तीसरे मोर्चे की कवायद को लेकर ममता ने की शिवसेना और टीडीपी नेताओं से मुलाकात

punjabkesari.in Tuesday, Mar 27, 2018 - 03:38 PM (IST)

नई दिल्ली (प्रतिमा त्रिपाठी): पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तीसरे मोर्चे की खिचड़ी पकाने के लिए दिल्ली पहुंच चुकी हैं।  इस दौरान उन्होंने मंगलवार को कई नेताओं से ताबड़तोड़ मुलाकात की। ममता ने शिवसेना के नेता संजय राउत, एनसीपी चीफ शरद पवार, बीजेडी सांसद पिनाकी मिश्रा और डीएमके नेता कनिमोझी से मुलाकात की।  इस दौरान ममता ने कनिमोझी से कहा, ''डीएमके सत्ता में आ रही है और इसके लिए मेरा पूरा समर्थन है। लेकिन बड़ी बात यह की सीएम ममता न तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलेंगी और न ही सोनिया गांधी से। ऐसे में कई सवाल खड़े होने लाजमी है कि आखिर ममता बनर्जी ऐसा क्यों कर रही हैं? हालांकि दिल्ली आने से पहले सीएम ममता ने इस ममाले पर अपनी सफाई देते हुए कहा है कि वो अस्पताल में भर्ती हैं, उन्हें ठीक होने दीजिए, मैं उन्हें परेशान नहीं करना चाहतीं। 

 विपक्ष को एक जुट करने में लगी हैं सोनिया 
ममता बनर्जी का यह बयान हालांकि राजनीति जगत में किसी को संतोष करने वाला नहीं माना जा रहा है, क्योंकि वो अपने इस दौरे के दौरान तृणमूल कांग्रेस प्रमुख का राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और टीडीपी व शिवसेना के नेताओं से भी मुलाकात करेंगी। एक तरफ जहां सोनिया गांधी विपक्ष को एक जुट करने में लगी हैं तो वहीं दूसरी तरफ सीएम ममता का विपक्षी दलों से मिलना देश की राजनीति को तीसरा रंग देने जैसा देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि सीएम मामता राहुल गांधी को आगामी चुनाव में पीएम का चेहरा बनाए जाने से खुश नहीं हैं और वो खुद को पीएम मोदी के खिलाफ खड़ा करना चाहती है इसलिए वो इन दिनों नई रणनीति बनाने में लगी हुई हैं। हालांकि वो राहुल गांधी और सोनिया गांधी की पीएम मोदी के खिलाफ शुरू की गई नीति के साथ हैं, लेकिन आगामी चुनाव में वो खुद को अहम रोल देना चाहती हैं।

राहुल गांधी ही होंगे विपक्षी दलों के चेहरा 
गौरतलब है कि कांग्रेस ने पहले ही साफ कर दिया है कि विपक्षी दलों के चेहरा राहुल गांधी ही होंगे, लेकिन ये बात सभी दलों को शायद रास नहीं आई। तभी तो सीएम नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने के बाद विपक्ष सीएम ममता बनर्जी को एक बेहतर विकल्प मान रही है और सीएम ममता से मिलकर नई रणनीति तैयार कर रही है। यह भी कह सकते हैं कि आगामी 2019 लोकसभा चुनाव में सीएम ममता गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस की रणनीति पर चल रही है और कांग्रेस को छोड़कर सभी विपक्षी दलों से रिश्ते सुधारने में लगी हैं। राहुल गांधी से ममता की दूरी की एक वजह राहुल गांधी खुद हो सकते हैं। जी हां दरअसल, साल 2015 में राहुल गांधी ने बीजेपी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के बीच अच्छे रिश्ते का हवाला देते हुए कहा था कि जब हमारी (यूपीए) सरकार थी और हमारे प्रधानमंत्री बांग्लादेश जाना चाहते थे, तब हमने ममता बनर्जी से बातचीत की थी और उनसे हमारे साथ चलने का अनुरोध किया था, लेकिन तब उन्होंने हमसे कहा, नहीं, एकला चलो रे। लेकिन अब पीएम मोदी सत्ता में है तो  ममता की तरफ से कोई एकला चलो नहीं हो रहा। हम साथ चलेंगे, यह क्यों हो रहा है?

चुनाव से पहले राजनीति दल बनाते हैं अपनी-अपनी रणनीति 
गौरतलब है कि हर चुनाव से पहले हर एक राजनीति दल अपनी-अपनी रणनीति बनाती है और केंद्र की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलती है, लेकिन यह कितना साकार होता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। क्योंकि सीएम ममता से पहले सोनिया गांधी ने भी विपक्ष को एक जुट करने के लिए कई कोशिश कर चुकी हैं, लेकिन इसके बाद भी आज उसके खिलाफ ही रणनीति बुनी जा रही है। 


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