कुणाल कामरा ने ‘गद्दार’ टिप्पणी पर दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी, बंबई उच्च न्यायालय में 21 अप्रैल को होगी सुनवाई
punjabkesari.in Monday, Apr 07, 2025 - 11:30 AM (IST)

नेशनल डेस्क: मुंबई के प्रसिद्ध स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द कराने के लिए बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। कामरा ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके खिलाफ यह शिकायतें उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संविधान में दिए गए जीवन एवं स्वतंत्रता के अधिकार शामिल हैं। कुणाल कामरा के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी और उनकी याचिका ने एक बार फिर से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता को उजागर किया है। न्यायालय का निर्णय इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या उनके खिलाफ की गई टिप्पणी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में रखा जा सकता है या यह किसी अन्य तरीके से समाज की शांति को प्रभावित करने वाली है। 21 अप्रैल को होने वाली सुनवाई के बाद इस मामले में कोई ठोस निर्णय आने की उम्मीद है।
याचिका की जानकारी
कुणाल कामरा ने 5 अप्रैल को बंबई उच्च न्यायालय में यह याचिका दायर की। याचिका में उन्होंने दावा किया है कि पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी उनके अधिकारों का उल्लंघन करती है। उनका कहना है कि यह मामला भारतीय संविधान द्वारा उन्हें दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, व्यवसाय करने के अधिकार और जीवन के अधिकार का उल्लंघन करता है। कामरा का कहना है कि उनके खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं, वह केवल एक सार्वजनिक हास्य कार्यक्रम के दौरान की गई टिप्पणी के कारण हैं। उनका यह भी कहना है कि इस मामले से जुड़े मामले राजनीति से प्रेरित हो सकते हैं, और इसके माध्यम से उनकी अभिव्यक्ति पर अतिक्रमण किया जा रहा है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला तब सामने आया जब कामरा ने एक कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर कटाक्ष किया। कामरा ने फिल्म ‘दिल तो पागल है’ के एक गाने का परिवर्तित संस्करण इस्तेमाल करते हुए शिंदे पर टिप्पणी की, जिसमें उन्हें "गद्दार" कहा गया था। हालांकि, कामरा ने शिंदे का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया था। शिवसेना विधायक मुरजी पटेल की शिकायत के बाद मुंबई पुलिस ने कामरा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। पटेल का आरोप था कि कामरा की यह टिप्पणी शिंदे का अपमान करने वाली थी और इससे सार्वजनिक शांति भंग हो सकती थी।
कामरा को मिली अंतरिम जमानत
इस मामले में कामरा ने पहले ही मद्रास उच्च न्यायालय से अंतरिम अग्रिम जमानत प्राप्त कर ली थी। उन्हें इस मामले में पिछले महीने जमानत दी गई थी। गौरतलब है कि कामरा तमिलनाडु के स्थायी निवासी हैं और तीन बार समन भेजे जाने के बावजूद वे मुंबई पुलिस के समक्ष पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए थे। इसके कारण उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
न्यायालय में मामले की सुनवाई
बंबई उच्च न्यायालय में कामरा की याचिका की सुनवाई 21 अप्रैल को न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी। इस मामले की सुनवाई में कामरा के वकील मीनाज काकलिया का कहना है कि पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई पूरी तरह से अनुचित और उनके मुवक्किल के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। कामरा ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया कि उनके खिलाफ की गई कार्रवाई केवल उनके पेशेवर कर्तव्यों और उनके व्यक्तित्व के खिलाफ एक राजनीतिक कदम हो सकती है। उनके अनुसार, यह हमला उनके हास्य की स्वतंत्रता और समाज में उनके विचार व्यक्त करने के अधिकार पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
समाज में बँटी हुई प्रतिक्रियाएँ
कुणाल कामरा के इस मामले ने एक बार फिर से समाज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और हास्य के अधिकार पर बहस को जन्म दिया है। एक ओर जहां कामरा के समर्थक उन्हें अपनी अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन मानते हुए उनका समर्थन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके आलोचक यह मानते हैं कि सार्वजनिक हस्तियों के खिलाफ इस प्रकार की अपमानजनक टिप्पणियाँ अनुचित होती हैं और इससे समाज में अराजकता पैदा हो सकती है।