लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने EU प्रस्ताव पर जताई आपत्ति, यूरोपीय संसद को लिखा पत्र

Monday, Jan 27, 2020 - 11:39 PM (IST)

नेशनल डेस्कः लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ यूरोपीय संसद में पेश किए गए प्रस्तावों के संबंध में उसके अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को सोमवार को पत्र लिखकर कहा कि किसी विधायिका द्वारा किसी अन्य विधायिका को लेकर फैसला सुनाना अनुचित है और इस परिपाटी का निहित स्वार्थ वाले लोग दुरुपयोग कर सकते हैं।

बिरला ने साथ ही कहा कि अंतरसंसदीय संघ का सदस्य होने के तौर पर ‘‘हमें साथी विधायिकाओं की संप्रभु प्रक्रियाओं का सम्मान करना चाहिए।'' उन्होंने पत्र में लिखा, ‘‘मैं यह बात समझता हूं कि भारतीय नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 को लेकर यूरोपीय संसद में ‘ज्वाइंट मोशन फॉर रेजोल्यूशन' पेश किया गया है।

बिरला ने साथ ही कहा कि अंतरसंसदीय संघ का सदस्य होने के तौर पर ‘‘हमें साथी विधायिकाओं की संप्रभु प्रक्रियाओं का सम्मान करना चाहिए।'' उन्होंने पत्र में लिखा, ‘‘मैं यह बात समझता हूं कि भारतीय नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 को लेकर यूरोपीय संसद में ‘ज्वाइंट मोशन फॉर रेजोल्यूशन' पेश किया गया है।

751 सदस्यीय यूरोपीय संसद में करीब 600 सांसदों ने सीएए के खिलाफ छह प्रस्ताव पेश किए हैं जिनमें कहा गया है कि इस कानून का क्रियान्वयन भारतीय नागरिकता प्रणाली में खतरनाक बदलाव करता है।

फ्रांस ने बताया भारत का आंतरिक मामला
हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सीएए भारत का पूरी तरह से एक आंतरिक विषय है और इस कानून को संसद के दोनों सदनों में चर्चा के बाद लोकतांत्रिक तरीके से अंगीकार किया गया है। ईयू संसद में प्रस्तावों के भारत के विरोधी होने को विस्तार से बताते हुए कहा, ‘‘हर समाज जो कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक नागरिकता प्रदान करने के मार्ग का अनुसरण करता है वह संदर्भ और अर्हता, दोनों पर विचार करता है। यह भेदभाव नहीं है।''  

 

Yaspal

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