MP: किसानों को मनाने के लिए शिवराज का उपवास, कांग्रेस ने बताया- 'नौटंकी'
Saturday, Jun 10, 2017 - 02:10 PM (IST)
भोपाल: पिछले 10 दिन से मध्यप्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन के बीच आज प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी भोपाल के भेल दशहरा मैदान पर शांति बहाली के लिए अनिश्चितकालीन उपवास शुरु कर दिया। इसके पहले उन्होंने अपने संबोधन में उपवास का औचित्य बताते हुए स्पष्ट किया कि यह पूरे प्रदेश में शांति बहाली के लिए किया गया है और यह धरना-प्रदर्शन या आंदोलन कतई नहीं है। उन्होंने कहा कि वे यहीं से पूरे सरकारी कामकाज निपटाएंगे। उन्होंने किसानों के प्रतिनिधियों से भी चर्चा की। राज्य में हाल ही में किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसक घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ मुट्ठी भर लोगों ने इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया है। वे शांति बहाली होने पर ही यहां से उठेंगे और इस दौरान राजधर्म का पालन भी किया जाएगा।
Madhya Pradesh farmers' agitation: CM Shivraj Singh Chouhan reaches Bhopal's Dussehra Maidan to sit on fast "for peace" #Mandsaur pic.twitter.com/5QJW20nI3D
— ANI (@ANI_news) June 10, 2017
'आंदोलन तब जायज है, जब कोई बात न करे'
कभी भावुक और कभी गंभीर अंदाज में दिए अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि आंदोलन चला, पहले दिन से चर्चा की बात कर रहे हैं, आंदोलन तब जायज है, जब कोई बात न करे, लेकिन मैं (मुख्यमंत्री शिवराज) तो शुरु से ही बात कर रहा हूं। उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा- माहौल बनाया गया, अफवाहें फैलाई गईं, किसानों को भड़काने का काम किया गया और इसी बीच मेरा एक वीडियो भी वायरल किया गया जिसमें मैं यह कहते हुए दिखाई दे रहा हूं कि मैं किसानों को एक धेला भी नहीं दूंगा, जबकि एक चैनल ने बता दिया कि यह पुराना वीडियो है जो एक पुराने आंदोलन के दौरान का था। टीवी के माध्यम से सच्चाई सामने आई कि ये इस आंदोलन के संदर्भ में नहीं था, यह कर्मचारियों से जुड़ा था। किसानों के लिए तो मैं अपनी जान भी दे सकता हूं।
आंदोलन तब जायज़ है, जब सरकार न सुने। मैं आपसे चर्चा के लिए बैठा हूँ। आइये, बात करें: सीएम @ChouhanShivraj #Shivraj4Peace pic.twitter.com/faWLHUchbo
— CMO Madhya Pradesh (@CMMadhyaPradesh) June 10, 2017
'मैं मुहब्बत का संदेश लेकर यहां बैठा हूं'
उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि इस शांत प्रदेश को अशांत बनाने की कोशिश की गई, बच्चों के हाथों में पत्थर दे दिए गए, महिलाएं और बच्चे चीख रहे थे, पर बसों से लोगों को उतार कर वाहनों में आग लगा दी गई, वाहनों को जबदस्ती रोक-रोक कर दूध और सब्जियां फेंकी गईं, वह भी दूसरों की, अपनी नहीं, एंबुलेंस और बसें जला दी गईं, कौन जायज ठहरायगा ऐसे आंदोलन को। संख्य समाज में क्या यह स्वीकार किया जा सकता है, मैं यह सब सहन नहीं कर सकता था। उन्होंने किसी का भी नाम नहीं लेते हुए कहा कि मैं किसी की आलोचना नहीं करता, लेकिन थाने में आग लगा दो, पुलिस की गाड़ी जला दो, इस प्रकार का तरीका ठीक है क्या? क्या जरुरत थी इस स्थिति तक जाने की? घटना के पीछे कौन हैं? तथ्य सामने आने चाहिए, इससे किसको फायदा हो जाएगा? मध्यप्रदेश की धरती पर पत्थर नहीं चलें, इसके लिए महात्मा गांधी का तरीका अपनाते हुए मैं स्वयं को कष्ट देकर यहां बैठूंगा। मुख्यमंत्री केवल क्रूर शासक-प्रशासक नहीं हो सकता, मैं मुहब्बत का संदेश लेकर यहां बैठा हूं, आइए बात कीजिए।
आंदोलन के पीछे हिंसा करने वाले किसके हाथ हैं, इसकी जांच होगी। दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा: सीएम @ChouhanShivraj #Shivraj4Peace pic.twitter.com/lNqkejZzID
— CMO Madhya Pradesh (@CMMadhyaPradesh) June 10, 2017
'केजरीवाल जैसी नौटंकी पर उतरे शिवराज'
वहीं, शिवराज के दशहरा मैदान से सरकार चलाने के ऐलान पर विपक्ष ने उन पर करारा हमला बोला है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा, किसान की समस्या का समाधान करने के बजाय एक संवैधानिक पद पर बैठे मुख्यमंत्री नौटंकी पर उतर आए हैं। जबकि सच्चाई यह है कि वह मूल मुद्दे से ध्यान हटाने के सस्ते हथकंडे पर उतर आए हैं। माकपा के राज्य सचिव बादल सरोज ने कहा, किसानों की हत्या के बाद भी उन्हें अपशब्द कहने वाली सरकार के मुख्यमंत्री का 'शांति बहाली' के नाम पर उपवास का ऐलान एक शुद्ध राजनीतिक पाखंड है। पीड़ित, आंदोलित और शोक संतप्त परिवारों के घावों पर नमक छिड़कना है। यह तो ठीक वैसा ही है 'करें गली में कत्ल बैठ चौराहे पर रोएं।