लोकसभा चुनाव: BJP 5 राज्यों में अकेली, नहीं मिल रहा ‘साथी’

Monday, Mar 18, 2019 - 10:52 AM (IST)

जालंधर (मनीष शर्मा): 2019 लोकसभा चुनाव के मतदान को कुछ दिन ही रह गए हैं। आखिरी वक्त में सभी राजनीतिक दल ज्यादा से ज्यादा दलों के साथ गठबंधन करने की कोशिश में लगे हुए हैं ताकि बहुमत का आंकड़ा दूर न रह जाए। 2014 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ 16 दलों के साथ गठबंधन करने वाली भाजपा ने अब की बार 29 दलों के साथ गठबंधन कर लिया है लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद उसको पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल और  तेलंगाना में गठबंधन के लिए कोई ‘साथी’ नहीं मिल रहा है। 2014 के आम चुनाव में भाजपा को इन पांचों राज्यों में सिर्फ  6 सीटें ही मिली थीं। 

पश्चिम बंगाल की राजनीति में वामपंथी विचारधारा हमेशा से हावी रही है। 2018 में हुए राज्य के निकाय चुनावों में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था और वह दूसरे नंबर पर रही थी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह खुद बंगाल की राजनीति में खास रुचि ले रहे हैं लेकिन वह चाह कर भी राज्य में नए ‘साथी’ की तलाश कर पाने में असफल रहे हैं और तो और जो पुराने साथी थे उन्होंने भी साथ छोड़ दिया है। इस साल 19 जनवरी को भाजपा के 10 साल पुराने साथी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने अलग गोरखालैंड राज्य की मांग न माने जाने और संसद में सरकार द्वारा लाए गए सिटीजनशिप बिल के विरोध में भाजपा से किनारा कर लिया है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने अब तृणमूल कांग्रेस (टी.एम.सी.) को समर्थन देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि 2014 के चुनाव में दार्जीङ्क्षलग सीट से लड़ रहे भाजपा के उम्मीदवार एस.एस. आहलूवालिया ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के समर्थन से टी.एम.सी. के उम्मीदवार मशहूर फुटबॉलर बाइचुंग भूटिया को हराया था। 2014 के चुनाव में सहयोगी रही कामतापुर पीपल्ज पार्टी ने 2016 में ही भाजपा का साथ छोड़ दिया था।


पिछले साल राज्य को विशेष दर्जे की मांग पूरी न होने के कारण तेलगू देशम पार्टी (टी.डी.पी.) एन.डी.ए. सरकार से बाहर हो गई थी। 2014 के आम चुनाव में टी.डी.पी. के समर्थन के चलते ही भाजपा को राज्य में 3 सीटें मिलीं। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने हाल ही में टी.डी.पी. अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू को साफ कर दिया है कि अगर 2019 में भाजपा की सरकार केंद्र में फिर से बनती है तो भाजपा तेलगू देशम पार्टी को एन.डी.ए. में शामिल नहीं होने देगी। भाजपा ने पार्टी महासचिव राम माधव और मुरलीधर राव को जिम्मेदारी सौंपी थी कि वह क्षेत्रीय दलों को गठबंधन के लिए राजी कर सकें लेकिन उनको सफलता नहीं मिल पाई है। तेलगू एक्टर पवन कल्याण जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसक थे उनकी पार्टी जना सेना ने भी भाजपा की बजाय बहुजन समाज पार्टी को गठबंधन के लिए चुना है।

लोकसभा चुनाव के बाद हुआ था तेलंगाना राज्य का गठन
तेलंगाना राज्य का गठन 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद 2 जून, 2014 में हुआ। भाजपा को उम्मीद थी कि राज्य की सबसे ताकतवर पार्टी तेलंगाना राज्य समिति (टी.आर.एस.) से गठबंधन हो जाएगा लेकिन उन्होंने टी.आर.एस. की राजनीति को समझने में भूल कर दी। उन्होंने टी.आर.एस. के आगे शर्त रखी कि वह तभी एन.डी.ए. में शामिल हो सकेगी अगर वह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (ए.आई.एम.आई.एम.) का साथ छोड़ देगी। भाजपा ने जो सोचा था हुआ उसके उलट टी.आर.एस. अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव ने भाजपा को साफ संदेश दे दिया कि वह भाजपा से गठबंधन के लिए अपने दोस्तों को नहीं छोड़ सकती। राज्य में भाजपा की पुरानी सहयोगी टी.डी.पी. ने पिछले साल ही भाजपा से किनारा कर लिया था। अब टी.आर.एस. और पवन कल्याण की जना सेना पार्टी की बेरुखी ने राज्य में भाजपा के विस्तार के सपने को धूमिल कर दिया है।




ओडिशा में बीजू जनता दल (बी.जे.डी.) के अध्यक्ष नवीन पटनायक का जादू अभी भी कायम है। एन.डी.ए. गठबंधन में शामिल जनता दल यूनाइटेड (जे.डी.यू.) के अध्यक्ष नीतीश कुमार नवीन पटनायक के अच्छे दोस्त माने जाते हैं। दोस्ती की खातिर 2018 में राज्यसभा के उपसभापति चुनाव में जे.डी.यू. के उम्मीदवार को बी.जे.डी. ने अपना समर्थन दिया था। भाजपा उम्मीद कर रही थी कि नीतीश कुमार नवीन पटनायक को एन.डी.ए. के खेमे में ला पाएंगे क्योंकि भाजपा और बी.जे.डी. का दुश्मन एक ही है-कांग्रेस लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। हालांकि चुनाव रैली में दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर हमला करने से बच रही हैं। नवीन पटनायक ने नोटबंदी, सर्जीकल स्ट्राइक और राफेल पर भाजपा को समर्थन दिया है। भाजपा उम्मीद कर रही है कि चुनाव के बाद शायद बी.जे.डी. एन.डी.ए. में शामिल हो जाए!



2014 के लोकसभा चुनाव में भले ही भाजपा राज्य में एक भी सीट जीत नहीं पाई थी लेकिन सबरीमाला विवाद के बाद भाजपा और आर.एस.एस. की उम्मीद जगी है कि वह केरल की कुल 20 सीटों में से कम से कम 4 सीटें-तिरुवनंतपुरम, पथानामथिट्टा, त्रिशूर और पलक्कड़ में जीत दर्ज कर लेंगे। जीत की संख्या को और बढ़ाने के लिए भाजपा गठबंधन के लिए भारत धर्म जन सेना पार्टी से बात कर रही थी लेकिन राज्य भाजपा के अंदर मतभेद और भारत धर्म जन सेना के नेता तुषार वेल्लप्पल्ली के संदेह के चलते मामला अधर में लटक गया है।
 

Anil dev

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