रमज़ान के मौके पर उच्च न्यायालय ने मस्जिद में नमाज़ की इजाज़त दी थी।

उसने कहा है कि कोविड-19 का मौजूदा स्वरूप ‘ओमीक्रोन' इसके ‘डेल्टा' स्वरूप' जितना गंभीर और घातक नहीं है तथा हालात सुधरें हैं तथा सभी अदालत, स्कूल, क्लब, बार औ बाज़ार खोल दिए गए हैं, लिहाज़ा वक्फ की इस संपत्ति को भी खोलने की इजाज़त दी जाए। बोर्ड की याचिका में ही आवेदन दायर किया गया है। याचिका में परिसर को खोलने का आग्रह किया गया है और दलील दी गई है कि ‘अनकॉल-1' के बाद निरूद्ध क्षेत्रों के बाहर स्थित धार्मिक स्थानों को खोलने के दिशा-निर्देश हैं। मरकज़ में मस्जिद बंगले वाली, मदरसा काशिफ-उल-उलूम और संबद्ध छात्रावास है जो तब से ही बंद है।

 

rajesh kumar

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