ऑफ द रिकार्ड: द्रमुक के इंकार के बाद मनमोहन सिंह का राज्यसभा में पहुंचना मुश्किल!

Thursday, May 30, 2019 - 05:13 AM (IST)

नेशनल डेस्क: पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह पिछले 28 वर्षों से राज्यसभा का सदस्य रहने के बाद पहली बार सदन में दिखाई नहीं देंगे। कांग्रेस पार्टी असम और तमिलनाडु में होने वाले राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनावों में मनमोहन सिंह को राज्यसभा में फिर से लाने के लिए सीट ढूंढने में असमर्थ रही है। असम में कांग्रेस के पास इतने विधायक नहीं कि वह अपने बलबूते पर पार्टी के वयोवृद्ध नेता को चुनाव जिता सके। 

तमिलनाडु में समझा जाता है कि द्रमुक ने इस संबंध में कांग्रेस के सुझाव को नकार दिया है। जुलाई महीने में तमिलनाडु में राज्यसभा की 6 सीटों का चुनाव होना है। द्रमुक 2 सीटें आसानी से जीत सकती है। द्रमुक प्रमुख एम.के. स्टालिन की बहन कनिमोझी लोकसभा का चुनाव जीत गई हैं इसलिए वह राज्यसभा के चुनाव की दौड़ में नहीं हैं। दूसरी सीट भाकपा के डी. राजा के पास है जिनके फिर से मनोनीत किए जाने की लॉबिंग की जा रही है। द्रमुक डा. मनमोहन सिंह के साथ इस बात को लेकर बहुत निराश है कि उन्होंने उस समय कोई कदम नहीं उठाया जब 2जी घोटाले में उसके नेताओं के खिलाफ आरोप लगाए गए थे। 

ए. राजा जेल में शांत रहे, कनिमोझी ने भी वहां काफी समय गुजारा। स्टालिन पूर्व प्रधानमंत्री के साथ बहुत नाराज हैं। मामला अदालत में गया और द्रमुक इन आरोपों के कारण हार गई। असम में भी स्थिति अनिश्चित है। मनमोहन सिंह 1991 के बाद से असम से राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। कांग्रेस के पास मनमोहन सिंह को 6 वर्षों के लिए फिर से जिताने के लिए जरूरी विधायकों की संख्या नहीं है। 

126 सदस्यीय सदन में कांग्रेस के पास केवल 25 विधायक हैं। अगर ए.आई. यू.डी.एफ. के सभी 13 विधायक अपना समर्थन दे भी देते हैं तो डाक्टर मनमोहन सिंह का जीतना मुश्किल है। ऐसी संभावना है कि कांग्रेस ए.आई.यू.डी.एफ. को अपना समर्थन दे दे या कोई उम्मीदवार खड़ा ही न करे। भाजपा ने एक सीट के लिए कामाख्या प्रसाद तासा को अपना उम्मीदवार बनाया है। ए.जी.पी. के बीरेंद्र प्रसाद वैश्य दूसरे उम्मीदवार हैं। 

Pardeep

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