मध्यप्रदेश के पूर्व CM सुंदरलाल पटवा का निधन, 3 दिन का राजकीय शोक घोषित

Wednesday, Dec 28, 2016 - 12:00 PM (IST)

भोपाल: भाजपा के वयोवृद्ध नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा का आज यहां निधन हो गया। वे 92 वर्ष के थे। हृदयाघात की सूचना के चलते पटवा को सुबह उनके आवास से तत्काल यहां एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके परिवार में पत्नी फूलकुंवर पटवा और भतीजे सुरेंद्र पटवा हैं। सुरेंद्र पटवा राज्य के संस्कृति और पर्यटन मंत्री हैं। सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अनेक वरिष्ठ नेता अस्पताल पहुंचे। पटवा के निधन की सूचना पर मध्यप्रदेश शोक में डूब गया। 

कुकडेश्वर में होगा अंतिम संस्कार
इस बीच आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने पटवा के निधन के कारण मध्यप्रदेश में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। उनकी पार्थिव देह आज अपरान्ह प्रदेश भाजपा कार्यालय में लोगों के दर्शनार्थ रखी जाएगी। उनका अंतिम संस्कार कल नीमच जिले में स्थित उनके गृहनगर कुकडेश्वर में पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। सीएम चौहान ने पटवा के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि यह उनके लिए अपूरणीय क्षति है। वे बेहतर प्रशासक थे और उन्होंने राज्य में भाजपा संगठन के लिए भी बहुत कार्य किया।  

जेल में गुजारे कुछ महीने
11 नवंबर 1924 को जन्मे पटवा पहली बार राज्य के सीएम 20 जनवरी 1980 को बने थे। जनता पार्टी सरकार के कार्यकाल में वे पहली बार 17 फरवरी 1980 तक ही सीएम रहे। इसके बाद वर्ष 1990 में राज्य में भाजपा की सरकार बनी और उस समय पटवा ने 5 मार्च 1990 से 15 दिसंबर 1992 तक सीएम पद की कमान संभाली। उस समय राष्ट्रपति शासन लगाने के कारण उन्हें सीएम पद छोडऩा पडा था। छात्र जीवन से ही सक्रिय रहे पटवा 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बने। 1948 में संघ के आंदोलन में शामिल होने के कारण उन्हें कुछ माह जेल में भी गुजारना पड़े। 

शिवराज के राजनीति के गुरू 
समय बीतने के साथ ही पटवा सहकारी आंदोलन से जुड़ गए और तब उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण दायित्वों को संभाला। वे आपातकाल के दौरान भी जेल में रहे। जन संघ से अपनी राजनीति शुरू करने वाल पटवा बाद में जनता पार्टी और फिर भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए। पटवा मौजूदा सीएम शिवराज सिंह चौहान के राजनीति के गुरू भी माने जाते हैं। वे राज्य की राजनीति में कई दशकों तक सक्रिय रहे और उनके नेतृत्व और मुद्दों की समझ का लोहा विपक्षी दल के नेता भी मानते थे। काफी समय से वह राजधानी भोपाल में ही अपने सरकारी आवास पर निवास कर रहे थे। 

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