मालदीव भेज रहा था दूत, भारत ने नहीं दिया मिलने का समय

Thursday, Feb 08, 2018 - 08:01 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अपने विदेश मंत्री को विशेष दूत के तौर पर भारत भेजना चाहते थे, लेकिन इसके लिए तय की गई तारीखें भारतीय पक्ष को ‘‘उचित’’ नहीं लगीं। भारत में मालदीव के राजदूत ने यह दावा किया है।

इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि मालदीव में लोकतंत्र की स्थिति को लेकर भारत की चिंताओं पर उस देश की तरफ से कोई ‘‘वास्तविक कार्रवाई’’ नहीं की गई है। यामीन पहले ही अपने विशेष दूतों को चीन, पाकिस्तान और सऊदी अरब भेज चुके हैं ताकि उन्हें देश में गहराते राजनीतिक संकट की जानकारी दी जा सके।

योजना के मुताबिक पहला पड़ाव था भारत
मालदीव के राजदूत अहमद मोहम्मद ने बताया, ‘‘असल में योजना के मुताबिक पहला पड़ाव भारत ही था और मालदीव के राष्ट्रपति के विशेष दूत को भेजने का प्रस्ताव किया गया था। लेकिन प्रस्तावित तारीखें भारतीय नेतृत्व को उचित नहीं लगीं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि विदेश मंत्री देश से बाहर हैं और प्रधानमंत्री इस हफ्ते संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) रवाना होने वाले हैं।’’ बहरहाल, सूत्रों ने बताया कि किसी दूत को भेजने के लिए तय प्रोटोकॉल है और भारत को दूत की यात्रा के उद्देश्य के बारे में नहीं बताया गया।

भारत की ओर से जताई गई चिंताओं पर नहीं हुई वास्तविक कारवाई
प्रस्तावित यात्रा को भारत की ओर से नकारे जाने के संकेत देते हुए एक सूत्र ने बताया, ‘‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय और भारत की ओर से जताई गई चिंताओं पर हमने कोई वास्तविक कार्रवाई भी नहीं देखी है। लोकतांत्रिक संस्थाओं और न्यायपालिका को कमजोर करने और चिंताओं की अनदेखी करने का काम जारी नहीं रखा जा सकता। इन मुद्दों को उचित तरीके से सुलझाने की जरूरत है।’’

संकट के मद्देनजर मालदीव ने चीन और पाक भेजे दूत 
संकट के मद्देनजर राष्ट्रपति यामीन ने आर्थिक विकास मंत्री मोहम्मद सईद को चीन और विदेश मंत्री मोहम्मद असीम को पाकिस्तान भेजा है। मत्स्यपालन एवं कृषि मंत्री मोहम्मद शाइनी सऊदी अरब जा रहे हैं। बाद में मालदीव के दूतावास की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में भी कहा गया, ‘‘राष्ट्रपति के विशेष दूत का पहला पड़ाव भारत था। राष्ट्रपति के नामित विशेष दूत और मालदीव के विदेश मंत्री मोहम्मद असीम को आठ फरवरी 2018 को भारत की यात्रा पर आना था, लेकिन भारत सरकार के अनुरोध पर यात्रा रद्द कर दी गई।’’

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुआ था संकट
विज्ञप्ति के मुताबिक, ‘‘लिहाजा, यह कहना बहुत गुमराह करने वाली बात है कि मालदीव सरकार भारत की अनदेखी कर रही है।’’ लोकतांत्रिक तौर पर चुने गए मालदीव के पहले राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को 2012 में अपदस्थ करने के बाद इस देश ने कई राजनीतिक संकट देखे हैं। बीते गुरुवार को मालदीव में उस वक्त बड़ा राजनीतिक संकट पैदा हो गया जब सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद नौ नेताओं को रिहा करने के आदेश दिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन कैदियों पर चलाया जा रहा मुकदमा ‘‘राजनीति से प्रेरित और दोषपूर्ण’’ है। इन नौ नेताओं में नशीद भी शामिल हैं। मालदीव के हालात पर पैनी नजर रख रहे भारत ने मंगलवार को कहा था कि मालदीव सरकार की ओर से देश में आपातकाल घोषित करने से वह ‘‘परेशान’’ है। भारत ने मालदीव के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और राजनीतिक हस्तियों की गिरफ्तारी को ‘‘चिंता’’ का विषय करार दिया था। बहरहाल, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी नेताओं की रिहाई के अपने आदेश को वापस ले लिया था। 

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