लोकसभा में बहुमत से कम हुईं BJP की सीटें

punjabkesari.in Tuesday, May 22, 2018 - 10:54 AM (IST)

नई दिल्ली(विशेष): साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने दम पर बहुमत हासिल करते हुए 282 सीटें जीती थी लेकिन अब चार साल बाद लोकसभा में अकेले बहुमत से दूर है। बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटों के आंकड़े से भाजपा नीचे उतर गई है। स्पीकर को छोड़कर उसके पास लोकसभा में केवल 270 सीटें बची है। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी ने अपने सांसद कीर्ति झा आजाद को निलंबित कर दिया है और साथ हीं उनके एक सांसद शत्रुघ्न सिन्हा अभी बागी तेवर अपनाए हुए हैं। हालांकि, अभी भी एनडीए के पास बहुमत से काफी अधिक सीटें हैं लेकिन अब भाजपा अकेले दम पर सरकार में बने रहने की स्थिति में नहीं रही है। भाजपा की यह स्थिति कर्नाटक चुनाव के बाद हुई, जब स्पीकर ने कर्नाटक के दो सांसद बीएस यदियुरप्पा और बी श्रीरामुलु के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया।
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बता दें कि दोनों नेता कर्नाटक विधान सभा चुनाव में उम्मीदवार बने और जीत भी हासिल की। दोनों नेताओं ने विधान सभा सदस्य के रूप में शपथ लिया और अपनी संसदीय सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिसे लोकसभा अध्यक्ष ने स्वीकर कर लिया। इसके बाद भाजपा की 2 सीटें कम हो गई। हालांकि इससे भाजपा सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं है लेकिन चार सालों में पार्टी की सीटें घटने के अहम मायने हैं। इससे एनडीए के सहयोगी दलों पर पार्टी की निर्भरता बढ़ गई है। लेकिन एनडीए में भी शिवसेना के सुर बदलते रहते हैं। भाजपा की सीटें कम होने का कारण पिछले कुछ दिनों में हुए लोकसभा उपचुनावों में उसकी हार और उसके कुछ सांसदों का इस्तीफा रहा है। पिछले दिनों भाजपा को कई उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा है। 
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भाजपा को उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर सीट के साथ-साथ पंजाब में गुरुदासपुर, राजस्थान में अलवर और अजमेर सीट तथा मध्यप्रदेश के भीड सीट पर पर हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, कुछ उपचुनावों में भाजपा ने अपनी सीटें बरकरार भी रखी। उसे गुजरात के बडोदरा, मध्यप्रदेश के शाहडोल और असम के लखीमपुर सीट पर जीत हासिल हुई थी। अब भाजपा के पास अकेले दम पर बहुमत तक पहुंचने का एक और मौका आया है। 28 मई को चार लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। इसमें दो सीटें महाराष्ट्र की है। यहां के भंडारा-गोंडिया सीट भाजपा सांसद नाना पटोले के इस्तीफे के कारण खाली हुई है, तो दूसरी पालघर की सीट भाजपा सांसद सी वांगा की मौत के कारण खाली हुई है। इस सीट पर भाजपा को एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन का सामना करना पड़ेगा। 
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दूसरी ओर यूपी में कैराना की सीट भाजपा सांसद हुकुम सिंह की मौत के कारण खाली हुई है, जहां भाजपा को बसपा-सपा-रालोद के संयुक्त प्रत्याशी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा एक सीट नगालैंड में नेफ्यू रियो के इस्तीफे से खाली हुई है, जो भाजपा की सहयोगी पार्टी एनडीपी के हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद इस सीट से इस्तीफा दिया था।    
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Anil dev

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