ममता की ताजपोशी में नए राजनीतिक समीकरणों का संकेत

Friday, May 27, 2016 - 07:13 PM (IST)

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के अवसर पर मोदी विरोधी नेताओं के जमघट को भविष्य में नए राजनीतिक समीकरण का संकेत माना जा रहा है। कोलकाता में रेड रोड पर आज हुए शपथ ग्रहण समारोह में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्य मंत्री फारुक अब्दुल्ला सहित मोदी विरोधी खेमे के अनेक बड़े नेता मौजूद थे। समारोह में केंद्र का प्रतिनिधित्व वित्त मंत्री अरुण जेटली और शहरी विकास मंत्री बाबुल सुप्रियो ने किया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना कार्यक्रम में मौजूद नहीं थीं, उन्होंने अपना प्रतिनिधि भेजा। 

लोगों के लिए यह बड़ा दिन: लालू
दूसरी ओर भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई तथा वामदलों ने शपथ ग्रहरण समारोह का बहिष्कार किया। राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने बनर्जी के साथ 41 मंत्रियों को भी पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। विधानसभा चुनाव में इस बार बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा सीटें जीतीं। उसने 294 सीटों में से 211 सीटों पर अपना कब्जा जमाया। वामदलों और कांग्रेस गठबंधन को करारी हार का मुंह देखना पड़ा। लालू ने शपथ ग्रहण समारोह के असवर पर संवाददाताओं से कहा बंगाल के लोगों के लिए यह बड़ा दिन है। सभी मुख्यमंत्री मौजूदा केंद्र सरकार के खिलाफ हैं, इसीलिए सब एकजुट हुए हैं।  

 
ममता ने किया सभी सीएम का धन्याबाद
कई मुख्यमंत्रियों के समारेाह में पहुंचने के पीछे तीसरे मोर्चे की तैयारी के सवाल पर तृणमूल सांसद डेरिक ओ ब्रायन ने कहा यह दूसरा या तीसरा मोर्चा क्या होता है। यहां जो लोग जुटे हैं वे किसी एनजीओ की जमात नहीं है। बड़े राजनीतिक हैसियत वाले नेता हैं। इन्हें लेकर भविष्य में कोई गठजोड़ बना तो वह दूसरा तीसरा मोर्चो नहीं बल्कि पहला मोर्चा होगा। बनर्जी ने आज सुबह ट््वीटर पर कहा कि आज का दिन बंगाल के लोगों के लिए एक नई शुरुआत है। उन्होंने इसके साथ शपथ ग्रहण समारोह में आए मुख्यमंत्रियों को भी धन्यवाद दिया। 
 
पहले ही दे दिया था संकेत
बनर्जी ने चुनाव जीतने के बाद गत सप्ताह कहा था कि नीतीश कुमार,अरविंद केजरीवाल,अखिलेश यादव, जे जयललिता,बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के साथ काम करने में उन्हें कोई परहेज नहीं होगा। ऐसा कहकर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भविष्य में नए राजनीतक समीकरण बनने का संकेत पहले ही दे दिया था। काफी समय से देश में गैर भाजपा और गैर कांग्रेस गठबंधन की जरुरत महसूस की जाती रही है। यदि बनर्जी का इस दिशा में किया गया कोई प्रयास सफल रहा तो वर्ष 2019 के आम चुनाव में इन दो बड़ी पार्टियों को कड़ी चुनौती मिल सकती है। 

 

Advertising