दलबदलुओं ने चुनाव को बनाया IPL

Saturday, Apr 20, 2019 - 09:20 AM (IST)

इलैक्शन डैस्क (संजीव शर्मा): शुक्रवार की 2 बड़ी सियासी घटनाओं के तहत कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने अपना पद छोड़ दिया और शिव सेना में शामिल हो गईं। उधर पंजाब कांग्रेस का अहम चेहरा रहे जगमीत बराड़ अकाली दल में चले गए। इस बार फिर से यह सामने आया कि चुनाव में अभूतपूर्व दलबदल हो रहा है। इससे पहले शायद ही लोकसभा चुनाव में इतने बड़े पैमाने पर नेता इधर से उधर गए हों। अब तक करीब पांच दर्जन बड़े नाम पार्टी, चुनाव चिन्ह और झंडा बदल चुके हैं। इस लिहाज से अब चर्चा है कि लोकसभा का यह चुनाव दलबदलुओं का भी चुनाव है। आई.पी.एल. की तरह यह पता ही नहीं चल रहा कि कौन कहां से खेल रहा है। इनमें से कितने चुनकर संसद में पहुंचते हैं कितने नहीं यह तो वक्त बताएगा। फिलहाल देखना यह है कि आखिरी चरण तक दलबदल क्या-क्या गुल खिलाएगा और कौन किसे छोड़कर कहां जाएगा।  

वो जो खादी छोड़ खाकी के हो गए 
कांग्रेस का दामन छोडऩे वाले 22 में से 8 विधायकों ने पिछले 2 महीनों में भाजपा का दामन थामा है। इनमें से 5 विधायक अकेले गुजरात से ही हैं। मेहसाणा जिले के उंझा से विधायक आशा पटेल, विधायक जवाहर चावड़ा समेत 5 विधायकों ने भाजपा का झंडा थाम लिया। इनमें से 2 को कैबिनेट मंत्री का पद मिला। चावड़ा समेत इन सभी के लिए अब उपचुनाव में दोबारा चुने जाने की चुनौती सामने है। उधर कर्नाटक में चिंचोली से कांग्रेस विधायक उमेश जाधव और अरुणाचल से  विधायक माॢकयो टाडो भाजपा में शामिल हो चुके हैं।  महाराष्ट्र में भी कांग्रेस के विधायक सुजय विखे पाटिल अहमदनगर से टिकट न मिलने पर भाजपा में चले गए, एक हफ्ते बाद पाटिल के पिता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने भी महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ दिया। केरल कांग्रेस सचिव और सोनिया गांधी के करीबी टॉम वडकन ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस विधायक दुलाल चंद्र बार ने भाजपा के साथ गठजोड़ कर लिया। उधर हरियाणा में पूर्व कांग्रेसी सांसद अरविंद शर्मा भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। 

जिन्होंने कमल की बजाय पकड़ा हाथ 
फरवरी से लेकर अब तक भाजपा के 3 बड़े सांसद कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं। दरभंगा से सांसद कीर्ति आजाद, बहराइच से सावित्री बाई फूले और इटावा से अशोक दोहरे पार्टी छोड़ गए। मुजफ्फरनगर के मीरपुर से भाजपा विधायक अवतार सिंह भड़ाना ने भी कांग्रेस ज्वाइन कर ली है। भड़ाना को पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा का कद्दावर गुज्जर नेता माना जाता है। गोवा में मंत्री रहे भाजपा नेता महादेव नायक ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया है। 

क्षेत्रीय पार्टियों में भी हलचल
 दलबदल के दंश से सिर्फ राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय पार्टियां भी पीड़ित हैं। बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के 2 सांसद अनुपम हाजरा और सौमित्र खान भाजपा में शामिल हो चुके हैं। तृणमूल विधायक अर्जुन सिंह ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। इसी तरह हबीबपुर से विधायक सी.पी.एम. के खगेन मुरमु ने भी भाजपा का रुख कर लिया है।  उत्तर प्रदेश में बसपा के विधायक मुकुल उपाध्याय भाजपा में गए हैं। इसी तरह पार्टी के 2 पूर्व विधायकों रामहित भारती और गोटियारी लाल दुबे ने भी भाजपा ज्वाइन कर ली है। फतेहाबाद से 3 बार विधायक रहे छोटे लाल वर्मा ने भी भाजपा का रुख कर लिया है। बसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता उमेद प्रताप भी भाजपाई हो गए हैं। इसी तरह समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद यशवीर सिंह, बिलासपुर से पूर्व विधायक वीणा भारद्वाज ने भाजपा और फतेहपुर से पूर्व सांसद राकेश सचान ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली है। ओडिशा के केंद्रपाड़ा से बीजद सांसद बिजयंत जयपंडा भी भाजपा के हो गए हैं। 

अब तक छप्पन 
फिल्मी दुनिया से लेकर सियासत तक 56 का अंक सब जगह अपनी धाक जमा चुका है। मौजूदा चुनाव में भी उसने रंग दिखाया है। दिलचस्प ढंग से अब तक 56 बड़े नेता (विधायक और सांसद) दल बदल चुके हैं। सुखराम से लेकर शत्रुघ्न सिन्हा और प्रियंका चतुर्वेदी से लेकर जयाप्रदा तक कई बड़े चेहरे दल बदल चुके हैं। पूरे देश में 9 मौजूदा सांसदों के साथ ही 39 विधायकों ने खेमा बदला है और 8 पूर्व सांसद /विधायक भी इधर-उधर हो चुके हैं। कांग्रेस के एक सांसद और 21 विधायकों ने पार्टी छोड़ी तो भाजपा ने कुल 5 सांसद और 12 विधायक गंवाए। पूर्वोत्तर में अरुणाचल और मणिपुर में भी बड़े पैमाने पर इसी हफ्ते दलबदल हुआ है।

ये जनाब तो और भी गजब 
कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने दलबदल की तमाम परिभाषाएं ही नए सिरे से लिख डाली हैं। शत्रुघ्न सिन्हा इनमें टॉप पर हैं, पटना में वह भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की टिकट पर समर्थन मांग रहे हैं, जबकि लखनऊ में वह कांग्रेस के खिलाफ सपा के लिए समर्थन मांग रहे हैं। वहां से उनकी पत्नी पूनम सिन्हा चुनाव लड़ रही हैं।   सबसे दिलचस्प रहा विजय प्रकाश जायसवाल का बसपा से भाजपा में जाना क्योंकि जायसवाल ने 2014 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था। उधर हिमाचल में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम और उनका पोता आश्रय कांग्रेस में चले गए हैं। आश्रय मंडी से कांग्रेस टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं तो उनके पिता अनिल शर्मा मंत्री पद छोडऩे के बाद अभी भी भाजपा के विधायक हैं।   


 

Anil dev

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