घर जाने की आस में प्रवासियों की पूर्वी दिल्ली में यमुना पार्क के बाहर लगी लंबी लाइन

Thursday, May 21, 2020 - 10:55 PM (IST)

नई दिल्लीः लॉकडाउन के दौरान आश्रय गृह में तब्दील किये गए पूर्वी दिल्ली के यमुना क्रीड़ा स्थल के बाहर सैंकड़ों प्रवासियों ने घर वापस जाने के लिये टिकट पाने की आस में कतार लगा रखी है। वे दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से यहां आए हैं। क्रीड़ा स्थल पर प्रवासी कामगार अपने गृह राज्यों को जाने वाले ट्रेन में यात्रा के लिये पंजीकरण करा सकते हैं। उन्हें यहां भोजन भी मुहैया कराया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के निवासी विराज सिंह (19) ने कहा कि वह हरियाणा के पानीपत से पैदल चलकर दिल्ली पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, ''मैं करीब छह महीने पहले काम की तलाश में पानीपत गया था। वहां मजदूरी करता था। बुधवार को अपने दोस्त के साथ पानीपत से चला और 87 किलोमीटर का सफर तय करके बृहस्पतिवार सुबह दिल्ली पहुंचा। उम्मीद है कि सरकार जल्द ही हमें हरदोई भेज देगी।'' विराज के दोस्त शिवम सिंह (19) ने कहा कि वह बस घर वापस जाना चाहते हैं।

शिवम ने कहा, ''लॉकडाउन लागू होने के बाद हमारे पास कोई काम नहीं था। हम घर लौटने की उम्मीद लेकर पानीपत से दिल्ली के लिये निकले थे। हम बस हरदोई वापस जाना चाहते हैं और अगर वे हमें नहीं भेजेंगे तो हम अपनी बारी का इंतजार करेंगे।'' उत्तर प्रदेश के गोंडा के निवासी उमापति शुक्ला (36) ने कहा, ''मेरे पास बृहस्पतिवार तड़के 3 बजकर 51 मिनट पर ट्रेन के आरक्षण को लेकर एक संदेश आया। मैंने सुबह इसे देखा और अपनी पत्नी तथा दो बच्चों के साथ सुबह आठ बजे आदर्श नगर से यमुना क्रीड़ा स्थल पहुंच गया। मैं पिछले लगभग आठ घंटे से बाहर इंतजार कर रहा हूं।'' प्रॉपर्टी डीलर और बीमा एजेंट के तौर पर काम करने वाले शुक्ला ने कहा कि शहर में गुजर-बसर करना मुश्किल हो गया है।

शाहदरा जिले के कार्यकारी मजिस्ट्रेट और यमुना क्रीड़ा स्थल आश्रय गृह के प्रभारी आशीष मिश्रा ने कहा कि बृहस्पतिवार को 750 लोगों को उत्तर प्रदेश और 500 लोगों को बिहार भेजा गया है। मिश्रा ने कहा, ''बृहस्पतिवार को यूपी के 750 और बिहार के 500 लोगों को रेलवे स्टेशन भेजा गया है, जहां से वे अपने मूल राज्यों के लिये रवाना होंगे। हमारे पास लगभग 3,000 से 4,000 लोगों को उनके घर भेजने की क्षमता है। हम इसे बढ़ाकर 5,000 तक करना चाहते हैं।'' उन्होंने कहा, ''जो लोग आश्रय गृह से रेलवे स्टेशन के लिये जा रहे हैं उन्हें पैक किया हुआ भोजन और पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। रोजाना लोग आश्रय गृह आ रहे हैं और अपनी सुविधा के अनुसार वापस भी जा रहे हैं।''

 

Yaspal

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