Mother's Day: जिस महिला ने शुरुआत की इस दिन, उसने ही की खत्म करने की कोशिश...जनिए क्यों

Sunday, May 09, 2021 - 10:55 AM (IST)

नेशनल डेस्क: आज मदर्स डे (Mother's Day) पर तमाम लोग अपनी मां के लिए स्पेशल मैसेज या गिफ्ट उनको दे रहे हैं। मदर्स डे मां के समर्पण और उनके प्यार के लिए शुक्रिया कहने का मात्र एक छोटा-सा दिन ही है क्योंकि मां अपने बच्चों के लिए जीवन भर जो करती है उसका कर्ज तो कोई भी एख दिन मं नहीं चुका सकता। खैर हर किसी के मन में एक सवाल तो जरूर होगा कि आखिर मदर्स किसने और क्यों शुरू किया। आप जानकार हैरान होंगे कि जिस महिला ने मदर्स डे शुरू किया था उसने इसे खत्म करने की भी कोशिश की थी और उस महिला का परिवार या कोई भी रिश्तेदार इस दिन को नहीं मनाते।

इसलिए मई के दूसरे रविवार मनाया जाता है मदर्स डे
मदर्स डे मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है चाहे तारीख कोई भी हो। यह पंरपरा करीब 110 साल से चली आ रही है। इस दिन की शुरुआत एना जार्विस ने की थी। एना ने इस दिन को अपनी मां को समर्पित किया था। दरअसल 9 मई को एना की मां की पुण्यतिथि होती है और उसने इस तारीख को चुना, तब दूसरा रविवार था। तब एना ने फैसला लिया कि हर साल मई के दूसरे रविवार को वह अपनी मां को समर्पित एक दिन मनाएगी, ताकि यह दिन 9 मई के आसपास पड़े। अगर गौर किया जाए तो साल 2021 को दूसरा रविवार 9 मई को ही पड़ रहा है।

 

मां का सपना पूरा किया एना ने
मदर्स डे की शुरुआत एना जार्विस की मां एन रीव्स जार्विस करना चाहती थीं। वह चाहती थी कि एक दिन ऐसा हो जो मां को समर्पित हो और मां के लिए कुछ खास किया जाए। हालांकि 1905 में एन रीव्स जार्विस की मौत हो गई। अपनी मां का अधूरा सपना पूरा करने के लिए एना ने यह जिम्मेदारी उठाई और उसने यह दिन मां के त्याग और उसकी सराहना के लिए मनाने का विचार रखा। तब लोगों ने एना के इस फैसले की काफी सराहना की और रीव्स जार्विस की मौत के तीन साल बाद 1908 में पहली बार मदर्स डे मनाया गया।

एना ने खुद ही किया मदर्स डे का विरोध
दुनिया में जब पहली बार मदर्स डे मनाया गया तो एना जार्विस  इसकी पोस्टर गर्ल थीं। उसे इस खास दिन अपनी मां के सबसे पंसदीदा सफेद कार्नेशन फूल महिलाओं में बांटे। एना की यह शुरुआत हर साल चसन में आ गई। लोग इस दिन अब अपनी मां को सफेद कार्नेशन फूल ही गिफ्ट करने लगे। फूलों की व्यापार करने वालों ने इसका खूब फायदा उठाया और सफेद कार्नेशन फूल ऊंचे से ऊंचे दामों पर बिकने लगे। इतना ही नहीं इस खास दिन के लिए तो इन फूलों की कालाबाजारी भी होने लग गई। एना ने इसका विरोध किया और लोगों से अपील की कि मदर्स डे मनाना बंद कर दें। एना जिसने मदर्स डे की शुरुआत की थी उसी ने इसे बंद करने की भी मुहीम चलाई। 

घट गई मदर्स डे की अहमियत
लोग अब हर साल मदर्स डे मनाने के नए-नए तरीके अपनाने लगे। फूलों के अलावा टॉफी, चॉकलेट और कई तरह के गिफ्ट का ट्रेंड चल पड़ा जिसके कारण एना को काफी दुख हुआ क्योंकि जिस दिन के लिए मदर्स डे शुरू किया गया था उसकी अहमियत कम हो गई थी और लोग दिखावे की तरफ चल पड़े थे। अपनी आखिरी दिनों तक एना इस दिन को खत्म करने की मुहीम में जुड़ी रही। उसने हस्ताक्षर अभियान भी चलाया लेकिन लेकिन लोगों ने सहयोग नहीं दिया। 1948 के आसपास एना का निधन हुआ। भले ही लोगों के लिए मदर्स डे एक अलग दिन बन गया हो लेकिन एना के रिश्तेदार और परिवार वाले आज भी यह दिन नहीं मनाते हैं। एना के रिश्तेदारों का कहना है कि उनकी बेटी ने जिस मकसद से इस दिन की शुरुआत की वो कहीं खो गया। आज लोग सिर्फ दिखावे के लिए इन दिन को सेलीब्रेट करते हैं।

Seema Sharma

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