गुरिल्ला फाइटर: राज ठाकरे ने ऐसे की राजनीति में वापसी
punjabkesari.in Monday, May 06, 2019 - 05:19 PM (IST)
नई दिल्ली (सोमनाथ): महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे महाराष्ट्र में खुलेआम प्रधानमंत्री का विरोध कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने शिवसेना-भाजपा गठबंधन के लिए भी एक चुनौती पेश कर रखी है। हालांकि मनसे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही है मगर राज ठाकरे ने दक्षिण मुंबई में मोदीमुक्त भारत अभियान छेड़ रखा है। पिछले कुछ दिनों से पश्चिम मुंबई में हुई रैलियों में राज ठाकरे का असर दिखाई दिया है। 23 अप्रैल को एक वीडियो प्रस्तुतिकरण में अजीब कार्यशैली में उनके द्वारा सरकार की विफलताओं को पेश किया गया है। वह मोदी विरोधी ब्रिगेड के पोस्टर ब्यॉय के रूप में दिखाई दिए। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आपत्तिजनक शब्द बोले, झूठ बोलने और वायदों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया। झूठे आंकड़े पेश करने का आरोप भी लगाया। वहीं समाचार पत्र में उनके सहयोगियों ने इंटरव्यू देकर मोदी और शाह की विफलताओं से अवगत करवाया। उन्होंने प्रश्न पूछे और कहा कि समस्याओं का कोई समाधान नहीं हुआ। उन्होंने कहा, मैं अक्सर कांग्रेस को भला-बुरा कहता हूं मगर मैं यह कहना पसंद करूंगा कि भाजपा उससे भी बदतर बन गई है।
रैली में क्या बोले राज ठाकरे
हालांकि 23 अप्रैल की रैली का समय शाम 5 बजे था मगर रैली साढ़े छह बजे शुरू हुई। मनसे वक्ताओं ने अपने भाषण दिए। करीब 8.15 बजे राज ठाकरे के मंच पर पहुंचते ही आतिशबाजी शुरू होती है। राज ठाकरे इशारा करते हैं। संजय नायक (बुजुर्ग मनसे नेता) आतिशबाजी बंद करने का इशारा करते हैं। अगले 45 मिनट उन्होंने वही रटा-रटाया भाषण दिया। भ्रष्टाचार, राफेल, न्यायपालिका से समझौता करना, जस्टिस लोया की मृत्यु का मामला, स्वतंत्र संस्थाओं को ध्वस्त करना (आर.बी.आई. गवर्नर से इस्तीफा ) राज ठाकरे के भाषण में मुख्य मुद्दे रहे। इसके साथ ही राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो और बेरोजगारी के आंकड़े दिए गए। सीमापार की राजनीति का उल्लेख किया गया।
इस दौरान एक परिवार का फोटोग्राफ भी दिखाया, जिसमें भाजपा के पेज पर प्रधानमंत्री मोदी के गरीबी विरोधी कदमों के लाभ प्राप्त करने वालों के नाम थे। इसके बाद पांच सदस्यों के एक परिवार को मंच पर बुलाया गया। लोग उठकर देखने लगे। हूटिंग हुई। भाजपा ने आरोप लगाया कि ठाकरे ने फेसबुक से प्राइवेट फोटो चोरी किए हैं। प्रचार के हिस्से में इस्तेमाल किए हैं। ठाकरे ने कहा-भाजपा ने 5 साल इसी तरह झूठ बोलकर गुजारे हैं। चौकीदार चोर है के नारे लगाने शुरू कर दिए। ठाकरे ने अंत में कहा-मैं इस अभियान को इसलिए चला रहा हूं क्योंकि मोदी और शाह राष्ट्र के लिए खतरा हैं। अगर भाजपा को वोट दी तो इसका अर्थ मोदी और शाह को वोट दी है और शिवसेना को वोट दी तो इसका अर्थ भी मोदी और शाह को वोट दी है। अगर लोकतंत्र को बचाना है तो मोदी और शाह को दरकिनार करने की जरूरत है। इसे भी नहीं भूलना।
5 वर्ष बाद अनूठा परिवर्तन
