न्यायाधीश के फेसबुक पोस्ट पर वकील का कमेंट हो सकता है कदाचार: अदालत

Friday, Jul 20, 2018 - 12:25 PM (IST)

मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने पुणे जिला अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें मामले से जुड़े एक वकील के न्यायाधीश की फेसबुक पोस्ट पर ‘ कमेंट ’ करने के बाद मामले को इस न्यायाधीश से स्थानान्तरित कर दिया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा कि कुछ परिस्थितियों में वकील द्वारा किसी न्यायाधीश के सोशल मीडिया पोस्ट पर टिप्पणी करने को ‘‘ पेशेवर कदाचार ’’ के रूप में देखा जा सकता है।  

इसी महीने एक आदेश में न्यायमूर्ति शांतनु केमकर और न्यायमूर्ति नितिन सांब्रे की पीठ ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में न्यायाधीश के मामले से खुद को अलग करना न्यायोचित होगा। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश एस बी बहाल्कर के सामने एक संपत्ति विवाद की सुनवाई के दौरान यह मुद्दा उठा।  पेशे से वकील और खुद भी एक याचिकाकर्ता सोनिया प्रभु ने न्यायाधीश बहाल्कर के एक फेसबुक पोस्ट पर टिप्पणी की थी।

बहाल्कर ने जिला न्यायाधीश एस एम मोडक से इस मामले से अलग होने की अनुमति मांगते हुये कहा कि फेसबुक पोस्ट का इस मामले से कोई लेना देना नहीं है लेकिन इस तरह का संवाद अनुचित लगता है। मोडक ने इस मामले को एक अन्य न्यायाधीश के पास स्थानान्तरित कर दिया। उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि जिला न्यायाधीश ने सही फैसला किया। तीन जुलाई के आदेश में उच्च न्यायालय ने कहा कि उनकी अपील सुनने वाले न्यायाधीश की फेसबुक पोस्ट के संबंध में वकील के आचरण को पेशेवर कदाचार के रूप में देखा जा सकता है। 
 

vasudha

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