2019 लोकसभा चुनावों से ठीक पहले क्या असर छोड़ पाएंगी ''प्रियंका गांधी ?

Wednesday, Jan 23, 2019 - 06:32 PM (IST)

नई दिल्ली: केंद्र में सत्ता के लिए अहम उत्तर प्रदेश में हाशिये पर पहुंच चुकी कांग्रेस ने नेहरु गांधी परिवार के एक और सदस्य प्रियंका गांधी वाड्रा के रुप में तुरुप का इक्का चल दिया है जिससे प्रदेश के राजनीतिक माहौल में निश्चित रुप से बड़ा बदलाव आयेगा लेकिन पार्टी को इससे कितना फायदा मिलता है, इसका पता आने वाले आम चुनाव के बाद ही लग सकेगा।  कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रियंका को पार्टी महासचिव नियुक्त कर उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से का प्रभारी बनाया है। वह फरवरी के पहले सप्ताह में अपना कार्यभार संभालेंगी।  इस बार कांग्रेस ने यूपी में अपनी डूबी नैया को पार लगाने के लिए प्रियंका गांधी पर लगाया दांव काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आएए देखते हैं कि प्रियंका को कांग्रेस महासचिव बनाने से कांग्रेस और 2019 की चुनावी राजनीति क्या फर्क आएगा। 
 

इंदिरा की छवि से बढ़ी लोकप्रियता
प्रियंका के राजनीति में आने से कहा जा रहा है कि इंदिरा को एक अच्छा शासक मानने वालों का प्रियंका की तरफ रुझान बढ़ेगा। कहा जाता है कि प्रियंका के पहनावे, बोलचाल और भाषण कला में उनके चाहने वालों को इंदिरा की छवि दिखाई देती है। लोगों का कहना है कि अमेठी और रायबरेली में चुनाव प्रचार करते हुए उनकी भाषण कला को बहुत बेहतर बताया जाता रहा है। वहीं ये भी कहा जाता है कि प्रियंका अपने पिता की तरह जनता से सीधे संवाद करने के लिए जानी जाती हैं। शुरु से ही प्रियंका को राजनीति में लाने के लिए यही तर्क दिए जाते थे। साथ ही इंदिरा की छवि की वजह से उनकी आम जनता और चाहने वालों में लोकप्रियता पहले भी काफी रही है।

महिला वोटरों के लिए अच्छा विकल्प
ऐसा माना जा रहा है कि प्रियंका के आने से महिला वोटरों का रुझान उनकी तरफ बढ़ेगा साथ ही सवर्ण वोटरों को एक बड़ा तबका भी प्रियंका के नाम पर कांग्रेस के साथ जा सकता है। 

बढ़ेगी ये मुश्किलें
कांग्रेस के इस फैसले के साथ ही पार्टी के लिए कई मुश्किलें और बढ़ेगीं। पहला ये की विरोधी पार्टियां पहले की कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाती आई हैं जो इस फैसले के साथ और तेजी से विरोध की वजह बनेगा। इसके अलावा प्रियंका वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े मामलों को लेकर विरोधी पार्टियां तेजी से घेराव करेंगी जिसका सामना दोनों को ही करना होगा। कई जगह ये भी माना जा रहा है कि प्रियंका अगर समय के साथ पार्टी में खुद को साबित करती चलीं गई तो राहुल के साथ-साथ दो नेतृत्व तैयार हो जाएंगे। जो पार्टी के लिए निगेटिव असर ला सकते हैं लेकिन ये भविष्य में तय होगा। 

राहुल के लिए लेकर आएंगी बड़ा सपोर्ट 
प्रियंका की राजनीति में एंट्री कहीं ना कहीं राहुल गांधी के लिए बतौर बड़े सपोर्ट के तौर पर देखी जाएगी। बताया जाता है कि पार्टी के कई बड़े फैसलों में प्रियंका की अप्रत्यक्ष तौर पर हिस्सेदारी रहती है लेकिन अब वह सीधे तौर पर पार्टी में महासचिव के पद पर प्रभाव छोड़ेगीं। जोकि कांग्रेस के लिए मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है। 

बड़ी जिम्मेदारियां और उम्मीदें
इन सब कारणों को देखते हुए कह सकते हैं कि प्रियंका के लिए राजनीति उतनी आसान नहीं होगी। इंदिरा की छवि के साथ कितना न्याय कर पाएंगी ये एक बड़ी बात होगी। वहीं जहां मोदी एक बड़े ब्रांड के तौर पर पहले से ही मौजूद हैं वहां प्रियंका अपना कितना असर छोड़ पाएंगी ये कह पाना मुश्किल हैं। कांग्रेस के जो हालात हैं उस हिसाब से राहुल के साथ-साथ प्रियंका पर भी बड़ी जिम्मेदारियां आ चुकी हैं। खासतौर पर यूपी में खुद को साबित करना बड़ी जिम्मेदारी के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि यूपी के सीटों से केंद्र की राजनीति तय होती है। 
 

क्या छोड़ पाएंगी असर?
जहां राहुल गांधी ने पिछले तीन विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करके कांग्रेस की राजनीति में जान फूंकी हैं वहीं प्रियंका के आने से यूपी में उनकी टक्कर सीधे तौर पर योगी और मोदी से होगी। प्रियंका चेहरे के तौर पर पहले ही पार्टी और पार्टी के बाहर काफी लोकप्रिय हैं लेकिन राजनीति में कितना असर छोड़ पाएंगी देखने वाली बात होगी? बहरहाल ये कह सकते हैं कि प्रियंका की राजनीति में एंट्री कांग्रेस के समर्थकों में जान फूंक देगी। साथ ही पार्टी के लिए भी बड़ा फर्क ला सकती है। 2019 के लोकसभ चुनावों से ठीक पहले प्रिंयका की एंट्री इसे और मजेदार बना देगी, ये बात तो पक्की है।

Anil dev

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