एक घंटे बाद शुरू हुई लोकसभा की कार्यवाही, विपक्ष का वॉकआउट

Tuesday, Sep 22, 2020 - 05:31 PM (IST)

नई दिल्लीः कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कषगम, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा समाजवादी पार्टी सहित सभी विपक्षी दलों ने सरकार से किसान संबंधी विधेयक वापस लेने अथवा विधेयक में न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी नहीं हटाने की शर्त जोड़ने का लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मंगलवार को आग्रह किया लेकिन जब उनकी बात नहीं मानी गयी तो सभी विपक्षी दलों ने सरकार पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया। एक बार के स्थगन के बाद दोबारा जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई तो कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।

सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार से आग्रह किया कि विधेयक अभी उच्च सदन से पारित नहीं हुआ है इसलिए इसे वापस लिया जाना चाहिए अथवा में किसानों को उनकी फसल पर एमएसपी देने की शर्त जोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हित में गठित मंडीकरण की व्यवस्था का मंडीहरण कर रही है और किसानों के साथ अन्याय हो रहा है। बिरला ने कहा कि सदन विधेयक को पांच घंटे से अधिक की चर्चा के बाद पारित कर चुका है और उसे अब वापस नहीं लिया जा सकता।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि राज्यसभा में जो कुछ हुआ है उसको लोकसभा में मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए और ना ही उस मुद्दे को यहां उठाया जा सकता है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि यह क्रांतिकारी विधेयक है। इस कानून से किसानों की जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव आएगा और उनको उनकी फसलों का कई गुना लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार का गठन हुआ है तब से किसानों को डेढ गुना एमएसपी दिया जा रहा है। किसानों की फसल का पिछले छह साल में तीन गुना दाम बढाया गया है और उन्हें सात लाख करोड रुपए की मदद दी गई है। प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत किसानों को 75 हजार करोड़ रुपए दिये गये हैं।

तोमर ने कहा कि कांग्रेस गलत तरीके से इस विधेयक का विरोध कर रही है। उसके खाने के अलग और दिखाने के दांत अलग है। यह पार्टी संसद में कुछ कहती है और किसानों के बीच जाकर दूसरी बात करती है। उनका कहना था कि कांग्रेस का दुष्प्रचार कर रही है और उसे समझ लेना चाहिए कि एमएसपी उसके शासनकाल में भी कानून का हिस्सा नहीं था इसलिए उसे इसको लेकर लोगों को भ्रमित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के खिलाफ कहीं कोई आंदोलन नहीं हो रहा है। कांग्रेस जिसे आंदोलन कह रही है उसमें कहीं कोई किसान नहीं है और जो लोग विरोध कर रहे हैं उनमें कांग्रेस से प्रेरित लोग शामिल हैं।

तोमर ने कहा कि पहले कांग्रेस पार्टी के साथ ही डॉ मनमोहन सिंह और शरद पवार जैसे नेता इसी कानून को लाने की बात करते थे लेकिन दलालों के दबाव में उनकी इस कानून को लागू करने की हिम्म्त नहीं हुई और अब यह विधेयक पारित हो गया है तो उन्हें एहसास हो गया है कि किसान उनके हाथों से छिटक गया है इसलिए यह पार्टी अब परेशान होकर इस विधेयक का विरोध कर रही है।

चौधरी ने पलटवार करते हुए तोमर पर आरोप लगाया कि वह गलत बयानी कर देश के किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। एक वरिष्ठ मंत्री को इस तरह से तथ्यहीन बातें नहीं करनी चाहिए। उन्हें समझ लेना चाहिए कि देश का किसान, गरीब, मजदूर सब परेशान हैं। कांग्रेस नेता ने कहा ‘‘राज्यसभा में सरकार ने हमारा अधिकार छीना है। वह राज्यसभा के सदस्यों के साथ खड़े हैं। हमारी बात को नहीं सुना जा रहा है और हमें सदन का बहिष्कार करने को मजबूर किया जा रहा है।'' चौधरी के यह कहते ही पूरा विपक्ष सदन से बाहर चला गया। 

 

 

Yaspal

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