कोटा में करियर के साथ मिल रहा ड्रग्स, सेक्स और तनाव

Monday, Jan 29, 2018 - 11:02 AM (IST)

नई दिल्ली: डॉक्टर और इंजीनियरिंग का सपना लेकर कोटा पहुंच रहे युवा नशा, सेक्स और तनाव के जाल में फंस रहे हैं। नतीजतन युवा यहां यौन अनुभव, प्रेग्नेंसी, नींद न आना, अकेलेपन, वजन कम होने जैसी समस्यायों से घिर रहे हैं। यह खुलासा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट में हुआ है। इसमें अभिभावकों को यह सलाह भी दी गई है कि पहले वह कोटा के माहौल को समझें, इसके बाद ही बच्चों को वहां छोडऩे का निर्णय लें। 

कोचिंग सेंटरों में सामने आईं 58 आत्महत्या की घटनाएं 
पुलिस रिकार्ड के मुताबिक 2013 से 2017 के बीच जिले के कोचिंग सेंटरों में 58 आत्महत्या की घटनाएं सामने आईं। हालांकि, आत्महत्या की कोशिश के बारे में कोई डेटा नहीं मिल सका है। 2011 से 2014 के बीच देशभर के 88 शहरों में परीक्षा में फेल होने के कारण हुई आत्महत्या की घटनाओं में से सबसे अधिक कोटा में हुई थीं। रिपोर्ट में पढ़ाई के दबाव को कम करने के तरीके भी सुझाए गए हैं। सबसे अहम सुझाव यह कि बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए काउंसलिंग हो, शिक्षकों को भी बच्चों के मनोविज्ञान के हिसाब से उनसे बात करने की ट्रेनिग दी जाए, डॉक्टर्स हर समय उपलब्ध हों और आपस में समझ और व्यवहार सुधारने के लिए फिल्में दिखाने और खेलों को प्रोत्साहित किया जाए। रिपोर्ट का सुझाव है कि कोटा में कोङ्क्षचग क्लास में 40 से ज्यादा बच्चों को न रखा जाए।

झूठे वादों ने बढ़ाई मुसीबत
कोटा में पढऩे वाले बच्चों की सबसे ज्यादा मुसीबत झूठे विज्ञापनों ने बढ़ाई है। दरअसल ज्यादातर विज्ञापन भ्रमित किए जाने वाले होते हैं। नतीजतन बच्चे ही नहीं अभिभावक भी झूठी उम्मीदें पाल लेते है, जिनके पूरा नहीं होने पर वह अवसाद की चपेट में आ जाते हैं। रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि विज्ञापनों में सही आंकड़े दिए जाएं। वहीं कोचिंग संचालकों से यह बताने को कहा गया है कि वह बच्चों को बताएं कि कॉलेज में दाखिला दिलाने की गारंटी नहीं है।
 

Advertising