राष्ट्रपति चुनाव: PM की मौजूदगी में कोविंद ने भरा नामांकन, आडवाणी भी रहे मौजूद
Friday, Jun 23, 2017 - 02:11 PM (IST)
नई दिल्ली: राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा नीत राजग के कई मुख्यमंत्रियों और उनकी उम्मीदवारों को समर्थन देने वाले कुछ अन्य दलों के प्रमुखों की मौजूदगी में आज अपना नामांकन पत्र दायर किया। कोविंद अमित शाह और कई नेताओं के साथ संसद भवन पहुंचे। पीएम मोदी के साथ भाजपा के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भी संसद भवन में मौजूद रहे। नामांकन करने के बाद रामनाथ कोविंद मीडिया से बात भी करेंगे।
#WATCH:Visuals of NDA's presidential candidate Ram Nath Kovind, PM Modi,Venkaiah Naidu,LK Advani,Amit Shah,Murli Manohar Joshi at Parliament pic.twitter.com/W7gMuNnTq3
— ANI (@ANI_news) June 23, 2017
दिग्गजों का जमावड़ा
कोविंद के नामांकन के लिए प्रकाश सिंह बादल, रामविलास पासवान, मेनका गांधी, जनरल वी. के. सिंह, मुख्तार अब्बास नकवी, कैलाश विजयवर्गीय, थावरचंद गहलोत, शिवराज सिंह चौहान, संसद भवन में मौजूद थे। इसके अलावा गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह भी वहां थे। हालांकि JDU से कोई भी प्रतिनिधि वहां नहीं पहुंचा। 17 जुलाई को होने वाले चुनाव में कोविंद की जीत तय मानी जा रही है, हालांकि मुकाबला होना तय है क्योंकि गुरुवार को विपक्षी पार्टियों ने लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया।
चुनाव 17 जुलाई को होंगे और मतगणना 20 जुलाई को होगी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त होगा। यदि कोविंद को राष्ट्रपति चुन लिया जाता है तो वह सर्वाेच्च संवैधानिक कार्यालय का पदभार संभालने वाले दूसरे दलित होंगे। पहले दलित राष्ट्रपति के आर नारायणन थे जो 1997-2002 में राष्ट्रपति भवन में थे। अधिक चर्चा में नहीं रहने वाले 71 वर्षीय कोविंद ने भाजपा में कई संगठनात्मक पद संभाले हैं। उन्हें मई 2014 में राजग के सत्ता में आने के बाद 2015 में बिहार का राज्यपाल बनाया गया था।
दो बार राज्यसभा सांसद रह चुके कोविंद को संभावित उम्मीदवारों की सूची में नहीं माना जा रहा था लेकिन भाजपा द्वारा उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने को राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक समझा जा रहा है। कोविंद की छवि साफ है और 26 साल के उनके राजनीतिक करियर में वह कभी किसी विवाद में नहीं रहे। उनकी दलित छवि उन्हें एेसे समय में अच्छा राजनीतिक चयन बनाती है जब भगवा दल दलितों को लुभाने की कोशिशों में जुटा है।