5 वर्ष पहले राज ठाकरे ने स्वेच्छा से मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन की घोषणा की थी। यह सबकुछ गुजरात के 9 दिवसीय स्टडी टूर के बाद किया गया। उस समय ठाकरे ने कहा था कि गुजरात के लोग भाग्यशाली हैं कि उन्हें मोदी जैसा मुख्यमंत्री मिला है जो राज्य के विकास पर अधिक ध्यान देता है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा उन्हें इस संबंध में एक साजिश की बू आई। जिन नौकरशाहों से वह मिले उन्होंने सुनियोजित ढंग से सूचना देने की योजना बना ली थी। असल स्थिति बाद में दिखाई दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति तिरस्कार इसलिए है कि राज ठाकरे की राजनीति और पी.एम. की राजनीति में काफी समानताएं हैं। वह इसे स्वीकार भी करते हैं। दोनों पाॢटयों में एक बात कॉमन है कि दोनों मजबूत व्यक्तित्व चाहती हैं मगर दोनों समुदायों के बीच हिंसक घटनाएं होने के बाद चुनावी भाग्य उदय हुआ।
मोदी ने 2014 के दौरान गुजरात आॢथक विकास के मॉडल के साथ हिन्दुत्व को जोड़ दिया और मनसे ने प्रवासी विरोधी अपने रवैये और जेनफॉबिक (समुदाय विशेष से डर) राजनीति को 2009 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कभी नहीं छोड़ा, जिसके परिणामस्वरूप 2014 तक 288 सदस्यीय विधानसभा में इनकी संख्या 12 से कम होकर 1 रह गई। राज ठाकरे ने कभी भी भाजपा को विनाशकारी राजनीति करने के लिए नहीं बख्शा। वह हमेशा अपने चाचा बाल ठाकरे की मदद से आगे बढ़े। जब अन्य मोदी आलोचकों ने ऑनलाइन पर राज ठाकरे को ‘रुग्ण’, ‘प्रेस्टीट्यूट’ और ‘एंटीनैशनल’, कहा तो यह ठाकरे के लिए ङ्क्षचता का कारण बन गया। जब मुंबई के निवासियों ने राज ठाकरे के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की तो मनसे ने बाहर का रास्ता दिखाया। कैमरे के सामने वीडियो ऑन कर दिया। यह चेतावनी साफ दी गई कि मनसे के खिलाफ जो बोलेगा उसे घसीटकर बुरी तरह पीटेंगे।
विश्लेषकों की नजर में ठाकरे सच बोलने की क्षमता रखते हैं
राजनीतिक विश्लेषकों ने राज ठाकरे के हाल ही में फिर से राजनीतिक रूप से उभरने को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार को श्रेय दिया है। पिछले महीने मीडिया ने मनसे के साथ राकांपा नेताओं की गुमनाम मीटिंगों और गठबंधन की खबरें दीं। मगर यह समझौता राकांपा की गठबंधन सहयोगी कांग्रेस द्वारा वैचारिक आधार पर विरोध किए जाने से सिरे नहीं चढ़ पाया। वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस राज ठाकरे को एक ऐसा तोता बता रहे हैं जो पवार की कथा को पढ़ता है मगर अन्य विश्लेषकों के लिए राज ठाकरे की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि वह सत्ता के लिए सच बोलने की क्षमता रखते हैं।
एक नया विकल्प बनने की कवायद
राज ठाकरे जानते हैं कि वर्तमान में उनसे ज्यादा भीड़ जुटाने वाला लोकप्रिय नेता विपक्ष के खेमे में कोई नहीं है। कांग्रेस-राकांपा को नकारने वाले, मोदी और भाजपा से नाराज वोटरों के लिए विधानसभा में राज ठाकरे एक नया विकल्प हो सकते हैं। राज ने एक नया वोटर वर्ग अपने लिए तैयार किया है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि कांग्रेस-राकांपा के युवा कार्यकत्र्ताओं का झुकाव राज ठाकरे की तरफ बढ़ा है और बड़ी संख्या में दलित यूथ भी राज के प्रभाव में जा सकता है। वह यह साबित करने में कामयाब रहे हैं कि महाराष्ट्र में मोदी का ताॢकक विरोध करने वाला उनसे बेहतर नेता कोई नहीं है। उनकी यह छवि आने वाले विधानसभा चुनाव में उनके काम आएगी। यही उनकी प्रचार सभाओं की सबसे बड़ी कीमत होगी। कुल मिलाकर राज ने जो कुछ किया, वह अप्रासंगिक हो चुकी अपनी पार्टी को महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावों से पहले चर्चा में लाने की कवायद है और वह बहुत हद तक इसमें सफल रहे।