बंगाल में आरक्षण के लिए करना होगा इंतजार, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी ममता सरकार

Tuesday, Jan 15, 2019 - 07:06 PM (IST)

नेशनल डेस्कः गरीबों को आरक्षण कानून के लिए फिलहाल पश्चिम बंगाल के नागरिकों को थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। सूत्रों के मुताबिक, ममता बनर्जी सरकार का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी। इसकेबाद आरक्षण को राज्य में लागू करेगी, जब से केंद्र की मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है, तभी से बंगाल सरकार इसकी संवैधानिक वैधता पर सवाल उठा रही है।

ममता ने जताई आशंका
शुक्रवार को ममता बनर्जी ने नदिया में एक प्रशासनिक बैठक के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले से सामान्य वर्ग के लोगों के प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इससे आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग से आने वाले बच्चों के लिए शिक्षा और नौकरियों में अवसर पहले की तुलना में कम हो जाएंगे। उन्होंने 8 लाख रुपये साला आय की आर्थिक सीमा पर सवाल उठाए हैं।

किसान के बेटे को नौकरी कहां
मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीब तबके के हर व्यक्ति की पहली प्रतिस्पर्धा उससे होगी, जो प्रतिमाह 60 हजार से ज्यादा रुपए कमाता है। ऐसे में किसान के बेटे को कैसे नौकरी मिलेगी? सोमवार को उन्होंने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जो घंटों चली और इसमें कुछ अहम फैसले लिए गए। पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि इस दौरान गरीबों को आरक्षण कानून पर कोई चर्चा नहीं हुई।

बंगाल सरकार ने नहीं जारी की अधिसूचना
चटर्जी ने कहा, हमने अभी कोई अधिसूचना जारी नहीं की है। फिलहाल इस पर हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। इस पर कोई फाइनल कॉल नहीं ली गई है। कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम फैसले का इंतजार करेंगे क्योंकि बनर्जी लगातार इसकी वैधता पर सवाल उठाती रही है।

विधेयक पर टीएमसी ने उठाए सवाल
ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने विधेयक को ज्यादा स्पष्ट करने और कानूनी पुनरीक्षण के लिए चयन समिति के पास भेजने की मांग की थी। राज्यसभा में टीएमसी सांसद नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, यह एक बेतुका प्रस्ताव लगता है। ऐसा लगता है कि इस पर कोई शोध भी नहीं किया गया है। हम संसद में कह चुके हैं, कि विधेयक पर स्टैंडिंग कमेटी के गहन अध्ययन करने की जरूरत है। 

Yaspal

Advertising